आर्थिक पैकेज : आत्मनिर्भर भारत के लिए
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड-19 के संकट से चरमराती देश की अर्थव्यवस्था के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान की अहम कड़ी के तौर पर बड़े आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है।
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कुल 20 लाख करोड़ रुपये का यह पैकेज देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 10 फीसदी के बराबर होगा। अब कोविड-19 की चुनौतियों के बीच भारत जीडीपी के आधार पर सबसे अधिक पैकेज देने वाला दुनिया का पांचवां बड़ा देश बन गया है। अन्य चार देश हैं जापान, अमेरिका, स्वीडन और जर्मनी।
गौरतलब है कि देश में ढहते हुए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को बचाने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 13 मई को घोषित व्यापक आर्थिक पैकेज में सबसे अधिक राहतों की घोषणा की गई है। आर्थिक पैकेज में एमएसएमई क्षेत्र के लिए कुल तीन लाख 70 हजार करोड़ रुपये के अभूतपूर्व राहतकारी प्रावधान घोषित किए गए हैं। आर्थिक पैकेज में ग्रामीण भारत, किसानों, श्रमिकों और मध्यम वर्ग सहित सभी वगरे पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। पैकेज में देश के लिए आत्मनिर्भरता के पांच स्तंभों को मजबूत करने का लक्ष्य रखा गया है। इनमें तेजी से छलांग लगाती अर्थव्यवस्था, आधुनिक भारत की पहचान बनता बुनियादी ढांचा, नये जमाने की तकनीक केंद्रित व्यवस्थाओं पर चलता तंत्र, देश की ताकत बन रही आबादी और मांग- आपूर्ति चक्र को मजबूत बनाना शामिल हैं। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि नये पैकेज से देश के एमएसएमई की मुश्किलें कुछ कम हो सकेंगी। इस क्षेत्र में नौकरी और रोजगार बचाना बड़ी चुनौती बन गई है। खास तौर से देश की करीब 45 करोड़ वर्क फोर्स में से 90 फीसदी श्रमिकों और कर्मचारियों की रोजगार मुश्किलें बढ़ गई हैं। प्रवासी श्रमिकों को फिर से बसाने की चुनौती है। देश के कोने-कोने में पैदल, ट्रकों और ट्रेनों से लाखों श्रमिक शहर छोड़कर अपने-अपने गांवों को जाते दिखाई दे रहे हैं। आर्थिक पैकेज के तहत प्रवासी श्रमिकों को राहत देने के लिए पीएम केयर्स फंड से एक हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
नये आर्थिक पैकेज से देश का श्रमिक वर्ग लाभान्वित होगा। थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी के मुताबिक भारत में अप्रैल, 2020 में बेरोजगारी बढ़ते हुए 23.5 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई। लॉकडाउन से कारोबार बंद होने से अप्रैल, 2020 में बेरोजगारों की संख्या 12.20 करोड़ से ज्यादा हो गई। इनमें से 9.13 करोड़ लोगों का रोजगार तो अप्रैल, 2020 में ही समाप्त हुआ। राहत पैकेज में मध्यम वर्ग को भी शामिल करने से इस वर्ग को राहत मिलेगी। निश्चित रूप से आत्मनिर्भर भारत अभियान से किसान, कृषि एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी संबल मिलेगा। यद्यपि हमारे देश की जीडीपी में कृषि का योगदान करीब 17 फीसदी है लेकिन 60 फीसदी लोग खेती पर आश्रित हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कृषि की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी है और शेष 50 फीसदी में ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत छोटे-मझोले उद्योग और सेवा क्षेत्र का योगदान है। इन्हें राहत पैकेज का लाभ मिलेगा। आर्थिक पैकेज के तहत लोकल के लिए वोकल होने की जो बात कही गई है, उससे स्थानीय और स्वदेशी उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा। भारत की श्रम शक्ति का सकारात्मक पक्ष यह है कि श्रम लागत चीन की तुलना में सस्ती है। भारत के पास तकनीकी और पेशेवर प्रतिभाओं की कमी नहीं है। भारत के पास पैंतीस साल से कम उम्र की दुनिया की सबसे बड़ी जनसंख्या है। दुनिया में सबसे अधिक अंग्रेजी बोलने वाले भी भारत में ही हैं। ये सब विशेषताएं भारत को औद्योगिक दृष्टि से आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेंगी।
निश्चित रूप से देश को आत्मनिर्भर बनाने में प्रधानमंत्री मोदी ने जिन आर्थिक सुधारों को तेजी से आगे बढ़ाया है, उनका भी अब देश को पूरा लाभ मिलेगा। ज्ञातव्य है कि वाणिज्य-व्यापार के क्षेत्र में सुधार, निर्यात बढ़ाने तथा करों एवं ब्याज दरों में बदलाव जैसे अनेक रणनीतिक कदम उठाए गए हैं। ग्रामीण क्षेत्र में बुनियादी ढांचा विकसित करने का जोरदार काम भी किया है। श्रम कानूनों में संशोधन किए गए हैं। निवेश और विनिवेश के नियमों में परिवर्तन भी किए गए हैं। इन सबके साथ-साथ सितम्बर, 2019 में कॉरपोरेट कर में भारी कमी की गई हैं। उम्मीद करें कि घोषित नये भारत निर्माण के 20 लाख करोड़ के व्यापक पैकेज से किसान, श्रमिक, कुटीर उद्योग, गृह उद्योग, लघु-मझोले उद्योग, मध्यम वर्ग और सभी वगरे को संकट से उबरने में राहत मिलेगी। देश की ठप पड़ी अर्थव्यवस्था गतिशील होगी। देश आत्मनिर्भरता की नई डगर पर आगे बढ़ेगा।
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