बतंगड़ बेतुक : हमें मिल गया इंडिया का बाप
झल्लन ने हमें देखा और चहका, ‘हाउडी ददाजू!’ हमने कहा, ‘बड़ा खुश नजर आ रहा है और ये हाउडी कहां से लेकर आ रहा है?’
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झल्लन बोला, ‘ददाजू, या तो आप सठिया गये हैं या पूरी दुनिया से कट-कटा गये हैं। आज पूरी दुनिया में हाउडी का हल्ला है, भारत की बल्ले-बल्ले नहीं बल्ला-बल्ला है। लगता है आप न्यूज नहीं देखे हो तभी इतने हैरत में दिखे हो। हमारे मोदी ने अमेरिका में डंका बजा दिया है और आप पूछते हो यह हाउडी कहां से उठा लिया है।’ हमने कहा, ‘तो तुझे पता है कि हाउडी क्या है, कहां से आया है?’
झल्लन मुस्कुराते हुए बोला, ‘ददाजू, इतिहास को कौन ताके, कौन इधर-उधर की बातों में झांके। हम तो इतना जानते हैं कि हाउडी यूटन में पैदा हुआ और अब भारत चला आया है, साथ में अपना खास मानी भी लाया है।’ हमने पूछा, ‘तो तुझे पता है हाउडी क्या होता है, इसका मानी क्या होता है?’ झल्लन बोला, ‘कल तक नहीं मालूम था सो नहीं मालूम था, आज तो हाउडी का मतलब पूरे देश को पता है, पूरे इंडिया को पता है इसीलिए हर इंडियावाला हाउडी-हाउडी करने में जुटा है। मतलब सीधा-सच्चा है इसके मानी हैं कि भारत में सब कुछ अच्छा है।’ हमने कहा, ‘तो तू मानता है कि सब सीधा-सच्चा है और भारत में सब कुछ अच्छा है?’ झल्लन बोला, ‘ददाजू, आप काहे इधर-उधर घुमा रहे हो, काहे हमें भरमा रहे हो। हम तो हाउडी का जो अर्थ है वह आपको बता रहे हैं और आप हैं कि फालतू के सवाल उठा रहे हैं। जब ट्रंप की बगल में बैठकर हमारे मोदी ने हाउडी का अर्थ बता दिया है तो हम इस अर्थ पर कुछ तो भरोसा करें। फालतू में शंका क्यों करें।’
हमने कहा, ‘तुझे पता है लोग कह रहे हैं कि मोदी ने आधी भीड़ भारत से भिजवाई और आधी अमेरिका में जुटाई।’ झल्लन बोला, ‘क्या ददाजू, लगता है आप कांग्रेसी हो रहे हैं तभी भीड़ का रोना रो रहे हैं। आपने तालियों की गड़गड़ाहट सुनी होती तो आप ऐसी बात नहीं करते, विपक्ष की बात पर कान नहीं धरते। इनका क्या है ये खुद तो कुछ कर नहीं पाते और जो करता है उसे पचा नहीं पाते।’ हमने कहा, ‘तू जानता है मोदी-ट्रंप की दोस्ती का पाकिस्तान पर क्या असर पड़ेगा। सोच, बेचारा इमरान क्या करेगा?’ झल्लन बोला, ‘ददाजू, अब आप पक्के राष्ट्र विरोधी हो रहे हैं। हिंदुस्तान को छोड़ पाकिस्तान के पक्ष में खड़े हो रहे हैं। पाकिस्तान का क्या है थोड़ा और कुढ़ेगा, कर कुछ पाएगा नहीं सो थोड़ा और जलेगा, भुनेगा। आपको दिख नहीं रहा है कि पाकिस्तान अपने पतन की इबारत लिख रहा है।’ हमने कहा, ‘चल पाकिस्तान की बात छोड़ ये देख मोदी ने वहां जाकर क्या कर दिया। ट्रंप का चुनाव प्रचार कर दिया। भारत में तो ठीक था कि अब की बार फिर मोदी सरकार। लेकिन वहां यह कहने की क्या जरूरत थी कि अब की बार ट्रंप सरकार।’ झल्लन बोला, ‘आप फिर फालतू बात पर आ गये हो, लगता है पक्का सठिया गये हो। अरे, दोस्त दोस्त का प्रचार नहीं करेगा तो क्या दुश्मन का करेगा। ट्रंप राष्ट्रपति बनेगा तो दोस्ताना और बढ़ेगा।’ हमने कहा, ‘ट्रंप पक्का सौदेबाज है। वह दोस्ती के नाम पर जो कुछ भी करेगा अपना हित सबसे ऊपर रखेगा।’ झल्लन बोला, ‘ददाजू,
हमारा मोदी भी क्या कम सौदेबाज है। वह ट्रंप का प्रचार
करेगा तो भी अपने हित को ऊपर रखेगा। मोदी, मोदी है वह
कहीं नहीं झुकेगा।’
हम बोले, ‘लगता है तेरा जमीर सो गया है तभी तू पक्का मोदी भगत हो गया है।’ झल्लन बोला, ‘अच्छा ददाजू, एक बात बताओ, हमें ठीक से समझाओ। हिंदुस्तान में कोई दूसरा है जिस पर थोड़ी देर के लिए भी नजर टिक जाए और जिसका भगत हुआ जाये?’ झल्लन ने हमारी कमजोर नस पर वार किया, हमें निरुत्तर कर दिया। हमने कश्मीर से कन्याकुमारी तक नजर डाली, नये-पुराने नेताओं की पूरी खेप खंगाली पर सब कुछ शून्य, सब खाली-खाली। न किसी दल में कोई दम दिखा, न कोई नेता काम का लगा। कोई बिल्कुल बौना था तो कोई उम्रदराज होकर भी नया निकोर छौना था, तो कोई सिर्फ मनोरंजक खिलौना था। हमें चुप देखकर झल्लन बोला, ‘काहे ददाजू, बोलती बंद हो गयी। हमारी बात से तसल्ली हो गयी।’ हमने कहा, ‘आज नहीं तो कल कोई काम का नेता जरूर मैदान में उतरेगा, मोदी के लिए चुनौती बनकर उभरेगा।’ झल्लन बोला, ‘जब उभरेगा तब उभरेगा अभी तो खुश हो जाइए और मोदी के ‘फादर ऑफ इंडिया’ होने का जश्न मनाइए।’
हमने कहा, ‘देख झल्लन फादर ऑफ इंडिया तो एक है और वो है महात्मा गांधी..।’ झल्लन ने हमें बीच में ही रोका और अपना ज्ञान ठोका, ‘ददाजू, इतना भी नहीं जानते कि
गांधी बाबा तो फादर ऑफ नेशन थे यानी राष्ट्र के पिता थे, इंडिया के बाप नहीं। अब ये हमारा जो नया इंडिया है उसका एक ही बाप है, मोदी, बस मोदी। ट्रंप ने मान लिया है आप चाहें तो आप भी मान जाइए नहीं तो छाती पीटा जमात में शामिल होकर मातम मनाइए।’
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