फेसबुकआउटेज : आईटी विफलता के कारण

Last Updated 12 Oct 2021 12:43:22 AM IST

हमारे देश भारत में 30 करोड़ से ज्यादा सक्रिय फेसबुक उपभोक्ता हैं, और 40 करोड़ से ज्यादा लोग व्हाट्सएप को अपनी जीवनशैली का आवश्यक अंग बना चुके हैं।


फेसबुक आउटेज, आईटी विफलता के कारण

इंस्टाग्राम भी धीरे-धीरे काफी लोकप्रिय हो रहा है, जहां लोग अपने रोचक और आकषर्क चित्र और वीडियो डालकर अपने जानने वालों का मनोरंजन करते हैं। कई लोग व्हाट्सएप पर गुड मॉर्निग संदेश भेजकर अपने दिन की शुरुआत करते हैं। फिर दिन भर अलग-अलग उद्देश्यों से इन एप्स का उपयोग किया जाता है।

वैसे में बीते सोमवार 4 अक्टूबर को अचानक ही फेसबुक के सारे एप्स एक साथ रुक गए। यह विच्छेद भारतीय समयानुसार रात के 9:30 के करीब हुआ और सारी सेवाएं सुबह के 3:20 तक वापस बहाल हो गई। इसका मतलब कि हमारे देश भारत में सामान्य व्यवसाय पर इसका असर नहीं पड़ा, लेकिन व्हाट्सएप की अनुपलब्धता के कारण सगे-संबंधियों से बात करने में परेशानी हुई। यूरोप, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे महाद्वीपों में यह विच्छेद व्यावसायिक समय में हुआ, इसलिए उपभोक्ताओं को ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ी। दुनिया के तमाम इलाकों में कई छोटे और मझोले व्यवसाय फेसबुक की विभिन्न विशेषताओं का उपयोग कर अपना बिजनेस प्रभावी तौर पर संचालित करते हैं।

अचानक हुए विच्छेद से परेशान फेसबुक ने तुरंत प्रेस विज्ञप्ति जारी कर साफ किया कि यह साइबर हमला नहीं था, बल्कि इसका कारण दोषपूर्ण कॉन्फगिरेशन बदलाव था। इस समस्या का प्रमुख कारण बॉर्डर गेटवे प्रोटोकॉल (बीजीपी) में त्रुटि का आना माना जा रहा है। बीजीपी की मदद से ही हम सही वेबसाइट तक आसानी से पहुंच पाते हैं। एक अपडेट के कारण सिस्टम में त्रुटि आ गई, जिसके कारण कंपनी के सर्वर का पता इंटरनेट से गुम हो गया। इंटरनेट दुनिया भर के कंप्यूटरों का एक जाल है, जिसमें अनगिनत कंप्यूटर, सर्वर और डाटा सेंटर आपस में जुड़े होते हैं। हमारे कंप्यूटर और फोन दूसरे महाद्वीप में सुदूर अवस्थित डाटा वेयरहाउस के डेटा तक राउटर की मदद से पहुंच पाते हैं।

राउटर ही इन डाटा सेंटर में जानकारी के लिए अनुरोध भेजने में मदद करते हैं, जो उन्हें बीजीपी के माध्यम से मिलते हैं। फेसबुक की समस्या इसीलिए उत्पन्न हुई कि दोषपूर्ण कॉन्फगिरेशन बदलाव के कारण राउटर्स फेसबुक के डाटा सेंटर का पता भटक गए। इसलिए राउटर्स को ऐसा लगा कि डाटा सेंटर मौजूद ही नहीं हैं। ऐसी समस्या का समाधान यही है कि राउटर्स को डाटा सेंटर्स का पता बताया जाए। हालांकि फेसबुक के मामले में ऐसा प्रतीत होता है कि उनके कर्मचारी भी उसी नेटवर्क से जुड़े थे, जो दोषपूर्ण था, इसीलिए वे आंतरिक सहकर्मिंयों से संपर्क नहीं कर पाए। एकीकृत नेटवर्क होने के कारण डाटा सेंटर का रिमोट एक्सेस भी संभव नहीं था। ऐसे में दूसरा समाधान यह था कि जिम्मेवार कर्मचारी डाटा सेंटर में खुद जाकर पुरे सिस्टम को रिफ्रेश और राउटर्स को ठीक करें।

रेड्डिट की अब हटाई गई एक रिपोर्ट के मुताबिक उनके पहचान पत्र के प्रमाणीकरण के लिए उपयुक्त सूचना भी उसी नेटवर्क से जुड़ी थी। विच्छेद के कारण उनके परिसर में घुसना भी संभव नहीं था। इन सभी कारणों से ही फेसबुक आउटेज की समस्या का निदान करने में अच्छा खासा समय लगा। किसी भी प्रमुख कंपनी में होने वाला यह अब तक का सबसे बड़ा विच्छेद था। फेसबुक अपना सारा डाटा एक ही केंद्रीकृत सर्वर पर रखता है। इसलिए इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप इत्यादि फेसबुक के दूसरे उपक्रम भी इस विच्छेद के कारण बंद हो गए। फेसबुक जैसी वैश्विक और बड़ी कंपनी की सेवाओं में विच्छेद आईटी व्यवसाय के लिए बड़ा मुद्दा है। बेहतर प्रक्रिया से ऐसी अवांछित घटनाओं से निजात पाई जा सकती है।

ऐसी समस्या से निजात पाने के लिए बड़ी कंपनियों के पास वैकल्पिक व्यवस्था का होना अति आवश्यक है। इस समस्या से यह भी सीख मिलती है कि कंपनी के बाह्य  और आंतरिक उपयोग के लिए अलग-अलग नेटवर्क का उपयोग करना बेहतर होगा। साथ ही एक ही कंपनी के अलग-अलग उपक्रम के लिए पृथक नेटवर्क का उपयोग करने से एक त्रुटि से सारे समूह को बाधित होने से बचाया जा सकता है।  संयोगवश यह घटना वैसे समय में घटित हुई जब फेसबुक की पूर्व कर्मचारी फ्रांसिस हॉगन अमेरिकी कांग्रेस में फेसबुक के अनैतिक व्यावसायिक आचरण के बारे में बात करने वाली थीं। यह घटना उपभोक्ताओं को भी सबक देती है कि किसी एक सेवा प्रदाता पर आश्रित नहीं होना चाहिए। हम ईमेल और टेक्स्ट जैसी मूलभूत और ज्यादा विसनीय सुविधाओं का उपयोग कर फेसबुक आउटेज जैसी समस्याओं के नकारात्मक प्रभाव से बच सकते हैं।

प्रभात सिन्हा


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment