बतंगड़ बेतुक : चीन, कोरोना और ईश्वर-अल्लाह

Last Updated 05 Jul 2020 02:19:31 AM IST

झल्लन आजकल न बहकता था न चहकता था। बस आते ही मुंह लटका लेता था, गर्दन झुका लेता था।




बतंगड़ बेतुक : चीन, कोरोना और ईश्वर-अल्लाह

वह आया तो हमने उसे अपने पास बिठाया और समझाया, ‘देख झल्लन, जब हालात काबू से बाहर हो जायें, न हम कुछ जान पायें न कर पायें तो बेहतर यही होता है कि हम खुद को ज्यादा न उलझाएं, खुद को समझाएं और मन के लिए थोड़ी शांति पायें।’ झल्लन झुंझलाता-सा बोला, ‘ददाजू, आप किस मिट्टी के बने हो जो ऐसी बात कर ले रहे हो, चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है और आप शांति का प्रवचन दे रहे हो। इधर कोरोना ने हमें झकझोर डाला है, चीन ने दुत्कार डाला है, हर देशभक्त इंसानियत का पुजारी खुद को मायूस और लाचार पा रहा है और आपको शांति का शुगूफा याद आ रहा है।’ हमने कहा, ‘तो बता, तू क्या करना चाहता है, अपनी परेशानी का क्या हल चाहता है?’ वह बोला, ‘हल होता तो हम यूं हलकान नहीं हो रहे होते और मुंह लटकाए इस तरह नहीं रो रहे होते। सच कहें ददाजू, अब तो हमें लगने लगा है कि न तो हम कोरोना को हरा पाएंगे और न चीन को डरा पाएंगे, लाखों लोग मौत के मुंह में समा जाएंगे और हम सिर्फ मातम मनाएंगे। लगता है हम कहीं के नहीं रहेंगे और अब हमारी रक्षा ईश्वर-अल्ला ही करेंगे।’

हमने कहा, ‘जितनी जल्दी हो अपनी गलतफहमी दूर कर ले और अपने दिमाग के ढांचे को दुरुस्त कर ले। ईश्वर-अल्ला कमजारों की हिफाजत कभी नहीं करते हैं, ये हमेशा ताकतवर के साथ रहते हैं। जब तक कोरोना ताकतवर रहेगा तब तक ये कोरोना के साथ रहेंगे और जब तक चीन ताकतवर रहेगा ये चीन के साथ रहेंगे।’ झल्लन बोला, ‘ददाजू, क्यों उल्टा पाठ पढ़ा रहे हो, जो हम अपनी पैदाइश के साथ सुनते-सीखते आये हैं उसे फूंक से उड़ा रहे हो। हर कोई जानता है कि जब कमजोर की कोई नहीं सुनता तब अल्ला सुनता है, उस पर करम करता है। जब गरीब को भूख लगती है और कोई रोटी नहीं देता तो ईश्वर देता है, हर गरीब का पेट भरता है।’ हमने कहा, ‘यह मानव इतिहास का सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा जमाया हुआ झूठ है जो लगातार चला आ रहा है और अब तक करोड़ों करोड़ लोगों को भरमा रहा है। सच बात यह है कि जो कमजोर होता है वह तब तक सहता है जब तक सह पाता है, नहीं तो टूटकर बिखर जाता है। जीने की कोशिश में जितना जी पाता है उतना जी पाता है, नहीं तो निपट जाता है, उसके जीने और निपटने के बीच न ईश्वर आता है न अल्ला आता है।’ झल्लन बोला, ‘तो फिर गरीब और कमजोर की रक्षा कौन करता है, कौन उन्हें बचाता है और कौन उनकी जिंदगी चलाता है?’
हमने कहा, ‘गरीब और कमजोर की न कोई रक्षा करता है, न कोई उन्हें बचाता है। मतलब यह कि जिसकी रक्षा नहीं होती और जिसे ताकत नहीं मिलती वही गरीब और कमजोर रह जाता है।’ झल्लन बोला, ‘ददाजू, जब भी आपके मुंह से ऐसी कोई बात निकल कर आती है तो हमारी खोपड़ी उलट जाती है। गरीब के नाम पर इतने दान-पुण्य होते हैं, इतने काम-धंधे चलते हैं, सरकार की योजनाएं बनती हैं, कानून बनते हैं, लोग दुआ-प्रार्थना करते हैं तो ये सब काहे करते हैं? गरीब के लिए नहीं करते तो किसके लिए करते हैं?’ हमने कहा, ‘देख झल्लन, गरीब के नाम पर जो ये सब करते हैं वो सिर्फ और सिर्फ पाखंड रचते हैं। एक इंसान गरीब और कमजोर होता ही इसलिए है कि दूसरा इंसान अमीर और ताकतवर होता है। गरीब तो ताउम्र अपने कंधों पर अमीर ताकतवर का बोझ ढोता है। जब तक आप एक की अमीरी और ताकतवरी को अपराध नहीं ठहरा सकते तब तक आप गरीब की मदद नहीं कर सकते, गरीबी नहीं मिटा सकते। लेकिन ईश्वर-अल्ला वाले इतने धूर्त और पाखंडी होते हैं कि यहां भी ईश्वर-अल्ला को घसीट लाते हैं। जो गरीब निपट जाते हैं उनको ईश्वर-अल्ला की सजा बताते हैं और जो बच जाते हैं उन्हें ईश्वर-अल्ला की कृपा बताते हैं। बेचारे कमजोर लोग हर बार उनके बनाए जाल में फंस जाते हैं। कहीं भी देख ले ईश्वर-अल्ला वाले अमीर और ताकतवर के पक्ष में खड़े नजर आते हैं।’
झल्लन बोला, ‘लेकिन ददाजू, अगर यही सच्चाई है तो इंसान जान क्यों नहीं पाता, इसे मान क्यों नहीं पाता?’ हमने कहा, ‘जो लोग ईश्वर-अल्ला की असलियत जानते हैं, इनकी सच्चाई को पहचानते हैं वे चीन की तरह ईश्वर-अल्ला को किनारे लगा देते हैं, इन्हें रास्ते से हटा देते हैं और खुद को ताकतवर बना लेते हैं। सच बात यह है कि मूर्ख और कमजोर लोग ईश्वर-अल्ला से डरते हैं और उनसे प्यार करते हैं, धूर्त लोग उन्हें बेचते हैं और उनका व्यापार करते हैं और ताकतवर लोग या तो अपनी ताकत के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं या चीन की तरह ताकतवर बनने के लिए उन्हें अपनी जिंदगी से निकाल बाहर करते हैं।’
हमने प्रवचन देकर झल्लन की ओर देखा तो वह उठ लिया और उठते-उठते बोला, ‘हमें नहीं पता ददाजू कि कितना दिमाग से खिसक लिया और कितना हमने समझ लिया।’

विभांशु दिव्याल


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