मनोवांछित फल

Last Updated 31 Jul 2017 05:49:07 AM IST

दुख और सुख मनुष्य का मानसिक विकार है, जिसका निर्माण वह स्वयं करता है और फिर उसे मिटा भी देता है.


सुदर्शनजी महराज (फाइल फोटो)

दरअसल, दुख एक ऐसा मानसिक विकार है, जिसका निर्माण हम स्वयं दूसरों के कारण करते हैं. ऐसा देखने में आया है कि अपने कारण कोई भी व्यक्ति न तो दुखी होता है और न सुखी होता है. दुख तो मनुष्य को हमेशा ही दूसरे के कारण सताता है. इसी प्रकार हम सुख भी दूसरे के कारण ही अनुभव करते हैं. दुख और सुख को जब हम खुद लेने को तैयार बैठे होते हैं तभी वे हमारे पास आते हैं.

उदाहरण के लिए जिस प्रकार हमें कोई मिठाई देता है और हमें उसकी आवश्यकता नहीं होती तो हम उसे लौटा देते हैं. उसी प्रकार कोई हमें दुख देना चाहे और हम दुख लेने के लिए राजी न हों तो वह स्वयं लौट जाता है और देने वाले को ही सताने लगता है. हालांकि, हममें से अधिकांश लोग पहले से ही दुख को स्वीकार करने के लिए खड़े रहते हैं. कभी-कभी तो ऐसा भी होता है कि कोई दुख देने वाला नहीं आता तो हम स्वयं ही उसे बुलाकर ले आते हैं. इसकी वजह यह है कि दूसरे की प्रत्येक वस्तु हमें अच्छी लगती है, चाहे वह अच्छी हो या न हो.



यह मानव स्वभाव है कि उसे दूसरे का मकान, दूसरे का परिवार, दूसरे की पत्नी, दूसरे का बेटा आदि या यूं कहें कि हर दूसरा व्यक्ति अच्छा लगता है और यही उसके दुख का कारण बन जाता है. गांव हो या शहर वहां न तो किसी को फुर्सत है कि आपको दुख दे या सुख दे. आप तो स्वयं हाथ पसारे सड़कों पर घूम रहे हैं कि कोई हमें धक्का मारे और हम दुखी हो जाएं. आज तक दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति पैदा नहीं हुआ जो किसी को दुख दे सके. देना तो तभी संभव है जब लेने वाला राजी हो. जो लेने के लिए राजी न हो, उसे कोई चीज कैसी दी जा सकती है.

गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा भी है कि हे अर्जुन! तुम दुख और सुख, अपने और पराये की बात छोड़ो और निर्विकार भाव से कर्म में प्रवृत्त हो जाओ, क्योंकि तुम्हारे चाहने से भी मनोवांछित फल तुम्हें नहीं मिल सकता. इस प्रकार यह तो तय है कि कर्म का फल पाना हमारे हाथ में नहीं है, वह तो दाता के ही हाथ में है. किसी को सुख या दुख देने वाला कोई नहीं है. स्व-कर्म (अपने कर्म) से ही मनुष्य सुख या दुख पाता है और फिर बेहाल होकर त्राहि-त्राहि करने लगता है.

 

 

सुदर्शनजी महराज


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment