अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी : अनैतिक कार्रवाई

Last Updated 06 Nov 2020 01:33:13 AM IST

रिपब्लिक नेटवर्क के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी को जिस तरह से महाराष्ट्र पुलिस ने सुबह-सुबह छह बजे उनके घर से अपराधियों-आतंकवादियों की तरह गिरफ्तार किया है, वह लोकतंत्र की हत्या है और देश को फिर से आपातकाल की याद दिलाता है।


अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी : अनैतिक कार्रवाई

यह भी बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिंदुओं और हिंदुओं की बात करने वालों के खिलाफ अनैतिक तरीके से कार्रवाई वह सरकार कर रही है, जिसके मुखिया उद्धव ठाकरे हैं, जिनके पिता बालासाहेब ठाकरे को लोग सम्मान से हिंदू हृदय सम्राट कहते थे, उन्हीं बाल ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे की सरकार की पुलिस ‘हिंदुत्व की पत्रकारिता’ करने वाले अर्नब गोस्वामी को अपराधियों की तरह घसीटते हुए थाने ले गई। दरअसल, महाराष्ट्र में कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस और शिवसेना की तिकड़मी सरकार चल रही है। सरकार की अब तक की कार्रवाई से साफ हो गया है कि इस सरकार का नियम, कानून, संविधान से कोई लेना देना नहीं है।

अर्णब गोस्वामी को एक पुराने मामले, जिसमें पुलिस जांच करके क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर दी गई थी, को बदले की भावना से फिर से खोलकर महाराष्ट्र की सरकार ने जिस तरह से गिरफ्तार किया है, वह संविधान की धज्जियां उड़ाने जैसा है। जब कोई बंद हुआ केस फिर से खोला जाता है, तो उस मामले में पहले अदालत से अनुमति ली जाती है और उस संबंधित व्यक्ति से पूछताछ की जाती है। उसमें सुप्रीम कोर्ट का निर्णय भी है कि आप इस तरह से बिना किसी समन के किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर सकते हैं। अर्णब गोस्वामी को जिस तरह से गिरफ्तार किया गया है, वह तरीका लोगों में दहशत फैलाने के लिए प्रयोग किया गया है। सोशल मीडिया पर सुमित ठक्कर ने महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ लिखना शुरू किया तो उसको किस तरह से महाराष्ट्र सरकार एक के बाद एक केस में फंसा कर जेल की हवा खिला रही है, किसी से छिपा नहीं रह गया। क्या महाराष्ट्र में रहने वालों को अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है। महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण की वीभत्स स्थिति है। मुंबई के लोग भी मेट्रो का कार्य रु क जाने से ट्रैफिक की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। मुंबई में पहली बार ऐसा है कि जब-तब बिजली भी चली जा रही है। लेकिन सरकार का इन सब विषयों की ओर कोई ध्यान नहीं है। इस सरकार का ध्यान है तो केवल इस विषय पर है कि सरकार के विरुद्ध बोलने वालों के खिलाफ कार्रवाई किया जाए। खासकर हिंदुत्व का झंडा बुलंद करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की किया जाए।
अर्नब के ऊपर जो अनैतिक कार्रवाई हुई है उसकी पृष्ठभूमि में पालघर में साधु-संतों की पीट-पीट कर की गई हत्या के मामले में रिपब्लिक टीवी और रिपब्लिक भारत की रिपोर्टिग है। दरअसल, पालघर में जिस प्रकार से संतों की हत्या की गई थी उस विषय को अर्णब ने जोर शोर से उठाया था। संतों को महाराष्ट्र सरकार से न्याय दिलाने की मांग रखी थी तो क्या किसी के लिए न्याय मांगना गलत है? किसी के लिए न्याय मांगना गैर-कानूनी है?
अब तो महाराष्ट्र सरकार द्वारा जिस प्रकार अर्णब और उनके चैनल के खिलाफ एक के बाद एक कार्रवाई की जा रही है, उससे तो यही प्रतीत होता है कि महाराष्ट्र सरकार से न्याय मांगना गुनाह हो गया है। सोनिया गांधी, राहुल गांधी इस सरकार को दिल्ली से चला रहे हैं तथा शरद पवार मुंबई में बैठकर ठाकरे सरकार को निर्देश दे रहे हैं। वह सोनिया गांधी की ही सरकार थी जो 2008 में हिंदुओं को आतंकवादी साबित करने में लगी थी। भगवा आतंकवाद की थ्य्ॉरी गढ़कर उसे साबित करने में लगी थी। जिस तरह से साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को गिरफ्तार किया और उनके ऊपर मकोका की धारा के तहत केस दर्ज किया गया, वह किसी भी देशवासी को हजम नहीं हुआ।
दरअसल, हिंदू आतंकवाद, भगवा आतंकवाद इन लोगों ने एक मनगढ़ंत साजिश के तहत रचा थी। फलस्वरूप देश का हिंदू जनमानस जागा तथा कांग्रेस को लोक सभा में पचास सीटें भी नसीब नहीं हुई। यह सब देखकर भी कांग्रेस जग नहीं रही है। वह अभी भी न्याय मांगने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की मानसिकता रखती है, जिसका उदाहरण अभी हमें महाराष्ट्र में देखने को मिला। कांग्रेस का यदि हम इतिहास देखें तो उसका इतिहास इस तरह के कार्यों से भरा हुआ है तो आज वह अच्छे कार्य जनिहत का कार्य क्यों करे। शिवसेना को अर्णब गोस्वामी सोनिया सेना कहते हैं, जिससे शिवसेना बहुत ही आक्रोश में दिख रही है, जबकि उसकी सारी हरकतें सोनिया सेना जैसी ही हैं।  
यह तीन पहियों वाली एक अनैतिक सरकार है जिससे किसी को नैतिक कार्यों की उम्मीद भी नहीं है। वस्तुत: महाराष्ट्र की जनता ने देवेंद्र फड़नवीस के पांच वर्षो के कार्यकाल में हुए विकास कार्यों को देखकर उनको ही दोबारा मुख्यमंत्री बनाने का पुन: पूर्ण बहुमत दिया था, लेकिन भगवा आतंकवाद को सिद्ध करने में लगे दल, याकूब मेनन को फांसी रुकवाने में लगे दल और देश को टुकड़े करने की बात करने वाले दल सब मिलकर अपनी गिद्धदृष्टि महाराष्ट्र पर लगाए हुए थे तथा जनता के जनादेश की अवहेलना करके ऐसी सरकार का गठन किया जिसका दुष्परिणाम आज सम्पूर्ण महाराष्ट्र भुगत रहा है।
(लेखक मुंबई भाजपा के उपाध्यक्ष हैं)

आचार्य पवन त्रिपाठी


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