प्रदूषण : और बढ़ेगा कोरोना का खतरा
अभी तक इस ओर ध्यान कम ही गया था कि प्रदूषण कोरोना को फैलाने में सहायक है, लेकिन अब विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से पता चल रहा है कि कोरोना फैलाने में प्रदूषण सबसे बड़ा कारक है।
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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का मानना है कि दिल्ली की हवा जहरीली हो चुकी है, इसकी वजह से सांस संबंधी बीमारियां तेजी से उभर रही हैं, इस कारण कोरोना महामारी दोबारा विकराल रूप धारण कर सकती है। हालांकि इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च के महानिदेशक बलराम भार्गव ने सितम्बर के मध्य में कहा था कि हमारे यहां चरम स्थिति कोरोना की नहीं आएगी, लेकिन पिछले कई दिनों से दिल्ली में कोविड-19 के मरीजों की संख्या 6 हजार से ऊपर पहुंच गई। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इसमें दिल्ली का बढ़ता प्रदूषण ही मुख्य कारण है। इस बात से चिकित्सक पूर्णत: परिचित हैं कि बढ़ते प्रदूषण से विभिन्न बीमारियां मनुष्य के भीतर डेरा जमाने में कामयाब हो रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के पास आंकड़े हैं कि हर वर्ष प्रदूषण के प्रभाव से 70 लाख मनुष्य काल का ग्रास बन रहे हैं। इसका एक मतलब यह भी है यह मृत्यु दर और बढ़ सकती है, यदि हमने प्रदूषण रोकने के उपाय नहीं किए।
प्रदूषण सिर्फ वायु में ही नहीं है। यह मुख्य रूप से तीन प्रकार से हमारे सम्मुख उपस्थित है। पहला प्रदूषण वायु है। इसमें उपस्थित तीन तरह के विशिष्ट तत्व वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, ओजोन और सल्फर डाइऑक्साइड। वातावरण में छायी धुंध और धूलकण यानी स्मॉग भी एक प्रकार का वायु प्रदूषण है: इसके होने से सांस लेने में तकलीफ, खांसी और आंखों में जलन होती है। दूसरा प्रदूषण जल है। इसके कारण पेट और त्वचा संबंधी रोग अधिक होते हैं। दस्त, डायरिया, पेचिश और उल्टियां होने के कारक में जल प्रदूषण है। तीसरे तरह का प्रदूषण भू-प्रदूषण है। इसमें भूमि और मिट्टी प्रदूषित हो रही है। इनकी वजह है, फसलों पर पेस्टीसाइड्स का छिड़काव और कारखानों से निकलने वाले रसायनयुक्त पानी को भूमि में बिखेरना, ऐसी मिट्टी में उपजी फसल से हमें लिवर कैंसर, लिवर एब्सेस, कोलोन कैंसर और ट्यूमर-जैसी बीमारियां हो रही हैं। इसी तरह सड़क पर बिछाए गए तारकोल से वायु प्रदूषण बढ़ता है और इस कारण त्वचा के रोग भी बढ़ते हैं।
विभिन्न सर्वेक्षणों की रिपोर्ट हमें आगाह कर रही है कि विश्व की नब्बे फीसद आबादी असुरक्षित हवा में सांस ले रही है। वायु प्रदूषण मानव स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि समस्त प्राणियों के लिए सबसे बड़ा खतरा है। यदि प्रदूषण की बढ़ने की गति पर अंकुश नहीं लगाया गया तो आने वाला समय इस पृथ्वी पर रहने लायक नहीं रहेगा। यदि इस प्रदूषण का बारीकी से अध्ययन करें तो पता चलेगा कि हमारे हिस्से नौ मुख्य बीमारियां आई हैं, जो हमारे जीवन को तबाह करने को तैयार हैं: 1: दिल की बीमारी: यह जीवन की धड़कन को प्रभावित कर रही है। 2: फेफड़ों की बीमारी में वायु प्रदूषण मुख्य कारक है। फेफड़ों पर आजकल कोरोना का जर्बदस्त प्रहार हो रहा है। 3: कैंसर भी विभिन्न प्रदूषणों के कारण फैल रहा है। हम जिस आहार का सेवन कर रहे हैं, उसमें तरह-तरह के रसायन समाहित हो चुके हैं। खेती करने से लेकर अन्न भंडारों में खाद्यान्नों को आने तक बहुत सारे रसायनों से वह प्रदूषित होता जा रहा है, जो हमारा भोजन है। यही कैंसर को जन्म दे रहा है।
4: किडनी की बीमारी में भी भोजन मुख्य कारक है। तरह-तरह के मिशण्रजाने अनजाने में हम खा रहे हैं, जो किडनी यानी गुदरे को पंगु ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि पूरी तरह मार रहे हैं। 5: गर्भवती महिलाओं के जीवन को प्रदूषण प्रभावित कर रहा है। 6: अस्थमा के मामले भी आए दिन बच्चों से लेकर हर वर्ग के व्यक्तियों को ग्रसित कर रहे हैं और अंत में 9: मानसिक बीमारी भी प्रदूषणों के कारण उपज रही है।
इससे यह पता चल रहा है कि हमारा इम्यून सिस्टम प्रदूषणों के कारण कमजोर पड़ता जा रहा है। इसी के परिणामस्वरूप कोरोना महामारी के चपेट में पूरा विश्व आया। वायरस तभी प्रहार करता है, जब हमारा शरीर उससे लड़ने में अक्षम होता है। इसलिए भारत ही नहीं, विश्व की सरकारों को इन विकट परिस्थितियों से लड़ने के लिए एकजुट होकर सामना करना चाहिए। तब ही आए दिन कोरोना जैसे वायरस से लड़ा जा सकता है। अपनी प्रयोगशालाओं को अप-टु-डेट रखने की जरूरत है। इसमें स्वास्थ्यवर्धक दवाओं और भोजन की गुणवत्ता का निरंतर परीक्षण होते रहना चाहिए।
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