भारत 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मना रहा है, वह ऐतिहासिक दिन जब 1999 में भारतीय सेना ने तीन महीने तक चले युद्ध के बाद 'ऑपरेशन विजय' में जीत दर्ज कर पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ दिया था।
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सेना ने शुक्रवार को 26वें कारगिल विजय दिवस की पूर्व संध्या पर यहां ड्रोन शो का आयोजन किया। इसमें पाकिस्तान के साथ 1999 में हुए युद्ध के बाद से सीमा सुरक्षा में हुई तकनीकी प्रगति को रेखांकित किया गया।
कारगिल विजय दिवस हर साल 26 जुलाई को उन शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है, जिन्होंने 26 साल पहले कारगिल क्षेत्र में पाकिस्तानी घुसपैठियों से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी।
ड्रोन दर्शकों के ऊपर से उड़े और निगरानी, आपूर्ति और दुश्मन को निशाना बनाने सहित अपनी विभिन्न क्षमताओं का प्रदर्शन किया।
मानवरहित विमानों में सामरिक ड्रोन भी शामिल हैं जिन्हें लगभग 4,000 मीटर की ऊंचाई पर संचालित किया जा सकता है। यह एक ऐसी तकनीक है जिसे देश में ही विकसित किया गया है।
ड्रोन शो में रोबोटिक कुत्ते भी शामिल थे, जिनका उपयोग कठिन इलाकों में गोला-बारूद जैसे सामान ले जाने के साथ-साथ नियंत्रण रेखा पर गश्त के लिए भी किया जा सकता है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कारगिल युद्ध के बाद से सेना में शामिल किए गए ड्रोन और अन्य प्रौद्योगिकियां निगरानी की प्रभावशीलता बढ़ाने और दूरदराज के क्षेत्रों में रसद पहुंचाने में मदद करेंगी, साथ ही शत्रुओं पर प्रभावी ढंग से नजर रखने में भी मददगार होंगी।
उन्होंने कहा कि ये प्रौद्योगिकियां लद्दाख क्षेत्र में दुर्गम इलाकों और कठिन मौसम की स्थिति में सैनिकों की चुनौती और खतरों को कम करेंगी।
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