नशा और तबाही, भारत में नशे का कारोबार

Last Updated 30 Nov 2020 12:33:25 AM IST

भारत में नशे का कारोबार तेजी से फैल रहा है। हर आयु-वर्ग का व्यक्ति इसकी गिरफ्त में है।


नशा और तबाही, भारत में नशे का कारोबार

नशा कुछ के लिए आदत है, तो कुछ के लिए स्टेटस सिंबल। कुछ नशा इसलिए भी करते हैं, ताकि अपने गमों को गलत कर सकें। लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि गमों को गलत करते-करते एक दिन यही नशा उनकी जान ले लेता है। यह दौर न सहादत हसन मंटो का है, न मिर्जा गालिब का न खुशवंत सिंह का। यह वो दौर है, जिसमें आपको नशे के साथ नशा नहीं; बल्कि अपने काम, अपने संघर्ष के साथ नशा करना है, ताकि भविष्य में उसका ‘सुफल’ आपको मिल सके।
युवा पीढ़ी नशे में बेइंतहा संलिप्त है। युवा दरअसल ऐसा सोचते हैं कि नशा उन्हें सुख देगा। जीवन में लड़ने का हौसला देगा। दुनिया भर की परेशानियों से निजात दिलाएगा। उनका यह सोचना नितांत गलत है। नशा किसी सफलता, विफलता या अवसाद का सिंबल नहीं बन सकता। यह शरीर को सिर्फ  खोखला कर सकता है। उसका अंत कर सकता है। किंतु जीवन का मानक कभी नहीं बन सकता।

गए साल आई फिल्म ‘कबीर सिंह’ का नायक भी भयंकर नशेड़ी और गुस्सैल था। उसके लिए उसकी हर परेशानी का एकमात्र समाधान या तो शराब थी या फिर ड्रग्स। दरअसल, फिल्मों में दिखाए जाने वाले ऐसे ही चरित्र युवाओं को नशे की तरफ आकर्षित करते हैं। वे भी कबीर सिंह होना चाहते हैं। उसकी तरह अपनी जिंदगी को जीना चाहते हैं। लेकिन वे यह नहीं समझते कि फिल्मी दुनिया और हकीकत में जमीन आसमान का अंतर होता है। दो-ढाई घंटे की फिल्म आपका मनोरंजन तो कर सकती है, किंतु जीवन के संघर्ष में आपके साथ नहीं आ सकती। उससे तो आपको खुद ही लड़ना-भिड़ना पड़ेगा। और यह बिना शराब के ही संभव हो सकता है।
पिछले दिनों सुशांत सिंह राजपूत की मौत और अभी हाल में भारती सिंह की ड्रग्स लेने व रखने में हुई गिरफ्तारी से बॉलीवुड ही नहीं, देश में भी नशे पर बहस तेज हो गई है। टीवी पर तो डिबेट हो ही रही है। अब यह  बहस उठकर हमारे घरों तक भी पहुंच चुकी है। क्यों न पहुंचे। यह  बहस जरूरी है। लेकिन इस मुद्दे पर सिर्फ  बहस कर लेना पर्याप्त नहीं, इसमें समाज को भी अपनी जिम्मेदारी व भूमिका बराबर निभानी होगी।
सब जानते हैं, बॉलीवुड का नशे और ड्रग माफियाओं के साथ कनेक्शन पुराना है। इस बाबत तमाम खबरें टीवी चैनलों पर आई हैं। कई बड़े सेलिब्रिटीज से पूछताछ भी हुई है, उनकी जांच भी चल रही है। एनबीसी (नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो) अपना काम कर रही है। लेकिन बॉलीवुड सेलिब्रिटीज का यों नशे की गिरफ्त में होना ज्यादा आश्चर्यचकित तो नहीं करता, पर यह चिंता की तरफ जरूर धकेलता है क्योंकि देश का बड़ा युवा वर्ग इन्हें फॉलो करता है। इनके जैसा होने-बनने की चाह रखता है। यह कहना गलत न होगा कि सेलिब्रिटीज देश के बड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे बहुतेरे लोगों की प्रेरणा बनते हैं। लेकिन जब वे ही तरह-तरह के नशे में लिप्त पाए जाएंगे, उनके नशा लेने की खबर अखबारों की सुर्खियां बनेंगी, तो कैसे और किस दम पर युवा उन्हें अपनी प्रेरणा मानेगा।
अभी हाल में भारती सिंह की खबर ने ही बहुतों को अवश्य चौंकाया होगा कि वह भी ड्रग्स लेती है! एक अल्हड़ और भोली-सी लड़की दिखते रहने के बाद अब उसकी इमेज क्या रह गई होगी उसके चाहने वालों के बीच। तो क्या हम यह मान लें कि बॉलीवुड में सब ऐसा ही चलता है? छोटे या बड़े सेलिब्रिटीज (अपवादों को छोड़कर) नशे के आदी हैं? फिर, समाज के बीच उनकी छवि क्या रह जाती होगी? ये कुछ सवाल हैं, जो प्राय: मन में आते ही हैं। अभी भारती का मामला खुला है, कल को कोई और भी हो सकता है। उन्हें पसंद करने वाले तो फिर ठगे से ही रह गए न। बॉलीवुड के सेलिब्रिटीज को इस बारे में अवश्य विचार करना होगा।
सेलिब्रिटीज यह न भूलें कि समाज के प्रति उनकी भी जिम्मेदारी है। समाज उन्हीं से सीखता भी है और उन्हीं के जैसा बनना भी चाहता है। नशा बीमारी ही नहीं, जीवन की तबाही है। नशा अवसाद और आत्महत्या दोनों ही बढ़ा रहा है। युवा पीढ़ी को इस अंधेरे में जाने से रोकने की जिम्मेदारी हम सब की है। एनडीडीटी (नेशनल ड्रग डिपेंडेंट ट्रीटमेंट), एम्स की रिपोर्ट बताती है कि अकेले भारत में ही तकरीबन 16 करोड़ लोग शराब का नशा करते हैं। क्या नशे की यह तस्वीर भयावह नहीं!

अंशुमाली रस्तोगी


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment