मुद्दा : लव जिहाद पर नकेल

Last Updated 27 Nov 2020 03:32:26 AM IST

लव जिहाद इस शब्द की उत्पत्ति सबसे पहले केरल से हुई। केरल के मुख्यमंत्री रहे अच्युतानन्दन, जो वामपंथी पार्टी के थे, ने लव जिहाद शब्द के बारे में सबसे पहले स्वीकारोक्ति दी थी।


मुद्दा : लव जिहाद पर नकेल

इस स्वीकारोक्ति के साथ ही केरल हाई कोर्ट में एक मामला सामने आया। इस मुकदमे में जस्टिस केटी शंकरन, जो केरल हाई कोर्ट के विद्वान न्यायाधीश थे, ने अपने आदेश में बाकायदा इस बात का जिक्र किया कि दिसंबर 2009 तक केरल में लगभग तीन-चार हजार ऐसे मामले थे, जिनका ट्रेंड एक ही था। इनमें ईसाई, हिन्दू एवं अन्य धर्मीय महिलाओं को मुस्लिम कट्टरपंथियों ने एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत अपने प्रेमजाल में फंसाकर बाद में उनसे विवाह कर उनका धर्मातरण किया था। केरल हाई कोर्ट ने इस मामले में केरल पुलिस को जांच का भी  जिम्मा सौंपा था। चूंकि केरल की पुलिस वहां के राजनीतिक दबाव के चलते उसका जो अन्वेषण होना चाहिए था, उसमें कोताही बरती, इसलिए इस बात को भी रेखांकित करते हुए जस्टिस  शंकरन ने लव जिहाद की घटनाओं पर मुहर लगाने का काम किया।

वहां की चर्च भी  लगातार ईसाई लड़कियों को बहला-पुसला कर प्रेम जाल में फंसाकर बाद में उनका धर्मातरण कर विवाह करने के मामले में लगातार आवाज उठाता रहा। आज भी वहां के सायरो-मालाबार चर्च में मास के दौरान कई बार यह मुद्दा वहां के धर्मगुरु ओं ने उठाया कि किस तरह से केरल में लगातार लव जिहाद के मामले हो रहे हैं। केरल की सरकार को इस पर पहल करके कार्रवाई करनी चाहिए थी, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई। इसी तरह केरल के हदिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल जांच एजेंसी को भी लव जिहाद के पैटर्न की जांच करने के निर्देश दिए थे। एनआईए ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा कि वहां पर एक ऐसा पैटर्न दिखाई देता है, जिसमें हजारों युवतियों को प्रेम जाल में फांसकर धर्मातरण करके बाद में मुस्लिम बनाया गया है। एनआईए की जांच भी  अभी तक खुली हुई है।

केरल के अतिरिक्त अन्य राज्यों, जैसे महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश  में भी लव जिहाद की घटनाएं आई हैं। झारखंड में तो बाकायदा एक राष्ट्रीय स्तर के शूटर तारा सहदेव ने इस मामले में बताया कि किस तरह से उसे एक मुस्लिम लड़के ने हिन्दू बनकर पहले प्रेम जाल में फंसाया, बाद में उससे विवाह कर लिया और विवाह करने के बाद उस पर मुस्लिम बनने के लिए दबाव डालने लगा। जब उसने मना किया, तो उसने उस पर उत्पीड़न का काम शुरू कर दिया। सेलिब्रेटी शूटर होने के कारण इस मामले को खुलने के बाद पूरे देश की निगाहें  इस पर गई।

इसलिए पूरे देश में इस पर चर्चा हुई, लेकिन झारखंड में भी लव जिहाद के खिलाफ किसी प्रकार के कानून बनाने की बात नहीं हुई। हरियाणा के वल्लभगढ़ में निकिता तोमर के मामले में एक कांग्रेसी विधायक के परिजनों ने निकिता तोमर पर विवाह करने और धर्मातरण करने का दबाव बनाया। जब निकिता तोमर ने धर्मातरण और विवाह करने से इंकार कर दिया, तो नृशंसता से उसको गोली मारकर उसकी हत्या कर दी गई। इसके बाद वहां मनोहरलाल खट्टर सरकार ने लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून बनाने की पहल शुरू कर दी है। उत्तर प्रदेश, विशेषकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ऐसे सैकड़ों मामले सामने आए हैं, जिनमें गुड्डू, बबलू, दीपू बनकर मुस्लिम लड़कों ने हाथ में कलावा पहनकर बाकायदा हिन्दू लड़कियों को अपने प्रेम जाल में फंसाया, बाद में धर्मातरण कर विवाह करने पर मजबूर किया।

मुस्लिम धर्म में लड़कियों को अपने धर्म से बाहर विवाह करने की इजाजत नहीं है। ऐसे में दिल्ली में राहुल राज का मामला ध्यान देने योग्य है, जहां पर राहुल ने एक मुस्लिम लड़की से प्यार किया तो मुस्लिमों ने उसे अपने मोहल्ले में बुलाकर उसकी नृशंसतापूर्वक हत्या कर दी। यदि मुस्लिम लड़की हिन्दू लड़के से प्यार करती है तो मुस्लिम समाज उसे स्वीकृति प्रदान नहीं करता है, तो दूसरी तरफ लव जिहाद के मामले में जब हिन्दू लड़की को मुस्लिम लड़के ले जाते हैं तब तमाम मौलवी इसे प्यार का मामला बताते हैं, इसमें तो लव जिहाद जैसी कोई चीज ही नहीं है या काल्पनिक है या भाजपा, विश्व हिन्दू परिषद  या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा फैलाया गया भ्रम है, ऐसे दावे करते हैं। विश्व हिन्दू परिषद ने 164 मामले सामने लाए हैं, जिनमें हिन्दू लड़कियों को बहला-फुसलाकर धर्मातरित कर उनसे विवाह किया गया और कालान्तर में उन लड़कियों को छोड़ दिया गया। विश्व हिन्दू परिषद ने ऐसे 164 परिवारों की बाकायदा सूची बनाकर उन घटनाओं का अभियुक्तों का वर्णन दिया है। फिर  भी इन घटनाओं को लगातार मुस्लिम संगठन काल्पनिक करार देते हैं।

मुसलमानों में विवाह के सन्दर्भ में जब लड़की अन्य धर्म की है, तब उसके विवाह की मान्यता ही नहीं दी जाती है। जो ग्रंथ आधारित धर्म (इस्लाम, ईसाईयत और यहूदी) हैं, इनकी लड़कियों का मुसलमानों से विवाह करने के लिए धर्मातरण करना आवश्यक नहीं है। लेकिन जो इनके बाहर की लड़कियां हैं, उनको विवाह करने से पहले काजी के सामने धर्मातरण करना आवश्यक है। ऐसे में अधिकांश लड़कियों को पहले धर्मातरण करने के लिए मजबूर किया जाता है। ऐसे में अब योगी आदित्यनाथ की सरकार ने उत्तर प्रदेश में लव जिहाद को रोकने के लिए जिस तरह से संविधान सम्मत कानून बनाने का कार्य किया है, उससे इस षडयंत्र से समाज को राहत मिलेगी, धर्मातरण रु केगा तथा दोषियों को सजा मिलेगी। योगी सरकार की तर्ज पर मनोहरलाल खट्टर की सरकार हरियाणा में और शिवराज सिंह की सरकार मध्य प्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून बना रही है। इसमें जो लव जिहाद को समर्थन देगा यानी जो इस तरह के मामले में उकसावा देंगे, उनके खिलाफ भी दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

चूंकि भारत में स्पेशल मैरिज एक्ट यानी विशेष विवाह अधिनियम का प्रावधान है, इसके तहत किसी अंतरधार्मिंक विवाह के लिए वर और वधू को कलेक्टर कार्यालय में पंजीनियन कराकर एक माह  की अवधि की नोटिस दी जाती है। यदि एक माह अवधि की नोटिस मिलेगी, तो ऐसे मामलों में जो दिग्भ्रमित करने की संभावनाएं हैं, वह समाप्त हो जाएंगी। इस स्पेशल मैरिज एक्ट का यानि विशेष विवाह अधिनियम का सदुपयोग करके विवाह करने के बजाय जो लड़कियों के धर्म को धर्मातरित करके विवाह किया जा रहा है, वह पूरी तरह प्रतिबंधित हो जाएगा। इस तरह धर्मातरण कर विवाह करने वाले दंड के पात्र होंगे। इस कानून को सुनते ही लव जिहाद के समर्थक अपनी छाती पिट रहे हैं। लेकिन यह स्त्री अधिकारों के लिए यह एक आवश्यक कदम है और इस कदम को उठाकर निश्चित तौर  पर जो छल, बल के आधार पर धर्मातरण करा रहे हैं, उनको रोकने का एक संविधान सम्मत कार्य जो योगी सरकार ने किया है , उसका हर किसी को स्वागत करना चाहिए।

आचार्य पवन त्रिपाठी


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