मुद्दा : मुट्ठी में लेने होंगे कारोबारी मौके

Last Updated 25 Nov 2019 12:29:05 AM IST

हाल ही में 18 नवंबर को माइक्रोसॉफ्ट के सह संस्थापक और दुनिया के सबसे अमीर उद्यमी बिल गेट्स ने कहा कि भारत के पास अगले एक दशक में काफी तेजगति से आर्थिक विकास हासिल करने की क्षमता है।


मुद्दा : मुट्ठी में लेने होंगे कारोबारी मौके

ऐसी क्षमताओं को मुट्ठियों में लेकर भारत निवेश और कारोबार के क्षेत्र में ऊंची सफलताएं प्राप्त कर सकता है। बिल गेट्स ने यह भी कहा कि वैश्विक मंदी के दौर में भारत की 5 फीसद की विकास दर चिंताजनक नहीं है और आर्थिक सुस्ती के दूर होने के बाद विकास दर तेजी से बढ़ेगी।
इसी तरह हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि भारत में विगत सितम्बर माह में जिस तरह से कार्पोरेट कर में कमी की है, उससे भारत में विदेशी निवेश की नई संभावनाएं बढ़ गई हैं। विश्व बैंक और दुनिया के कई वित्तीय संगठनों ने वर्ष 2030 तक भारत के चमकीली विकास की संभावनाएं प्रस्तुत की हैं। अमेरिका के विख्यात संगठन एडवोकेसी ग्रुप के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार करीब 200 अमेरिकी कंपनियां चीन से अपना निवेश समेटकर और उत्पादन बंद कर भारत की ओर कदम बढ़ा सकती हैं। सचमुच इन दिनों पूरी दुनिया के अर्थविशेषज्ञ यह टिप्पणी करते हुए दिखाई दे रहे हैं कि चीन से बड़े पैमाने पर जो कारोबार दूसरे देशों में स्थानांतरित हो रहा है, उसका बड़ा हिस्सा भारत अपनी मुट्ठियों में ले सकता है। पिछले दिनों केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आईएमएफ और विश्व बैंक की वार्षिक बैठक में अपनी परिचर्चा के समापन के बाद कहा कि इस समय पूरी दुनिया चीन से आगे भारत को निवेश गंतव्य के रूप में देख रही है।

ऐसे में जो कंपनियां चीन से अपने निवेश निकालकर अन्य देशों में जाना चाहती हैं उनको भारत में निवेश के लिए आमंत्रित करने के लिए भारत सरकार विशेष रूप से संपर्क करेगी। देश में कारोबारी सुगमता भी बढ़ रही है। हाल ही में 24 अक्टूबर को विश्व बैंक द्वारा प्रकाशित ईज ऑफ डूइंग बिजनेस 2020 में भारत 190 देशों की सूची में 63वें स्थान पर पहुंच गया है। यह भी उल्लेखनीय है कि कारोबार में बढ़ती अनुकूलताओं के कारण भारत में ख्याति प्राप्त वैश्विक फाइनेंस और कॉमर्स कंपनियां अपने कदम तेजी से बढ़ा रही हैं। इतना ही नहीं भारत से कई विकसित और विकासशील देशों के लिए कई काम बड़े पैमाने पर आउटसोर्सिग पर हो रहे हैं। भारत में स्थित वैश्विक फाइनेंशियल फर्मो के दफ्तर ग्लोबल सुविधाओं से सुसज्जित हैं। इन वैश्विक फर्मो में बड़े पैमाने पर प्रतिभाशाली भारतीय युवाओं की नियुक्तियां हो रही है। देश के नवाचार एवं कारोबार में आगे बढ़ने के पीछे एक प्रमुख कारण यह है कि वर्ष 2018-19 में भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था, घरेलू कारोबार, स्टार्टअप, विदेशी निवेश, रिसर्च एंड डेवलपमेंट को प्रोत्साहन मिला है। यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि अमेरिका, यूरोप और एशियाई देशों की बड़ी-बड़ी कंपनियां नई प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय आईटी प्रतिभाओं के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा देने के लिए भारत में अपने ग्लोबल इन हाउस सेंटर (जीआईसी) तेजी से बढ़ाते हुए दिखाई दे रही हैं। कई आर्थिक मापदण्डों पर भारत अभी भी चीन से आगे है। भारत के पास कुशल पेशेवरों की फौज है। आईटी, सॉफ्टवेयर, बीपीओ, फार्मास्युटिकल्स, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक, केमिकल्स एवं धातु क्षेत्र में दुनिया की जानी-मानी कंपनियां हैं, आर्थिक व वित्तीय क्षेत्र की शानदार संस्थाएं हैं। यदि हम चाहते हैं कि ‘मेक इन इंडिया’ सफल हो और भारत दुनिया का नया कारखाना बनने की संभावनाओं को अपनी मुठ्ठियों में ले तो हमें कई बातों पर ध्यान देना होगा।
जिस तरह बांग्लादेश, वियतनाम, फिलीपींस जैसे देशों के द्वारा चीन से कारोबार समेट रही कंपनियों को अपने देश में आकर्षित करने के सफल प्रयास किए जा रहे हैं, वैसे ही प्रयास भारत के द्वारा भी किए जाने होंगे। हमें शोध, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्र्धा के मापदंडों पर आगे बढ़ना होगा। देश में जीएसटी एवं प्रत्यक्ष कर सरलीकरण के प्रयासों को गति देनी होगी। अर्थव्यवस्था को डिजिटल करने की रफ्तार तेज करना होगी। सरकार को निर्यात प्रोत्साहन के लिए और अधिक कारगर कदम उठाने होंगे। हम आशा करें कि दुनिया के सबसे अमीर उद्यमी बिल गेट्स, विश्व बैंक और कई वैश्विक वित्तीय संगठनों ने आगामी एक दशक में भारत के तेज आर्थिक विकास की जो क्षमताएं और संभावनाएं प्रस्तुत की हैं, उनके मद्देनजर भारत वैश्विक विनिर्माण का नया केंद्र और दुनिया का नया कारखाना बनने के उभरे हुए चमकीले मौके को अपनी मुट्ठियों में करते हुए दिखाई दे सकेगा।

जयंतीलाल भंडारी


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