केंद्र और बिहार में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) नेताओं ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि विपक्ष ने राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव होने से पहले ही हार मान ली है।

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इससे पहले बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष (राष्ट्रीय जनता दल-राजद) तेजस्वी यादव ने कहा था कि उनकी पार्टी के लिए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर विवाद के मद्देनजर आगामी चुनाव के बहिष्कार का विकल्प खुला है।
विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया)’ के नेताओं ने दावा किया कि निर्वाचन आयोग इस प्रक्रिया में जल्दबाजी कर रहा है और इससे संदेह पैदा होता है।
तेजस्वी यादव ने बिहार विधानसभा के बाहर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि राजद ने चुनाव बहिष्कार का विकल्प खुला रखा है।
उन्होंने कहा, ‘‘समय आने पर हम गठबंधन सहयोगियों के साथ चर्चा के बाद निर्णय लेंगे। विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के नाम पर जो कुछ हो रहा है, वह किसी धोखाधड़ी से कम नहीं है।’’
बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ‘ललन’ से जब तेजस्वी की टिप्पणी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसका अभिप्राय है कि विपक्ष ने हार मान ली है।
ललन ने यहां संसद भवन के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘‘उन्हें लग रहा है कि वे चुनाव हार जाएंगे। उनका फर्जीवाड़ा उजागर हो गया है और इसलिए वे कह रहे हैं कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे।’’
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सारण से सांसद राजीव प्रताप रूडी ने जदयू नेता का समर्थन करते हुए कहा, ‘‘इसके पीछे केवल दो संभावनाएं हो सकती हैं। पहली यह कि तेजस्वी यादव ने बिहार में अपनी हार स्वीकार कर ली है और वह बहाने ढूंढ रहे हैं। दूसरी यह कि वह कुछ ऐसी राजनीति कर रहे हैं, जिसे मैं समझ नहीं पा रहा हूं।’’
केंद्रीय मंत्री एस पी सिंह बघेल ने विपक्ष पर ‘‘घुसपैठियों को वोट डालने के लिए प्रोत्साहित करने’’ का आरोप लगाया।
बघेल ने कहा, ‘‘राहुल गांधी और समूचा ‘इंडि’ गठबंधन पूरी दुनिया में एकमात्र ऐसे दल हैं जो घुसपैठियों को वोट डालने के लिए प्रोत्साहित कर रहे है। निर्वाचन आयोग केवल यह साबित करने के लिए दस्तावेज मांग रहा है कि आप भारत के नागरिक हैं। बिना पहचान वाले लगभग पांच लाख ऐसे लोगों को चिह्नित किया गया है... वे आंतरिक सुरक्षा और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए खतरा हैं।’’
इस बीच, कांग्रेस नेता के सी वेणुगोपाल ने तेजस्वी यादव का समर्थन करते हुए कहा कि निर्वाचन आयोग का यह तरीका संदेह पैदा करता है।
वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘उन्होंने एक टिप्पणी की है... क्योंकि जिस तरह से निर्वाचन आयोग ये सब काम कर रहा है वह पूरी तरह से संदिग्ध है।’’
झारखंड मुक्ति मोर्चा की सांसद महुआ माजी ने सवाल उठाया कि निर्वाचन आयोग इस प्रक्रिया में जल्दबाजी क्यों कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत ही संदिग्ध है। एक पत्रकार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। बिहार के कई लोग महाराष्ट्र, दिल्ली और झारखंड में हैं। उन्होंने सभी को सूचित नहीं किया है। अगर उन्होंने सभी को सूचित किया होता, तो बहुत से लोग वापस चले गए होते।’’
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