सरोकार : औरतों के पक्ष में बने कानून
पाकिस्तानी शायरा किर नाहीद की ‘गुनाहगार औरतों’ में से एक मिस्र में फांसी पर चढ़ाई जा सकती है।
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चूंकि इस औरत की गलती है कि उसने बलात्कार की कोशिश करने वाले व्यक्ति की हत्या कर दी थी। पंद्रह साल की इस औरत ने पुलिस के सामने एक सच कबूला था। सच यह था कि उसने उस बस चालक की हत्या कर दी थी जिसने सुनसान इलाके में उसे अगवा किया था और फिर चाकू की नोंक पर उसका बलात्कार करना चाहता था। लड़की ने उसका चाकू छीनकर उस पर कई वार किए और फिर वहां से भाग निकली। मिस्र में ऐसे मामलों में जांच कुछ तरह की जाती है कि उसमें लड़की का वर्जिनिटी टेस्ट किया जाता है। मतलब लड़की वर्जिन निकलती है तो बलात्कारी को कड़ी सजा मिलती है। लड़की के वर्जिन न निकलने पर उसे ही यौन हमले का दोषी माना जाता है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इस प्रावधान पर तुरंत पाबंदी लगनी चाहिए।
कई देशों में नौकरियों पर रखने के लिए भी औरतों को वर्जिनिटी टेस्ट से गुजरना पड़ता है। इंडोनेशिया में सेना में भर्ती होने के लिए औरतों को यह टेस्ट करवाना पड़ता है। दक्षिण अफ्रीका जैसे देश में कई कंपनियां ऐसा टेस्ट करवाने पर जोर देती हैं। कहा जाता है कि लड़कियों को एचआईवी-एड्स से दूर रखने के लिए यह जरूरी है। वर्जिनिटी टेस्ट के अलावा टू फिंगर टेस्ट पर भी सवाल खड़े किए जाते रहे हैं। कई साल पहले भारत में यह टेस्ट होता था, लेकिन 2013 में सर्वोच्च न्यायालय ने इसे गैर-कानूनी करार दिया। इस टेस्ट से यह पता लगाने की कोशिश की जाती है कि लड़की क्या इस घटना से पहले भी सेक्स कर चुकी है। बाद में इस टेस्ट के परिणाम से तय होता है कि बलात्कार के दोषी को कितनी सजा मिलनी चाहिए। लड़कियों के चरित्र पर लांछन लगाने वाले बहुत से हैं। वर्जिनिटी टेस्ट तो बहुत आगे की बात है।
ऐसे मामलों में अदालतें तक लड़कियों की लाइफ स्टाइल से क्राइम को जस्टिफाई करने की कोशिश करती हैं। 2017 में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने बलात्कार के तीन अपराधियों को यह कहते हुए जमानत दे दी थी कि पीड़िता का खुद का व्यवहार गड़बड़झाला है। वह सिगरेट पीती है और उसके हॉस्टल रूम से कंडोम मिले हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय की मशहूर वकील रेबेका जॉन के फेसबुक पेज पर एक पोस्ट में ऐसी 16 दलीलें दी गई थीं, जो बलात्कार के मामलों में अक्सर सुनने को मिलती हैं। जैसे देखकर नहीं लगता कि उसका बलात्कार हुआ होगा। उसके कपड़े तो देखो-खुद ही मुसीबत को न्यौता देती है। रात को घर के बाहर क्या करने गई थी। रेबेका के अनुसार, हम आपसी बातचीत में ऐसी ही दलीलें देते हैं। दिल्ली की नेशनल लॉ यूनिर्वसटिी के एसोसिएट प्रोफेसर मृणाल सतीश की किताब ‘डिस्क्रिशन एंड द रूल ऑफ लॉ: रिफॉर्मिग रेप सेनटेंसिंग इन इंडिया’ इसकी मिसाल है। इसमें बलात्कार के 800 मामलों की छानबीन की गई है। इसमें कहा गया है कि बलात्कार का आरोपी कोई परिचित व्यक्ति होता है, पीड़िता विक्टिम शादीशुदा और सेक्सुअली एक्टिव होती है, तो अपराधियों को कम सजा मिलती है। मिस्र के कानूनी प्रावधान की कोई स्त्रीवादी होने का दंभ भरकर आलोचना कर सकता है। फिर घर आकर बलात्कार की खबरें अखबार में पढ़कर कह सकता है-लड़कियों को भी सोचकर चलना चाहिए। पहले खुद को सुधारें, फिर विदेशी खबरों पर प्रतिक्रिया दें।
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