केंद्र-पश्चिम बंगाल : बेनजीर टकराव
कोलकाता में रविवार को जो घटा वह साधारण लोगों की नजर में ही नहीं, राजनीतिक प्रेक्षकों की नजर में भी, बेनजीर है।
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और उसके बाद के घटनाक्रम भी हैरान करने वाले हैं। सुबह अखबारों में वाममोर्चे की तीन साल बाद होने वाली ब्रिगेड रैली की सुर्खियां थीं। प्रमुख बांग्ला चैनलों पर उस रैली की खबरें चलाई जा रही थीं। उन्नीस जनवरी की सत्तारूढ़ दल टीएमसी की रैली के बाद की यह रैली भी जबरदस्त थी। राज्य के हर हिस्से से भारी संख्या में कार्यकर्ता, समर्थक, महिला-पुरु ष ब्रिगेड पैरेड मैदान पहुंचे थे। इस रैली का संदेश था-नेता नहीं, नीति चाहिए और नारा था-मोदी हटाओ देश बचाओ, ममता हटाओ बंगाल बचाओ। लेकिन शाम होते-होते सुर्खियां बदल गई। देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआई के अधिकारियों को स्थानीय पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उनके साथ धक्का-मुक्की भी की गई। अपराधियों की तरह धकेल कर कारों में उन्हें बैठाया गया।
यह बनजीर वारदात थी। यही नहीं सीबीआई के दफ्तर सीजीओ कांप्लेक्स पर भी कोलकाता पुलिस को भारी संख्या में तैनात कर दिया गया था। हालांकि बाद में सीबीआई अधिकारी छोड़ दिए गए। सीबीआई दफ्तर पर सीआरपीएफ के जवान तैनात कर दिए गए। यह बहुत बड़ी खबर थी। बेनजीर, अकल्पनीय, जो अब राजनीतिक टकराव में तब्दील गई है। मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। इसकी गूंज संसद के दोनों सदनों में पहुंच गई। इसके साथ ही यह घटनाक्रम केंद्र बनाम राज्य ही नहीं, भाजपा बनाम विपक्ष की लड़ाई का मुद्दा भी बन गया है। बयानबाजी का दौर जारी है। दरअसल, जांच एजेंसी के ये अधिकारी शारदा चिटफंड घोटाला मामले में कोलकाता के पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के लाउडन स्ट्रीट स्थित घर पूछताछ के लिए गए थे। वहां पहले से ही अच्छी तादाद में पुलिस के जवान मौजूद थे।
इस खबर का पता चलने पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस पुलिस अधिकारी के घर पहुंच गई थीं। उनके साथ पुलिस के आला अधिकारी भी थे। मुख्यमंत्री वहीं प्रेस कांफ्रेंस कर लोकतंत्र और संविधान बचाने के लिए धरने का एलान कर मेट्रो चैनल के लिए रवाना हो गई और धरने पर बैठ गई। इस धरने को ममता ने सत्याग्रह करार दिया है। इसके आठ फरवरी तक चलने की संभावना है। गौरतलब है कि यह वही जगह है, जहां उन्होंने सिंगुर में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ धरना दिया था। तब वह विपक्ष की नेता थीं। तब के उस आंदोलन में तमाम दलों के साथ भाजपा भी उनके साथ थी। बहरहाल, विवाद की वजह सीबीआई टीम के पास पूछताछ के जरूरी कागजात नहीं होना बताया गया, लेकिन पुलिस के इस आरोप को झूठा करार दिया है सीबीआई ने। उसके संयुक्त निदेशक ने कहा कि सीबीआई एक पेशेवर संस्था है और पूरी तैयारी के साथ पूछताछ के लिए गई थी। उसे उसका काम जबरन नहीं करने दिया गया। लेकिन ममता बनर्जी कहना था कि उनके पास कोई वारंट था ही नहीं, इसलिए अपने अधिकारी को बचाना उनका दायित्व था। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब साजिश के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल करा रहे हैं। उनका आरोप यह भी है कि भाजपा विरोधी दलों की रैली आयोजित करने के कारण भाजपा हमें निशाना बना रही है। हमारे गठबंधन से मोदी घबरा गए हैं। वे इस तरह की भाषा बोल रहे हैं, जो एक प्रधानमंत्री को शोभा नहीं देता।
वहीं, सीबीआई के संयुक्त निदेशक पंकज श्रीवास्तव का कहना था कि यह जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर की जा रही है और जरूरी कागजात उनके पास हैं। सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम नागेर राव ने कहा है कि पश्चिम बंगाल पुलिस सहयोग नहीं कर रही है, इसलिए हम सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं। कोर्ट में उसने चिटफंड घोटाले से संबंधित तथ्यों को नष्ट कर देने की आशंका भी जताई है। इस मामले पर मंगलवार को सुनवाई होगी। सर्वोच्च अदालत के मुख्य न्यायाधीश ने सीबीआई को सबूत नष्ट करने की कोशिश के सबूत पेश करते हुए कहा है कि सबूत सच निकला तो गंभीर कदम उठाए जाएंगे। इसी बीच, राज्य सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा कर सीबीआई पर उसके स्टे का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए सुनवाई की मांग की है। इस पर सीबीआई का कहना है कि वह स्टे दूसरे मामले से संबंधित है। कहना नहीं होगा कि ममता के धरने पर बैठने के बाद यह मुद्दा पूरी तरह राजनीतिक हो गया है।
इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, शरद यादव, शरद पवार, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव आदि कई नेता सीबीआई के बेजा इस्तेमाल के आरोप को दोहराते हुए ममता के साथ खड़े हो गए हैं। इन नेताओं का कहना है कि अभी तक सीबीआई वाले सो रहे थे। ऐन लोक सभा चुनाव के वक्त जागने की कोई वजह तो होगी। दूसरी तरफ भाजपा नेता ममता पर लोकतंत्र को ध्वंस करने, संवैधानिक संकट पैदा करने और मुख्यमंत्री के दायित्व को नहीं निभा पाने का आरोप जड़ रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि दाल में कुछ काला तो है, तभी जांच में सहयोग नहीं किया जा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि एक तरफ राहुल समेत कई कांग्रेसी ममता के साथ खड़े हैं तो वहीं इसी दल के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग है। चौधरी ने ममता को स्वेच्छाचारी और लोकतंत्र विरोधी करार देते हुए उन पर विरोधी स्वर को दबाने का आरोप भी जड़ दिया है। माकपा के राज्य सचिव सूर्यकांत मिश्र ने आरोप लगाया है कि वाममोर्चे की सफल रैली से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए ममता ने यह ड्रामा शुरू किया है। वह इस हरकत से भाजपा की ही मदद कर रही हैं।
इधर, भाजपा प्रवक्ता जावड़ेकर ने ममता पर तंज कसा है कि वह पुलिस आयुक्त को जांच से बचाने के लिए इतना मुखर क्यों हैं, कहीं वह खुद को तो नहीं बचाना चाहतीं। बहरहाल, भाजपा ने लोक सभा चुनाव के मद्देनजर बंगाल में मोदी, शाह, राजनाथ सिंह, आदित्यनाथ की सभाएं करा कर अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुटी है। लेकिन सीबीआई के बेजा इस्तेमाल के आरोप से उसे नुकसान ही उठाना पड़ सकता है। भाजपा बनाम टीएमसी की लड़ाई हो जाने पर कांग्रेस समेत वाम दलों को भी मुश्किलें पेश आ सकती है। लेकिन फिलवक्त तो सबकी नजर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर रहेगी। आज के फैसले का असर राज्य ही नहीं, देश की राजनीति पर भी पड़ने की संभावना है।
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