नशाखोरी : विकसित भारत के लिए अभियान जरूरी

Last Updated 24 Jun 2025 03:11:55 PM IST

युवाओं में नशे के प्रति बढ़ता आकर्षण पूरी दुनिया के सामने एक गंभीर चुनौती के रूप में सीना तानकर खड़ा है। संयुक्त राष्ट्र के द्वारा जारी ‘विश्व मादक पदार्थ रिपोर्ट 2024’ के अनुसार 29.2 करोड़ से भी अधिक लोग पूरे विश्व में मादक पदार्थ के सेवन में लिप्त हैं।


नशाखोरी : विकसित भारत के लिए अभियान जरूरी

आश्चर्य की बात यह है कि ऐसे लोगों की संख्या में पिछले दशक की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। नशे के प्रति इतनी रु झान मानव सभ्यता के सामने एक गंभीर संकट की ओर संकेत कर रही है।

भारत में भी युवा बड़ी संख्या में नशाखोरी की चपेट में हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने युवाओं में नशे के प्रति बढ़ती रु चि को एक पीढ़ीगत संकट बताया है। यह चुनौती इतनी गंभीर है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात’ के तीसरे एपिसोड में 14 दिसम्बर 2014 को पूरी संवेदना के साथ देश के युवाओं से नशाखोरी से बाहर आने की विशेष अपील की थी। साथ ही उन्होंने युवाओं को विास दिलाया कि राष्ट्र के सामने मौजूद इस गंभीर संकट से निपटने के लिए वे युवा वर्ग के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने को तैयार हैं। आंकड़ों के मुताबिक, देश के लगभग 20 प्रतिशत लोग नशे की चपेट में हैं।

इनमें 1.5 करोड़ से अधिक महिलाएं हैं। 10 वर्ष से 17 वर्ष की आयु वर्ग वाले लगभग 1.5 करोड़ किशोर भी इस खतरे की चपेट में हैं, जिनमें चिंताजनक संख्या में छोटी-छोटी बेटियां भी हैं। ‘ग्लोबल र्बडन ऑफ डिजीज स्टडीज 2017’ के अनुसार पूरी दुनिया में 7.30 लाख लोग अवैध ड्रग्सं के सेवन के कारण मृत्यु को प्राप्त हुए, जिसमें से 22 हजार से अधिक लोगों की मृत्यु भारत में भी हुई। एन.सी.आर.बी की एक रिपोर्ट के अनुसार 2019 में ही पूरे देश भर में ड्रग्स से परेशान होकर लगभग 7800 से अधिक लोगों ने आत्महत्या कर ली, जिसमें 20 वर्ष से 50 वर्ष की आयु वर्ग वाले अधिक लोग रहे। कष्टदायक स्थिति ये है कि हमारे कुछ  युवा नशे के दुष्प्रभाव के कारण मानसिक रूप से बीमार हो रहे हैं।

देश के लगभग 45 मानिसक स्वास्थ्य से जुड़े अस्पतालों में पिछले 10 वर्षो में भर्ती लोगों में 20 प्रतिशत नशे के कारण मानसिक रूप से अस्वस्थ माने गए। नशे के कारण मानसिक बीमारी के शिकार लोगों में लगभग आधी संख्या महिलाओं की है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब जैसे राज्यों में नशे से संबंधित एफ.आई.आर की संख्या में वृद्धि हुई है। भारत में 3 करोड़ से अधिक लोग भांग के नशे में लिप्त हैं, जिनमें से 72 लाख से अधिक लोग इसकी वजह से अस्वस्थ हैं। 10 लाख के आसपास लोग इंजेक्शन द्वारा ड्रग्स लेते हैं, जबकि 10 करोड़ से अधिक लोग अनेक अवैध नशीले पदार्थ का उपयोग कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि केवल भारत ही इस संकट से जूझ रहा है।

अमेरिका, फ्रांस इत्यादि देशों के साथ सीरिया, न्यूजीलैंड, अफगानिस्तान, रूस, ब्राजील इत्यादि देश भी इस समस्या से ग्रसित हैं। नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारण दुनिया में सबसे अधिक मौतें अमेरिका और फ्रांस में ही हुई हैं। सीरिया में तो सरकार ने ही नशीली दवाओं के व्यापार को वित्त पोषित किया है। विश्व ड्रग रिपोर्ट 2017 के अनुसार केवल अमेरिका में ही नशीली दवाओं  के कारण 70 हजार से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी। सबसे बडी़ चिंता का विषय यह है कि भारत की शिक्षण संस्थाओं के आसपास चाय-नाश्ते की दुकानों, जनरल स्टोर्स इत्यादि के माध्यम से युवाओं को ड्रग्स और अन्य नशीले पदाथरे के दलदल में घसीटा जा रहा है।

भारत सरकार की ओर से समय-समय पर अनेक आवश्यक कदम उठाए जाते रहे हैं। एक तरफ सरकार जांच एजेंसियों के माध्यम से ड्रग्स के अवैध व्यापार पर लगातार छापेमारी करके उन नशीले पदाथरे को नष्ट कर रही है तो दूसरी ओर इसमें लाभ कमाने की दृष्टि से जो असामाजिक तत्व लगे हुए हैं, उनको कानून के कड़े प्रावधानों के द्वारा दंडित भी कर रही है। 2014 के बाद से प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में नशाखोरी को समाप्त करने के लिए ‘ड्रग्स के खिलाफ जीरो टॉलरेंस’ की नीति के तहत प्रयास किए जा रहे हैं। विशेषकर अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद से ही ड्रग्स माफिया पर लगातार प्रहार हो रहे हैं। 

गृह मंत्रालय की सूचना के अनुसार देश की तमाम जांच एजेंसियों ने हाल ही में 2023 में 16 हजार करोड़ रु पये से भी अधिक का ड्रग्स जब्त किया था। 2024 में 25 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक का ड्रग्स जब्त किया गया। 2023 की तुलना में 2024 में 55 प्रतिशत अधिक ड्रग्स जब्त किया गया। अगर हम नशे की गंभीर चुनौती को समाप्त करना चाहते हैं तो हमें सरकार के प्रयासों को जन भागीदारी से जोड़कर उचित क्रियान्वयन में सहयोग करना होगा। आवश्यकता है विश्व के अग्रणी देशों में नशे की रोकथाम के लिए अमल में लाई जा रही कानून-व्यवस्था के अध्ययन की। इसके आधार पर भारत में नशे की रोकथाम के लिए वैज्ञानिक दृष्टि से अनुसंधान कर उपलब्ध प्रावधानों का आवश्यक संशोधन किया जा सके।

प्रो. (डॉ.) राजेंद्र प्र. गुप्ता


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