सरोकार : नेपाल में महिला अधिकार को एक और धक्का

Last Updated 21 Feb 2021 01:14:47 AM IST

नेपाल में इन दिनों एक प्रस्तावित कानून पर काफी बवाल मचा है।


सरोकार : नेपाल में महिला अधिकार को एक और धक्का

यह नया कानून परिवार वालों और सरकारी अधिकारियों की अनुमति के बिना औरतों की विदेश यात्रा पर प्रतिबंध लगाता है। आव्रजन विभाग ने अभी हाल ही में यह प्रस्ताव रखा है। इसमें कहा गया है कि 40 साल से कम उम्र की सभी औरतों को पहली बार अफ्रीका या पश्चिम एशिया जाने से पहले अनुमति लेनी होगी।
महिलाओं की तस्करी को रोकने के लिए से कानून की पेशकश की गई है। वैसे विभाग का कहना है कि यह कानून सिर्फ ‘संवेदनशील’ औरतों पर लागू होगा और इसे अंतिम रूप दिया जाना बाकी है। इस प्रस्ताव के बाद लोग विरोधस्वरूप सड़कों पर हैं और इस कानून को असंवैधानिक और ‘हास्यास्पद’ बता रहे हैं। काठमांडू में सैकड़ों महिलाओं ने जमा होकर महिला अधिकारों के हनन के विरोध में जुलूस निकाला। इस कानून को पितृसत्तात्मक सोच वाला बताया। नेपाल के मानवाधिकार आयोग के अध्ययनों के अनुसार, 2018 में 35 हजार लोग तस्करी के शिकार हुए थे। इनमें अगर महिलाओं की संख्या 20 हजारक के करीब है, तो 15 हजार पुरुष भी हैं। तो सिर्फ  महिलाएं मानव तस्करी का शिकार नहीं होतीं। इसके लिए आव्रजन कानूनों में हर जेंडर के लोगों पर विचार किया जाना चाहिए।

पिछले कई दशकों से नेपाल में यात्रा प्रतिबंधों के जरिए मानव तस्करी को रोकने की कोशिश की जा रही है। 2017 में सरकार ने इस बात पर पाबंदी लगाई थी कि नेपाली लोग खाड़ी देशों में घरेलू कामगार के रूप में काम नहीं कर सकते। इस पहल के पीछे भी महिलाओं की तस्करी को रोकना था, लेकिन इसका नतीजा यह हुआ कि खाड़ी देशों में घरेलू कामगार नेपाली औरतें, आधुनिक दौर की गुलाम बन गई। ऐसे कई किस्से सुनने को मिले, जब किसी खाड़ी देश में काम करने वाली घरेलू कामगार को अपने मालिक के उत्पीड़न से बचने के लिए जेल की हवा खानी पड़ी। सभी खाड़ी देशों में कफाला प्रणाली के तहत प्रवासी घरेलू कामगारों को काम पर रखा जाता है जिसमें कामगार के कहीं आने जाने पर उसके मालिक का नियंत्रण होता है। वह उनका पासपोर्ट अपने पास रखता है और देश छोड़ने या नौकरी बदलने पर उसी का कानूनी नियंत्रण होता है। नेपाल में काफी गरीबी है। इस स्थिति में औरतों के लिए सबसे अच्छा यह होता है कि वे घरेलू कामगार बन जाएं। खाड़ी देश उन्हें सबसे ज्यादा आकर्षित करते हैं, जहां घरेलू कामगारों को करीब 400 डॉलर तक हर महीने मिल जाते हैं। 2017 की नीति के बाद नेपाली महिलाओं ने खाड़ी देशों में जाना तो बंद नहीं किया पर वहां तक पहुंचने का रूट जरूर बदल दिया। वे भारत होकर खाड़ी देश जाने लगीं। हां, शोषण से तब भी नहीं बच पाई। फिलहाल नये कानून का विरोध इसलिए भी किया जा रहा है क्योंकि पाबंदी किसी समस्या का हल नहीं हो सकता। तस्करी को रोकने की कोशिश में महिलाओं की यात्रा पर पाबंदी लगा दी जाएगी तो यह सिर्फ  अधिकारों का हनन होगा। उधर गाजा पट्टी में हमास के नियंत्रण वाली शरिया अदालत ने कहा है कि यात्रा के लिए औरतों को पुरुष गार्जियन की जरूरत होगी। अविवाहित महिलाओं को यात्रा के लिए किसी गार्जियन की मंजूरी लेनी होगी, और गार्जियन उसका पिता या परिवार का कोई पुरुष सदस्य होगा। इस मंजूरी को अदालत में रजिस्टर कराना होगा, तब पुरुष को यात्रा में महिला के साथ रहने की जरूरत नहीं होगी।

माशा


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