जल संकट : दिल्ली में हाल है बेहाल
देश की राजधानी दिल्ली में आसमानी तपिश ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। आए दिन अधिकतम तापमान के नये रिकॉर्ड बन रहे हैं। कई इलाकों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस को भी पार कर गया है।
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मौसम की मार झेल रहे दिल्ली वालों के सामने एक और मुसीबत आ खड़ी हुई है। वह है जल संकट।
दिल्ली जल बोर्ड का कहना है कि दिल्ली को हर रोज करीब 129 करोड़ गैलन पानी की जरूरत है लेकिन आपूर्ति हो रही है 100 करोड़ या उससे थोड़ा कम गैलन की। यानी दिल्ली को रोजाना करीब तीस करोड़ गैलन पानी कम मिल रहा है। जरूरत और आपूर्ति के बीच यह अंतर दिल्ली की आबादी के बड़े हिस्से पर भारी पड़ रहा है। दक्षिणी दिल्ली के संगम विहार से लेकर उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के रोहिणी तक, आम लोग पानी की इस किल्लत की कीमत चुका रहे हैं। बढ़ती गर्मी ने पानी के संकट को और गंभीर कर दिया है। हालात उन लोगों के लिए सबसे ज्यादा मुश्किल हैं, जिनके घर न टंकी से पानी पहुंचता है और न दिल्ली जल बोर्ड के टैंकर से।
दिल्ली में ऐसी 1700 से अधिक अनधिकृत कॉलोनी हैं जिनमें से अधिकतर में पानी की लाइन बिछी है और दिल्ली जल बोर्ड पानी की आपूर्ति करता है। लेकिन ऐसी झुग्गी-बस्तियां जहां पाइप तो पहुंचा है लेकिन पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पहुंच पा रहा है, वहां आबादी के अधिकतर हिस्से को पानी खरीद कर पीना पड़ रहा है। अलग-अलग इलाकों में पानी की कीमत अलग-अलग है। देवली की एक गली में टैंकर से दस रु पये में बीस लीटर पानी बिक रहा है। लोगों को पानी भरवा कर खुद ले जाना पड़ता है। लेकिन जो लोग पानी की बोतल घर तक मंगवाते हैं, उन्हें बीस लीटर की बोतल के तीस से चालीस रु पये तक और ब्रांडेड बोतल के लिए तो 90 से 100 रु पये तक चुकाने पड़ते हैं।
दिल्ली का जल संकट सिर्फ अनिधकृत कॉलोनियों तक सीमित नहीं है, बल्कि योजनानुरूप बसाए गए इलाकों तक भी पहुंच गया है। दक्षिण-पश्चिमी दिल्ली के वसंत कुंज इलाके में डीडीए निर्मिंत अपार्टमेंट्स का भी कमोबेश यही हाल है। वसंत कुंज इलाके में किराने की दुकानों का अधिकतर हिस्सा पानी की बोतलों से भरा है। एक दुकानदार के मुताबिक ‘हाउसिंग सोसायटी के अधिकतर घरों में रोजाना एक बोतल पानी जाता है। कुछ घरों में दो बोतलें भी ली जाती हैं। अधिकतर लोग यहां ब्रांडेड पानी खरीदते हैं। एक बोतल 90-100 रु पये की आती है।
नीति आयोग के समग्र जल प्रबंधन सूचकांक के मुताबिक, दिल्ली भारत का दूसरा सबसे अधिक जल संकटग्रस्त शहर है। यह भी हकीकत है कि दिल्ली पानी की अपनी जरूरतों के लिए पड़ोसी राज्यों पर निर्भर है। दिल्ली को हरियाणा सरकार यमुना नदी से, उत्तर प्रदेश सरकार गंगा नदी से और पंजाब सरकार भाखड़ा नंगल से पानी की सप्लाई करती है। अभी जो 100 करोड़ गैलन यानी करीब 380 करोड़ लीटर पानी रोजाना दिल्ली में सप्लाई होता है, उसका 61 प्रतिशत पानी यमुना नदी, 30 प्रतिशत गंगा नहर और बाकी 9 प्रतिशत भूजल से आता है।
बता दें कि दिल्ली में भूजल भी संकट गंभीर है। केंद्रीय भूजल बोर्ड की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024 में उपयोग किए गए पानी का 100.77% निकाला गया है, जबकि रिचार्ज कम हुआ है। 34 मूल्यांकन इकाइयों में से 14 इकाइयां ‘अत्यधिक दोहित’ श्रेणी में हैं, जिससे आने वाले समय में पानी की कमी और बढ़ सकती है। दिल्ली के सभी जिलों में से नई दिल्ली सबसे अधिक शोषित है। उसके बाद शाहदरा, उत्तर, दक्षिण और उत्तर-पूर्व जिले हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अति शोषित क्षेत्रों में करोल बाग, मयूर विहार, दिल्ली कैंट, चाणक्यपुरी, वसंत विहार, नरेला, यमुना विहार, करावल नगर, विवेक विहार, शाहदरा, महरौली, कापसहेड़ा और राजौरी गार्डन शामिल हैं। वहीं महत्त्वपूर्ण इकाइयों में मध्य दिल्ली में कोतवाली, गांधी नगर, प्रीत विहार, मॉडल टाउन, अलीपुर, सीमापुरी, हौज खास, कालकाजी, डिफेंस कॉलोनी, सरिता विहार, द्वारका, पटेल नगर और पंजाबी बाग शामिल हैं।
सवाल उठता है कि आखिर, किस तरह गंभीर रूप धारण कर चुकी इस समस्या से निजात पाई जाए। दिल्ली जल बोर्ड की बात करें तो उसके सामने कई चुनौतियां हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक सबसे बड़ी चुनौती आपूर्ति के दौरान पानी के नुकसान (वॉटर वेस्ट) की है। जल बोर्ड के अनुमान के मुताबिक चालीस फीसद से अधिक पानी आपूर्ति के दौरान बर्बाद हो जाता है। पाइपलाइनों में लीकेज, अवैध टंकियां और पानी की चोरी इसके सबसे बड़े कारण हैं। पानी पर सब्सिडी का असर भी दिल्ली जल बोर्ड की आर्थिक सेहत पर हुआ है और बोर्ड का कर्ज बढ़ता जा रहा है। 2023 के डेटा के मुताबिक, दिल्ली जल बोर्ड पर 73 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज है, जो 2018 के बाद से लगभग दोगुना हो गया है।
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