ईरान-इजरायल संघर्ष से खतरे में वैश्विक शांति
ईरान और इजरायल के बीच सीधे तौर पर युद्ध की शुरुआत हो चुकी है। दोनों ओर से एक-दूसरे पर बम बरसाए जा रहे हैं और हालात दिन-प्रतिदिन बदतर हो रहे हैं।
![]() ईरान-इजरायल संघर्ष : खतरे में वैश्विक शांति |
चूंकि इजरायल के साथ अमेरिका भी है तो जाहिरैहै, ईरान के लिए मौजूदा वक्त काफी चुनौतीपूर्ण है। ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर अमेरिका और इजरायल लगातार ईरान को चेतावनी दे रहे थे। पिछले वर्ष तेहरान पर अपने बम वषर्क विमानों से हमला करके इजरायल ने वहां हड़कंप मचा दिया था। ऑपरेशन ‘नेशन ऑफ लायंस’ के तहत एक बार फिर इजरायल ने ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल साइट्स पर बारूद बरसाकर अपने मंसूबे साफ कर दिए हैं। इस बार तेहरान पर हुए हमले में इजरायल ने ईरान के आर्मी चीफ जनरल मोहम्मद बाघेरी और ईरानी रिवॉल्यूशनरी गार्ड क्रॉप्स के कमांडर-इन-चीफ हुसैन सलामी के साथ परमाणु वैज्ञानिक डॉ. फ़ारेदून अब्बासी-दावानी और डॉ. तेहरांची के मारे जाने की पुष्टि की है। इजरायल हमेशा सुनियोजित और पूरी तैयारी के साथ हमले करता है, जिसमें मोसाद की अहम भूमिका रहती है, यह उसी का परिणाम है।
ईरान पर किए गए हमले के बाद ईरान की जवाबी करवाई की आशंका के चलते इजरायल में इमरजेंसी घोषित की गई है। ईरान के लिए यह हमला निश्चित रूप से बड़ी क्षति है। और उसने इजरायल पर जवाबी कार्रवाई शुरू भी कर दी है। ईरान के साथ इराक ने भी अपना एयर स्पेस बंद कर दिया है। उधर इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल कैट्स ने कहा है कि हम ईरान के हर हमले का मुंहतोड़ जवाब देंगे। इजरायल और ईरान के बीच लंबे समय से जो जुबानी जंग चल रही थी; वह अब बारूदी जंग में बदल गई है। ईरान के इतने महत्त्वपूर्ण लोगों का एक साथ हमले में मारा जाना ईरान के सुरक्षा और खुफिया तंत्र पर सवाल खड़े करता है। इजरायल के लिए निश्चित रूप से यह एक रणनीतिक जीत कही जाएगी। ईरानी सेना प्रमुख जनरल मोहम्मद बाघेरी को ईरानी रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स (आईआरजीसी) के साथ रणनीतिक और परमाणु नीति निर्माण में केंद्रीय भूमिका निभाते देखा जाता रहा है। ईरान के इतने बड़े और महत्त्वपूर्ण पद पर बैठे अधिकारी के मारे जाने से मध्य-पूर्व में युद्ध की आग निश्चित रूप से और बढ़ेगी। हालांकि अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु संवर्धन संधि को लेकर अलग-अलग देश में बैठकें जारी थीं और यह बातचीत किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पा रही थी।
अमेरिका इजरायल को ईरान के परमाणु साइट्स पर हमले न करने के लिए लगातार रोक रहा था। हमले के बाद अमेरिका ने कहा है कि इस हमले में उनका कोई हाथ नहीं है, लेकिन ईरान इस हमले को अमेरिका की ओर से उकसावे की रणनीति मानता है। आज जिस युद्धाक्रांत समय के साये में हम जी रहे हैं, वहां से सिर्फ भय और टकराहट की लपटें उठती नजर आती है। उधर रूस-यूक्रेन युद्ध का अंत होता दिख नहीं रहा है। गाजा पट्टी, लेबनान और सीरिया पर इजरायली बारूद लगातार बरस रहा है। मेरे जेहन में इजरायल का अरब देशों के साथ हुआ 6 दिन का संघर्ष जिसमें इजरायल की जीत हुई थी और इजरायल द्वारा अपने अपहृत नागरिकों को वापस लाने के लिए चलाए गए ‘ऑपरेशन थंडरबोल्ट’ की याद ताजा है। इजरायल अपने विरोधियों के खिलाफ हर मोर्चे पर आक्रामक रुख अख्तियार करता रहा है। इस बार मध्य-पूर्व में यदि युद्ध विस्तारित हुआ, तो वैश्विक महाशक्तियां इस जंग में अपने कदम अवश्य रखेगी। आईडीएफ, मोसाद और अमेरिकी बैकअप इजरायल की ताकत है, इसलिए मध्य-पूर्व में इजरायल किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेगा।
बहरहाल, विचलित करने वाला यह समय हमें भीतर तक झकझोरता है। वैश्विक शांति के लिए महाशक्तियों को अपनी साम्राज्य विस्तार की नीतियों पर भी लगाम लगानी होंगी। जय-पराजय का यह समर किस मोड़ पर जाकर रुकेगा, अभी कहा नहीं जा सकता, लेकिन दो महायुद्धों के बीच जन्मी जयशंकर प्रसाद की कामायनी का यह छंद मनुष्यता के पक्ष में खड़ा नजर आता है- ‘दुख की पिछली रजनी बीच, विकसता सुख का नवल प्रभात’ इस बात का यकीन दिलाता है कि दुख की पिछली रजनी को लांघकर, कभी-न-कभी सुख का नवल प्रभात अवश्य खिलेगा और उसदिन सारा विश्व समरसता की गूंज से भर उठेगा।
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