अर्थव्यवस्था : युवा हाथों में है प्रगति की पटकथा
विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की अपनी अपनी विशेषताएं हैं, जिसके आधार पर यह अर्थव्यवस्थाएं विश्व में उच्च स्थान पर पहुंची हैं एवं इस स्थान पर बनी हुई हैं।
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प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के मामले में आज भी कई विकसित देश भारत से आगे हैं। इन समस्त देशों के बीच चूंकि भारत की आबादी सबसे अधिक अर्थात 140 करोड़ नागरिकों से अधिक है, इसलिए भारत में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद बहुत कम है।
भारत के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 4.19 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है तथा प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद केवल 2,880 अमेरिकी डॉलर है। भारत के पीछे आने वाले देशों में हालांकि सकल घरेलू उत्पाद का आकार कम जरूर है परंतु प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के मामले में यह देश भारत से बहुत आगे हैं। जैसे जापान के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 4.18 लाख करोड़ है और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 33,960 अमेरिकी डॉलर है।
ब्रिटेन के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 3.84 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 54,950 अमेरिकी डॉलर है। फ्रांस के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 3.21 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 46,390 अमेरिकी डॉलर है। इटली के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 2.42 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 41,090 अमेरिकी डॉलर है। कनाडा के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 2.23 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 53,560 अमेरिकी डॉलर है।
ब्राजील के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 2.13 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 9,960 अमेरिकी डॉलर है। सकल घरेलू उत्पाद के आकार के मामले में विश्व की सबसे बड़ी 10 अर्थव्यवस्थाओं में भारत शामिल होकर चौथे स्थान पहुंच जरूर गया है परंतु प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के मामले में भारत इन सभी अर्थव्यवस्थाओं से अभी भी बहुत पीछे है।
इस सबके पीछे सबसे बड़े कारणों में शामिल है भारत द्वारा वर्ष 1947 में राजनैतिक स्वतंत्रता प्राप्ति पश्चात, आर्थिक विकास की दौड़ में बहुत अधिक देर के बाद शामिल होना। भारत में आर्थिक सुधार कार्यक्रमों की शुरु आत वर्ष 1991 में प्रारम्भ जरूर हुई परंतु इसमें इस क्षेत्र में तेजी से कार्य वर्ष 2014 के बाद ही प्रारम्भ हो सका है। इसके बाद, पिछले 11 वर्षो में परिणाम हमारे सामने हैं और भारत विश्व की 11वीं अर्थव्यवस्था से छलांग लगते हुए आज 4थी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। दूसरे, इन देशों की तुलना में भारत की जनसंख्या का बहुत अधिक होना, जिसके चलते सकल घरेलू उत्पाद का आकार तो लगातार बढ़ रहा है परंतु प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद अभी भी अत्यधिक दबाव में है।
अमेरिका में तो आर्थिक क्षेत्र में सुधार कार्यक्रम 1940 में ही प्रारम्भ हो गए थे एवं चीन में वर्ष 1960 से प्रारम्भ हुए। आज भारत सकल घरेलू उत्पाद के आकार के मामले में विश्व में चौथे पर पहुंच गया है परंतु भारत को प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के मामले में जबरदस्त सुधार करने की आवश्यकता है। भारत पूरे विश्व में आध्यात्म के मामले में सबसे आगे है अत: भारत को धार्मिंक पर्यटन को सबसे तेज गति से आगे बढ़ाते हुए युवाओं के लिए रोजगार के नये अवसर निर्मिंत करने चाहिए जिससे नागरिकों की आय में वृद्धि करना आसान हो। दूसरे, भारत में 80 करोड़ आबादी का युवा (35 वर्ष से कम आयु) होना भी विकास के इंजिन के रूप में कार्य कर सकता है।
भारत की विशाल आबादी ने भारत को विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में अपना योगदान दिया है। भारत की अर्थव्यवस्था में विविधता झलकती है और यह केवल कुछ क्षेत्रों पर निर्भर नहीं है। भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का योगदान 16 प्रतिशत है तथा रोजगार के अधिकतम अवसर भी कृषि क्षेत्र से ही निकलते हैं, जिसके चलते प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद विपरीत रूप से प्रभावित होता है। सेवा क्षेत्र का योगदान 60 प्रतिशत से अधिक है, परंतु विनिर्माण क्षेत्र का योगदान बढ़ाने की आवश्यकता है।
वाणिज्य मंत्रालय द्वारा प्रदान की गई जानकारी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत में 81 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ है अर्थात विदेशी निवेशक भारत में अपनी विनिर्माण इकाईयों की स्थापना करते हुए दिखाई दे रहे हैं। आज विदेशी निवेशकों का भारतीय अर्थव्यवस्था में विश्वास बढ़ा है। आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी 694 अरब अमेरिकी डॉलर की आंकड़े को पार कर गया है। आगे आने वाले समय में अब विश्वास किया जा सकता है कि भारत में भी प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में तेज गति से वृद्धि होती हुई दिखाई देगी।
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