उप्र सरकार के छह माह : कृषि को योगी संजीवनी

Last Updated 26 Sep 2022 01:36:54 PM IST

अन्नदाता की बेहतरी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए सिर्फ नारा नहीं, बल्कि संकल्प रहा है। मुख्यमंत्री बनने के पहले भी वह किसानों के हित के लिए लगातार चिंतित रहे हैं।


उप्र सरकार के छह माह : कृषि को योगी संजीवनी

पांच साल पहले मुख्यमंत्री बने तो भी किसानों के हित सर्वोपरि रखे। अपने दूसरे कार्यकाल में भी उनके एजेंडे में अन्नदाता सर्वोपरि हैं। केंद्र सरकार ने भी किसानों के हित में योगी सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों को और धार देने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। डबल इंजन की सरकार की ताकत का कमाल खेतीबाड़ी में दिखने लगा है।

योगी सरकार ने कम लागत में अधिकतम उत्पादन को मूल मंत्र माना। खेतीबाड़ी के क्षेत्र में नीतिगत सुधार करने के साथ अवस्थापना सुविधाओं का विकास किया। केंद्र सरकार ने वर्षों से लंबित स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू किया। एमएसपी में वृद्धि के साथ ही इसके दायरे में अन्य फसलों को लाया गया। सरकार 2018-2019 से एमएसपी पर दलहन-तिलहन की भी खरीद कर रही है। फल-सब्जी की खेती करने वाले किसान बिना बाधा अपनी उपज बेज सकें, इसके लिए 2020 में वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान सरकार ने 45 फलों/सब्जियों को मंडी शुल्क से मुक्त कर दिया। 54 ग्रामीण हाटों का निर्माण कराया।

27 मंडियों का आधुनिकीकरण किया। 220 अधिसूचित मंडियों में से 125 में ई-नाम व्यवस्था लागू की जा चुकी है। लखनऊ और सहारपुर के बाद सरकार ने अमरोहा और वाराणसी में भी पैक हाउस का निर्माण कराया। किसानों की आय बढ़ाने में न्यूनतम लागत में अधिकतम उत्पादन की ही सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इसके लिए जरूरी है फसल विशेष की जरूरत के अनुसार उर्वरकों और पोषक तत्त्वों का संतुलित प्रयोग।

सरकार ने इसके लिए युद्ध स्तर पर अभियान चलाकर किसानों को करीब चार करोड़ मृदा परीक्षण कार्ड मुहैया कराया। किसानों के हित में एक नारा बहुप्रचलित है, ‘लैब टू लैंड’। मकसद यह था कि प्रयोगशाला में खेतीबाड़ी को लेकर जो शोध हो रहे हैं, जब वे खेत तक पहुचेंगे तभी किसानों को असली लाभ होगा। योगी सरकार ने अपने अब तक के कार्यकाल में 20 केवीके (कृषि विज्ञान केंद्र) की सौगात देकर इस नारे को साकार किया। मौजूदा समय में इनकी संख्या 69 से बढ़कर 89 हो गई। इसी मकसद से 336 कृषि कल्याण केंद्रों का निर्माण हो रहा है। प्रदेश में पहली बार 2019 में कृषि कुंभ का आयोजन हुआ।

हर फसली सीजन के शुरू में ‘द मिलियन फार्मर्स स्कूल’ के जरिए लाखों किसान खेतीबाड़ी की अद्यतन तकनीक के अलावा विभाग की योजनाओं से भी अवगत हुए। फसल विविधीकरण के जरिए किसान अपनी आय बढ़ाएं, इसके लिए झांसी में स्ट्राबेरी, मुजफ्फरनगर व लखनऊ में गुड़, सिद्धार्थनगर में काला नमक महोत्सव का आयोजन किया। सरकार की योजना उन सभी जिलों में ऐसे महोत्सव करने की है, जिनके ओडीओपी (एक जिला, एक उत्पाद) खेतीबाड़ी से जुड़े हों। किसान अपने ही बीच के नवाचारी और प्रगतिशील किसानों से खेतीबाड़ी के उन्नत तौर-तरीकों को सुनें, जानें और सीखें, इसके लिए किसान सम्मान योजना शुरू की गई। इसके तहत हर जिले से किसानों में से ही 100-100 रोल मॉडल चुने जा रहे हैं।

निर्विवाद सत्य है कि पानी को छोड़ खेती हर चीज की प्रतीक्षा कर सकती है। यही वजह है कि हर खेत तक पानी पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार और योगी सरकार ने कई महत्त्वाकांक्षी योजनाएं शुरू की हैं। सूखे के समय भी किसानों को भरपूर मात्रा में पानी उपलब्घ हो इसके लिए सरकार बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र में लगभग 24 हजार खेत तालाबों का निर्माण करा चुकी है। सरकार भारी-भरकम अनुदान पर 26080 सोलर पंप किसानों को उपलब्ध करा चुकी है। जल संसाधन की समृद्धि के मकसद से सरकार गंगा नदी के किनारे बहुउद्देशीय गंगा तालाबों का भी निर्माण करा रही है। कम पानी में अधिक से अधिक रकबे को सिंचित करने के मकसद से सरकार ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी सिंचाई की दक्ष विधाओं को प्रोत्साहित करने के लिए इन पर 80 से 90 फीसद तक अनुदान दे रही है। कोरोनाकाल में भी मुख्यमंत्री ने निजी रूप से इस बात में दिलचस्पी ली कि किसानों को मड़ाई, उपज बेचने और नई फसल के लिए खाद-बीज की कोई दिक्कत न हो।

पूर्ववर्ती सरकारों में प्रदेश की चीनी मिलें बेची या बंद की जा रही थीं जबकि मौजूदा योगी सरकार ने गोरखपुर के पिपराइच, बस्ती के मुंडेरवा में नई चीनी मिल लगवाई। संभल की  वीनस, सहारनपुर गागलहेड़ी और बुलंदशहर की बंद पड़ी वेव चीनी मिल को चालू करवाया। बागपत की रमाला मिल की क्षमता में वृद्धि की। सरकार ने कोरोनाकाल में भी प्रदेश की सभी चीनी मिलों का संचलन कराया। अब तक का रिकॉर्ड 1.78 लाख करोड़ रुपये से अधिक गन्ना मूल्य का भुगतान भी योगी सरकार के नाम है। गन्ना मूल्य में प्रति कुंतल 25 रुपये की वृद्धि तो ताजातरीन सौगात है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से 79 हजार करोड़ रुपये की खाद्यान्न खरीद और शत प्रतिशत भुगतान, पीएम किसान सम्मान निधि से किसानों को 48 हजार करोड़ रुपये से अधिक की सहायता, पीएम फसल बीमा योजना में 26 सौ करोड़ रुपये से अधिक की क्षतिपूर्ति आदि ऐसे उदाहरण हैं, जो योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में राज्य को किसान हित में पहले पायदान पर स्थापित करते हैं।  नेपोलियन बोनापार्ट ने कहा था, अगर चाहते हैं कि कोई काम श्रेष्ठतम हो तो उसे खुद करें।

योगी ने भी खेतीबाड़ी को जिया है। इसलिए खेती-किसानी में उनका योगदान श्रेष्ठ होना स्वाभाविक है। दरअसल, औरों के लिए अन्नदाता का हित राजनीति का विषय हो सकता है, पर आदित्यनाथ के लिए कतई नहीं। वह दिल से किसानों का हित चाहते हैं। कम लोगों को मालूम होगा कि सांसद रहते हुए कृषि विज्ञान केंद्र  (केवीके) की स्थापना के लिए उन्होंने सरकार को गोरखनाथ मंदिर की करीब 60 एकड़ जमीन दे दी। यह निजी क्षेत्र का प्रदेश का पहला केवीके था। इसके पीछे मंशा थी कि किसान केवीके के जरिए खेतीबाड़ी में अद्यतन प्रयोगों, फसल संरक्षा के सामयिक उपयोगी जानकारियों को जानकर कृषि विविधीकरण से अपनी आय बढ़ाएं।
(लेखक चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू में वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं)

डॉ. संतोष कु. सिंह


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