बतंगड़ बेतुक : पिकनिक मनाकर चला जाएगा आंदोलन

Last Updated 29 Nov 2020 03:01:26 AM IST

झल्लन हमारे निकट आया और बोलते हुए झुंझलाया, ‘ददाजू, हम समझ नहीं पाये हैं कि हमारी सरकार समझ नहीं पाती है या समझा नहीं पाती है।’


बतंगड़ बेतुक : पिकनिक मनाकर चला जाएगा आंदोलन

हमने कहा, ‘सरकार की समझ का चिंतन बाद में कर लेंगे, पहले तू बता कि तू पिछले दो दिनों कहां रहा, कोई काम करता रहा कि फालतू में इधर-उधर भटकता रहा?’ झल्लन बोला, ‘देखिए ददाजू, हम जिम्मेदार नागरिक हैं सो इधर-उधर नहीं भटकते हैं, सो आप भी हमें न भटकाएं, बस, हमने जो पूछा है उसका जवाब हो तो वो बताएं। रही दो दिनों की बात तो हमारे किसान भाई कृषि कानून वापस लेने की मांग लेकर लाव-लश्कर के साथ दिल्ली आ रहे थे तो उनके साथ अपनी एकजुटता दर्शाने हम भी उनके साथ जा रहे थे।’
हमने कहा, ‘तो तू किसानों के दिल्ली कूच आंदोलन में होकर आया है, तो पहले यही बता कि वहां क्या कर आया है, कोरा ही वापस लौटा है या कुछ अनुभव भी बटोर लाया है?’ वह बोला, ‘हम भांति-भांति के किसानों से मिलकर आये हैं और अपने अनुभव का पिटारा लबालब भर लाये हैं, पर साथ में जो शंकाएं मिली हैं उनके समाधान के लिए आपके पास आये हैं। तो बताइए, हमारी सरकार कैसी सरकार चलाती है जो न तो अपने किसानों को समझ पाती है और न उन्हें समझा पाती है?’ हमने कहा, ‘पहले ये बता तू किन-किन और कैसे-कैसे किसानों से मिलकर आया है और उनसे मिलकर तू खुद क्या समझ पाया है?’ झल्लन बोला, ‘देखिए ददाजू, वहां अलग-अलग किस्म के किसान थे। सिख किसान थे तो गैर-सिख किसान थे, पंजाबी किसान थे तो हरयाणवी किसान थे। विपक्षी किसान थे जो कूच में साथ चल रहे थे और सरकारी किसान थे जो मन-ही-मन जल रहे थे। जो विपक्षी किसान थे उनमें विरोध का जज्बा फुलान था और जो सरकारी किसान थे वो विरोध पर हैरान थे। कांग्रेसी किसान कानून को काला बता रहा था तो सरकारी किसान नये कानून को किसानों के जीवन का नया उजाला बता रहा था। जो आंदोलन नहीं कर रहा था वह हमराह किसान था और जो आंदोलन कर रहा था वह गुमराह किसान था। अब आप बताइए ददाजू, एक ही कानून एक ही समय में राहुल बबुआ के लिए काला हो जाता है और वही कानून सरकार की नजर में उजाला हो जाता है?’

हमने कहा, ‘सुन झल्लन, काला और उजाला का चक्कर और किसी कानून के विरोध और समर्थन का मसला कानून के गुण-दोष के हिसाब से नहीं उठता, दलों और नेताओं की राजनीति, स्वार्थ और दूसरों के प्रति खुन्नस निकालने के लिए उठता है। रही आंदोलन की बात तो जिनमें दम-खम होता है और जो पहले से ही संगठित मजबूत होते हैं वही आंदोलन कर पाते हैं और जो बिखरे, कमजोर और मजबूर होते हैं वे आंदोलन की सोच तक नहीं पाते हैं, बेचारे अपनी नियति के मारे अपनी बदहाली पर मन मसोसकर रह जाते हैं।’ झल्लन बोला, ‘पर ददाजू, नये कानून पर अपनी राय तो दीजिए और हमारी शंका का समाधान तो कीजिए। इससे किस किसान का नफा होगा किसका नुकसान, इस पर थोड़ी चर्चा तो कीजिए।’ हमने कहा, ‘सुन झल्लन, यहां भांति-भांति के मजदूर हैं, भांति-भांति के किसान हैं। कुछ बड़े किसान हैं जो अपने यहां मजदूरों को काम पर लगाते हैं, और खुशहाल हैं। बहुत से किसान जीने के लिए खुद मजदूर हो जाते हैं, और बदहाल हैं। किसान-किसान में बहुत अंतर होता है और उनका नफा-नुकसान भी उनके कस-बल से तय होता है। जो अंतर तुझे बड़े नेता और छुटभइया कार्यकर्ता में दिखाई देगा, जो अंतर तुझे बड़े पूंजीपति और एक छोटे दुकानदार में दिखाई देगा, जो अंतर तुझे एक बड़े अधिकारी और चपरासी में दिखाई देगा वही अंतर तुझे बड़े खुशहाल किसान और छोटे बदहाल किसान में दिखाई देगा। अब किसी सरकार की औकात नहीं है जो बड़े, ताकतवर और राजनीति पर दबदबा रखने वाले किसानों की खुशहाली पर खरोंच ला सके और इस लोकतंत्र में किसी सरकार की इत्ती औकात नहीं है जो करोड़ों बदहाल किसानों का जीवन स्तर सचमुच उपर उठा सके।’ झल्लन बोला, ‘साफ-साफ बताइए, जो नया कानून आया है उससे क्या होगा, किसानों का अच्छा होगा या बुरा होगा?’
हमने कहा, ‘देख झल्लन, किसानों का जितना बुरा होता आया है, इस कानून से इससे ज्यादा बुरा नहीं होगा और इसके जितना अच्छा होने की हवा बांधी गयी है उतना अच्छा भी नहीं होगा।’ झल्लन बोला, ‘क्या ददाजू, आपने तो जलेबी बना दी और जिस बात में से कोई ओर-छोर न निकले वैसी ही बात बता दी। पर यह तो बताइए कि किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल पाएगा और यहां से यह आंदोलन कहां जाएगा?’ हमने कहा, ‘इस लोकतंत्र का न्यूनतम समर्थन मूल्य झूठ, ढोंग, पाखंड, सत्ता-चाह, भ्रष्टाचार और मक्कारी है और इस समर्थन मूल्य की बिना पर जिंदा रहना हर मजदूर-किसान की लाचारी है। रही इस आंदोलन की बात तो यह कुछ दिन हुल्लड़ मचाएगा, कुछ मांगें मनवा लेगा तो कुछ दिल्ली में ही गिरा जाएगा, फिर पिकनिक मनाकर वापस घर चला जाएगा, पर जो सूरत बदलनी चाहिए वह कभी नहीं बदल पाएगा।’

विभांशु दिव्याल


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment