मुद्दा : बढ़ रहा नशे का गोरखधंधा

Last Updated 23 Aug 2023 01:37:25 PM IST

दिल्ली में तेजी से फैलता नशे का कारोबार चिंता का विषय बन गया है। राजधानी में विभिन्न किस्म के मादक पदाथरे की तस्करी अब प्रत्येक गली-मोहल्लों में होने लगी है।


मुद्दा : बढ़ रहा नशे का गोरखधंधा

एनसीआर क्षेत्र में भी नशे का कारोबार अब इस कदर फैल चुका है कि जिसे रोकने में पुलिस-प्रशासन के हाथ-पांव फूल रहे हैं। बीते शनिवार को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने तस्करों से करीब 90 किलो अफीम पकड़ी, जो दूसरे प्रदेशों से लाई गई थी। दिल्ली में मादक पदार्थों की सप्लाई सबसे ज्यादा कहां-कहां होती है, और उसके शौकीन कौन-कौन हैं?

दरअसल, यह एक ऐसा सवाल है जिसका उत्तर अगर सच्चाई से पुलिस-प्रशासन सार्वजनिक कर दे, तो चारों ओर भूचाल मच जाएगा। हम सोच भी नहीं सकते कि इस जंजाल में कौन-कौन और कैसे-कैसे व्यक्ति शामिल हैं। हालांकि, इतना तो सभी जानते हैं कि किस्म-किस्म के महंगे मादक पदाथरे का सेवन कोई आम इंसान तो करेगा नहीं? इसके लिए मोटी रकम चुकानी पड़ती है। इसलिए कोकीन, अफीम जैसे उच्च कोटि के नशे पदार्थ के खरीददार भी बड़े लोग ही होते हैं। देखिए, दिल्ली एक ऐसी जगह है, जहां केंद्र सरकार से लेकर, ब्यूरोक्रेट लॉबी, उच्चस्तरीय अफसर, बड़े से बड़े उद्योगपति और विभिन्न राजनैतिक दलों के प्रमुख नेताओं का जमावड़ा रहता है। इनका रहन-सहन, जीने का स्टाइल से तो सभी वाकिफ ही हैं।  

फिलहाल, इस सामाजिक बुराई की आंच इन लोगों तक नहीं पहुंचती? दिल्ली को ड्रग्स के जंजाल से कैसे निकाला जाए? इसकी चिंता शायद किसी को है नहीं? निकालना कोई इसलिए भी नहीं चाहता, क्योंकि ड्रग्स के काले धंधे में एक ऐसा वर्ग शामिल है, जिसके के लिए यह कारोबार मुनाफे का बड़ा जरिया बना हुआ है। उन्हीं को देखकर आज के नासमझ युवा भी मादक पदार्थ का सेवन करने लगे हैं, वो इसे स्टेट सिंबल समझने लगे हैं। इस गिरफ्त में समूचे हिन्दुस्तान का युवा फंसा है। पहुंच स्कूल-कॉलेजों तक में हो गई है। अभी कुछ माह पहले ही दिल्ली के एक नामी स्कूल में छात्र के पास से कोकीन बरामद हुई थी। छात्र बड़े औहदेदार का पुत्र था। इस घटना से अंदाजा लगा सकते हैं कि ऐसी चीजें उनके घर में खुलेआम आती-जाती होंगी, तभी उसे देखकर वो बच्चा प्रभावित हुआ। मामले को स्कूल प्रशासन ने दबा दिया ताकि पहचान उजागर न हो?

मादक पदार्थ कारोबार में इंवॉल्व बड़े लोगों की पहचान कभी भी सार्वजनिक नहीं की जाती? यह दोहरा मापदंड़ क्यों अपनाया जाता है, इसके पीछे की वजह को भी सभी जानते हैं। राजधानी दिल्ली में ड्रग्स कई रास्तों से होकर पहुंच रही है क्योंकि दिल्ली की सीमाएं विभिन्न राज्यों से जुड़ती हैं। इसलिए तस्कर मादक पदार्थों की सप्लाई सुगमता से करते हैं। ड्रग्स डीलर्स विभिन्न प्रदेशों से चरस, गांजा कोकीन, अफीम दिल्ली तक पहुंचाते हैं। उसके बाद दिल्ली में अपने हिसाब से आगे सप्लाई करते हैं। नॉर्थ ईस्ट के तस्कर दिल्ली में मादक पदार्थ कूरियर के जरिए भिजवाते हैं। नारकोटिक्स विभाग की मानें तो राजधानी दिल्ली में बीते तीन सालों में ड्रग्स के डाटा चौंकाने वाले रहे। साल 2020 में 886 किलोग्राम गांजा, 28 किलोग्राम हेरोइन, 14 किलोग्राम कोकीन जबकि 16 किलो अफीम बरामद हुई थी जबकि, इस साल यह डाटा सिर्फ  4 महीने में उससे कई गुना ज्यादा हुआ। अभी तक 4396 किलो अफीम बरामद हो चुकी है। बीते पांच-छह सालों से ड्रग्स का धंधा धड़ल्ले से खुलेआम शाम के वक्त पॉश इलाकों में चलता है। दिल्ली में सफेदपोश या बड़े लोगों के घरों में पार्टी-फंक्शन हो और उसमें ड्रग्स का वितरण ना किया जाए, ऐसा हो नहीं सकता।

राजधानी दिल्ली और उससे सटे इलाकों में ड्रग्स का कारोबर मौजूदा समय में आग की तरह फैला हुआ है। दिल्ली में शनिवार को 40 करोड़ की अफीम पकड़ी गई, जिसकी सप्लाई लुटियन जोन और पॉश इलाकों में होनी थी। स्पेशल सेल के पास पूरी जानकारी है कि अफीम कहां-कहां और किन-किन लोगों में होनी थी? पर, कुछ भी नहीं बताया। हां, इतना जरूर है कि उनको बलि का बकरा बनाने में देर नहीं की जो कमजोर कड़ी थे। अफीम मणिपुर और जम्मू से लाई गई थी, ड्रग्स तस्करों के नाम भी जाहिर कर दिए गए थे। इनका काम मात्र इतना था कि डिलीवरी लेनी थी और ठिकाने पर पहुंचानी थी? दिल्ली पुलिस की स्पेशल ने उन पर हाथ नहीं डाला, जो इस खेल की बड़ी मछलियां हैं। राजधानी हेरोइन, कोकीन, गांजा और अफीम का हब बन गई है। पिछले कुछ सालों में दिल्ली में यह कारोबार काफी तेजी से बढ़ा है। दिल्ली में पहले नशे के इस कारोबार के 15 हब थे, लेकिन अब यह बढ़कर 64 हो चुके हैं, और यह सब हुआ है। पिछले 4 सालों में। मादक पदार्थ बड़े लोगों का शौक है। यह सच्चाई पुलिस भी जानती है और हुकूमत भी। इसलिए यह धंधा यूं ही चलता रहेगा। जरूरत इस बात की है कि आम लोगों को अपने बच्चों को बचाना होगा। स्कूल-कॉलेजों में पढ़ने वाले नौनिहालों पर खास तौर पर ध्यान रखना होगा। उन्हें खेलों की तरफ प्रेरित करके उन्हें सकारात्मकता की तरफ मोड़ा जाए तो यकीनन इस बुराई से अभिभावक अपने बच्चों को बचाए रख सकते हैं।

रमेश ठाकुर


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment