बतंगड़ बेतुक : गंभीर विषय पर गंभीर चिंतन

Last Updated 17 Apr 2022 12:19:29 AM IST

झल्लन आया तो न उसके चेहरे पर उत्साह था, न मुस्कुराहट की कोई लकीर थी, उसकी मुद्रा बेहद गंभीर थी।


बतंगड़ बेतुक : गंभीर विषय पर गंभीर चिंतन

हमने कहा, ‘क्या बात है झल्लन, तेरे मन में कहीं कोई पीर है सो आज तू इंतना गंभीर है।’ झल्लन बोला, ‘देखिए ददाजू, पीर-वीर कुछ नहीं पर हम अवश्यमेव गंभीर हैं और ईमानदारी से बताएं तो बेहद गंभीर हैं।’ हमने उसकी आंखों में झांका तो न तो वहां से चमक लौटकर आयी और न उसकी कोई पुतली मुस्कुराई। वह बोलो, ‘देखिए ददाजू, आज हम बहुत गंभीर रहना चाहते हैं और एक बहुत ही गंभीर बात को पूरी गंभीरता से आपके समक्ष रखना चाहते हैं। उम्मीद करते हैं कि आप भी पूरी गंभीरता से सुनेंगे, हमारी बात की गंभीर विवेचना करेंगे और गंभीर होकर ही हमारी बात का कोई गंभीर समाधान करेंगे।’
हमने कहा, ‘लगता है तू उम्र से पहले ही सठिया गया है, तेरा दिमाग बुझिया गया है। वे जमाने लद गये जब लोग गंभीर रहा करते थे, अपनी बात गंभीरता से कहा करते थे और लोग उन्हें गंभीरता से सुना करते थे। अब तो न कोई किसी की सुनता है और न किसी को गुनता है। सब अपनी-अपनी झोंक में रहते हैं, खुद ही कहते हैं खुद ही सुनते हैं। जब से सोशल मीडिया आया है तब से बड़े से बड़ा मूर्ख भी गंभीर चिंतक हो गया है और गंभीर से गंभीर चिंतक भी नकारा निर्थक हो गया है। ऐसे में तू कौन सा गंभीर विषय उठाएगा जिस पर गंभीरता से चर्चा चलाएगा?’ वह बोला, ‘देखिए ददाजू, हम आपको एक गंभीर व्यक्ति मानते रहे हैं, भले ही आपके गंभीर चिंतन-मनन को किसी ने घास न डाली हो फिर भी हम आपके विचारों की गंभीरता को पहचानते रहे हैं। इसीलिए हमने सोचा कि देश-दुनिया के कुछ गंभीर मुद्दे आपके सामने गंभीरता से उठाएं, गंभीर विचार-विमर्श करें और कुछ गंभीर निष्कषरे तक आयें।’
हमने कहा, ‘समझ में नहीं आ रहा कि तू गंभीरता का मजाक उड़ा रहा है या गंभीरता जैसे अगंभीर विषय को गंभीरता से उठाकर अक्ल के रस्से तुड़ा रहा है।’ वह बोला, ‘देखिए ददाजू, हमारी गंभीरता का आप अगंभीर मजाक उड़ा रहे हैं, हमें लगता है आप हमारी गंभीरता से अगंभीर होकर अपनी जान छुड़ा रहे हैं।’ हमने मुस्कुराते हुए कहा, ‘अच्छा चल, हम तेरी गंभीरता से अपनी जान नहीं छुड़ाएंगे और तेरी बातों में सचमुच कोई गंभीरता होगी तो उस पर चर्चा भी चलाएंगे। बता, कौन से गंभीर सवाल तेरे मन में जग रहे हैं या ऐसे कौन से सवाल हैं जो तुझे आज भी गंभीर लग रहे हैं?’ वह बोला, ‘ददाजू, बात मुस्कुराने की नहीं, गंभीर होकर सोचने की है सो गंभीरता से सोचने के लिए तैयार हो जाइए, अब हम सीधे गंभीर मुद्दे पर आ रहे हैं सो आप भी गंभीर हो जाइए।’ हमने कहा, ‘ठीक है, हो गये गंभीर, हम अपनी अगंभीरता को छांट रहे हैं अब बता तुझे गंभीरता के कौन से कीड़े काट रहे हैं?’

वह बोला, ‘देखिए ददाजू, हम पक्के देशभक्त प्राणी हैं सो हर समय देश की चिंता करते हैं, देश की चिंता में ही जीते-मरते हैं। यह बहुत ही गंभीर सवाल है जिस पर गंभीरता से सोचना पड़ेगा और कोई गंभीर उत्तर खोजना पड़ेगा। अब आप बताइए, आपको अपने देश का भविष्य कैसा नजर आता है, सिर्फ अंधकार ही अंधकार है या कुछ उजाला भी नजर आता है? आप हमसे कुछ पूछें इससे पहले ही हम आपको बता दें कि हमें आज का समूचा माहौल विचलित कर रहा है और हमें देश का भविष्य अच्छा नहीं लग रहा है।’ हमने कहा, ‘तू भूमिका क्यों बांध रहा है सीधे-सीधे बता कहना क्या चाह रहा है?’ वह बोला, ‘देखिए ददाजू, महंगाई आसमान छू रही है बेरोजगारी पाताल छू रही है, भ्रष्टाचार कम नहीं हो रहा है, चाहे दक्षिण का प्रदेश हो या उत्तर का प्रदेश, हर जगह हर नेता, हर अफसर अपनी झोली भर रहा है। समस्याएं बढ़ रही हैं और असफल सरकारें अपनी सफलता के कसीदें पढ़ रही हैं, सत्ता पक्ष गर्व से अपनी मूछें मरोड़ रहा है और विपक्ष अपनी बेलगाम मूर्खताओं के रिकार्ड तोड़ रहा है, देश के हिंदू-मुसलमान डर से नहीं गुस्से से भरे हुए हैं, इंसाफ या नाइंसाफ सबका हिसाब करने पर उतरे हुए हैं। साम्प्रदायिक दुश्मनी बढ़ती जा रही है, नफरत नयी-नयी ऊंचाइयां चढ़ती जा रही है, मीडिया हो या राजनीति, नफरत फैलाने वाले नियंत्रणहीन हो रहे हैं और ऐसे में शांति और समरसता की चाह रखने वाले सभी गंभीर व्यक्ति गहरी नींद सो रहे हैं। इन्हीं गंभीर बातों को लेकर हमें गंभीर चिंता सता रही है पर कोई भी गंभीर जमात हमें इनसे बाहर निकलने का गंभीर रास्ता नहीं बता रही है।’
हमने कहा, ‘तू पागल है झल्लन, ये सारी चीजें शताब्दियों से चली आ रही हैं और शताब्दियों तक चलती रहेंगी, ऐसी समस्याओं का कभी कोई हल नहीं निकला है ये आगे भी फूलती-फलती रहेंगी। वैसे भी यह युग दिमाग के ढक्कन बंद कर सिर्फ तमाशा देखते रहने का है और अगर इन्हें  लेकर दिल में कहीं दर्द उठता हो तो चुपचाप सहते रहने का है।’ झल्लन बोला, ‘ददाजू, आज हम बात आगे नहीं बढ़ाएंगे पर रुकेंगे नहीं, इस पर चर्चा जरूर चलाएंगे।’

विभांशु दिव्याल


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment