एशियाई हॉकी : पूरी लय में है भारतीय टीम
भारतीय हॉकी टीम राजगीर में एशिया कप हॉकी चैंपियनशिप होने से कुछ पहले तक उसे अच्छे प्रदर्शन के लिए याद नहीं किया जा रहा था।
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वैसे भी भारतीय टीम फाइनल जैसे महत्त्वपूर्ण मुकाबलों में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए नहीं जानी जाती है, लेकिन इस चैंपियनशिप के फाइनल में पिछली चैंपियन दक्षिण कोरिया के खिलाफ भारत ने जिस तरह का प्रदर्शन किया, उससे लगने लगा है कि टीम फिर से ऊंचाइयों की तरफ बढ़ने के लिए तैयार है। भारत ने दक्षिण कोरिया पर 4-1 से जीत पाकर चौथी बार एशिया कप खिताब ही नहीं जीता बल्कि अगले साल अगस्त में नीदरलैंड और बेल्जियम में होने वाले विश्व कप के लिए भी क्वालिफाई कर लिया।
भारतीय टीम एफआईएच प्रो लीग में खराब प्रदर्शन के बाद यहां आई थी। इस लीग के आखिरी यूरोपीय चरण में भारत ने आठ में से सात मैच हारकर बेहद निराश कर दिया था। इस प्रदर्शन की वजह से टीम नौ टीमों की लीग में आठवें स्थान पर रही। वह रेलीगेट होने से एक स्थान से बच गई। इसकी वजह से पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक दिलाने वाले कोच क्रेग फुल्टोन की काबिलियत पर भी सवाल उठने लगे थे। एशिया कप में भारत के शुरुआती प्रदर्शन से स्थिति और बिगाड़ दी।
इन प्रदर्शनों को देखने से भारत की क्षमता पर संदेह व्यक्त किया जाने लगा, लेकिन भारत ने सुपर फोर में चीन के खिलाफ और फिर फाइनल में दक्षिण कोरिया के खिलाफ शानदार प्रदर्शन से अपनी फिर से धमक बना दी। भारतीय कोच एफआईएच प्रो लीग में भारतीय प्रदर्शन के बारे में कहते हैं कि इसमें खेले तो अच्छा पर नतीजे अच्छे नहीं निकाल सके। फुलटोन ने कहा, ‘हम एफआईएच प्रो लीग में खेले तो अच्छा पर परिणाम अच्छे नहीं निकाल सके। पर हमने इसके बाद खामियों पर काम किया।
ऑस्ट्रेलिया दौरे पर हाल-फिलहाल का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।’ सही मायनों में इस ऑस्ट्रेलियाई दौरे ने ही एशिया कप की सही तैयारी कराकर जीत में अहम भूमिका निभाई। अब इस प्रदर्शन के बाद देश के हॉकीप्रेमी फिर से उत्साहित हो गए हैं और उन्हें टीम पर भरोसा बन गया है कि हम फिर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर झंडे गाड़ेंगे। भारत ने चीन हो या दक्षिण कोरिया दोनों के ही खिलाफ आक्रामक अंदाज में शुरुआत करके पहले कुछ मिनटों में गोल जमाकर खेल पर दबदबा बनाने की रणनीति अपनाई और यह रणनीति कारगर साबित हुई।
हरमनप्रीत की अगुआई वाला डिफेंस हो या अभिषेक की अगुआई वाली अग्रिम पंक्ति बहुत दमदार नजर आई। हरमनप्रीत का हमलों में आगे तक जाना और अभिषेक का डिफेंस के समय सर्किल में रहना टीम की फिटनेस का बताता है। वहीं जर्मनप्रीत, हार्दिक सिंह की अगुआई वाली हाफ लाइन भी गेंद को लगातार आगे रखने में सक्षम नजर आई। भारतीय टीम यदि इसी तरह खेलती रही, तो बहुत संभव है कि 2028 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक में पदक का रंग बदल जाए और अगले साल विश्व कप में भारतीय टीम पोडियम पर चढ़ती नजर आए। भारतीय टीम इस चैंपियनशिप में अपने प्रदर्शन में लगातार सुधार करती नजर आई। आखिर में वह एक इकाई के तौर पर खेलती दिखी।
क्रेग फुल्टोन के कोच के रूप में आने के बाद भारतीय टीम एरियल पासों का इस्तेमाल करने लगी है। आमतौर पर एशिया की टीमें एरियल पासों वाले खेल को कम ही खेलती दिखती रहीं हैं। पर भारतीय टीम का अब यह भी प्रमुख अस्त्र बन गया है। इस मामले में भारतीय कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने महारत हासिल कर ली। उनके नपे-तुले स्कूपों पर कई बार प्रतिद्वंद्वी ठगे से नजर आए। दक्षिण कोरिया भी इस खूबी की वजह से मैच में अधिकांश समय बचाब करती नजर आई।
भारतीय कप्तान हरमनप्रीत वैसे तो किसी तारीफ के मोहताज नहीं हैं। वह पिछले पेरिस ओलंपिक में सर्वाधिक गोल जमाने वाले रहे हैं। वह अनुभव के साथ निरंतर निखरते नजर आ रहे हैं। पेनल्टी कॉर्नरों पर गोल जमाने में तो वह महारत रखते ही हैं। साथ ही हमले बनाने में भी उनकी अहम भूमिका रहने लगी है। भारत का पहले मिनट में खाता खुलवाने में भी उनकी भूमिका अहम रही। उन्होंने पहले ही मिनट में कोरियाई डिफेंस को छकाते हुए सर्किल में खड़े सुखजीत को पास दिया और उन्होंने रिवर्स शॉट से गोल भेद दिया।
भारत के चौथे गोल को जमाया भले ही अमित रोहिदास ने पर इसमें भी हरमनप्रीत की भूमिका बेहद खास रही। क्रेग फुलटोन ने कहा, ‘मैंने पहले कहा था कि हम एशिया में नंबर एक बनना चाहते हैं और टीम में गहराई लाना चाहते हैं। हमें लगता है कि हम वहां पहुंच रहे हैं। हमने अच्छी तैयारी की और अच्छा प्रदर्शन किया। टीम के खिलाड़ी बेहद समझदार हैं। इसलिए वह जो भी कोशिश करते हैं, उसे अंजाम तक पहुंचाते हैं। हम विरोधी टीम के साथ अपनी टीम पर भी बहुत होम वर्क करते हैं और यह उसका ही परिणाम है।’ भारत के विश्व कप के लिए क्वालिफाई करने से अब उन्हें इसकी तैयारी के लिए पूरा एक साल मिलेगा। इसका हम सही उपयोग कर सकें तो 1975 के बाद पहली बार भारत खिताब की उम्मीद कर सकता है।
(लेख में विचार निजी हैं)
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