गेमिंग ऐप चैट का आतंकी भी कर रहे इस्तेमाल
पबजी जैसे ऑनलाइन खेल में गुमनाम या अन्य साथियों के साथ बातचीत की आवश्यकता होती है और अब इन खेलों की यही विशेषता आतंकवादी समूहों और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जम्मू-कश्मीर में अपने सदस्यों से संवाद करने के प्रमुख संचार माध्यम में बदल गई है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
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अधिकारियों के मुताबिक, सीमा पार सक्रिय आतंकवादी समूह सोशल मीडिया और संचार के पारंपरिक माध्यमों को दरकिनार कर सुरक्षा एजेंसियों की नज़र से बचने की कोशिश करते हैं, इसलिए वे इस आभासी युद्धक्षेत्र को असली में युद्ध के संवाद के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि ऐसे चार मामलों की पहचान की गई है। अधिकारियों ने बताया कि एक मामले में, एक नाबालिग लड़के को सीमा पार बैठा उसका खेल में साथी कट्टरपंथी बना रहा था। पूरे परिवार की उचित परामर्श के बाद लड़के को उसके माता-पिता को सौंप दिया गया।
अधिकारियों ने बताया कि गेमिंग चैट ऐप्लिकेशन खिलाड़ियों को ऑनलाइन गेम खेलने की आड़ में वास्तविक समय में एक-दूसरे के साथ संवाद करने की सुविधा देता है, लेकिन उन्होंने उस खेल का नाम नहीं बताया और न ही कि इसका कैसे इस्तेमाल हो रहा है।
उन्होंने बताया कि ये ऐप्लिकेशन खिलाड़ियों के बीच टीमवर्क, रणनीतिक चर्चा और सामाजिक संपर्क को बढाने के लिए ध्वनि, वीडियो और लिखित संचार की सुविधा प्रदान करते हैं। इसका उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि आतंकवादी समूह में भर्ती के लिए संभावित सदस्य की पहचान खेल के दौरान की जाती है।
गेमिंग ऐप्लिकेशन उपयोगकर्ता संचार की सुरक्षा के लिए कूटबद्धता का इस्तेमाल तेज़ी से बढा रहे हैं, लेकिन सुरक्षा का स्तर काफ़ी अलग-अलग होता है। इसलिए, कुछ गेम इन-गेम ध्वनि चैट के लिए मौलिक कूटबद्धता का इस्तेमाल करते हैं, जबकि कुछ लिखित और ध्वनि संदेश के लिए अधिक गूढ कूटबद्ध संदेश की सुविधा प्रदान करते हैं।
अधिकारियों ने बताया कि इनमें से कई गेंिमग ऐप हालांकि भारत में प्रतिबंधित हैं, फिर भी इन्हें वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) का इस्तेमाल करके अवैध रूप से डाउनलोड किया जाता है।
वीपीएन इंटरनेट प्रोटोकॉल पता को छिपाकर इंटरनेट पर एक सुरक्षित और कूटबद्ध कनेक्शन की सुविधा देता है। इससे ऑनलाइन गतिविधि का पता लगाना और आंकड़े एकत्र करना मुश्किल हो जाता है।
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