शांति का लक्ष्य
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में कहा कि शांति का मतलब युद्ध न होना नहीं है।
![]() प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी |
यह ऐसा सूत्र वाक्य है, जिस पर गहराई से विचार करने, बहस करने और उसके सही अर्थ को समझ कर उसके अनुसार काम करने की आवश्यकता है। दुनिया पर नजर दौड़ाइए और देखिए कि जहां युद्ध नहीं हो रहा है, वहां क्या शांति है? वस्तुत: शांति के लिए युद्ध न हो, किसी प्रकार का टकराव न हो यह आवश्यक है। इस तरह युद्ध या किसी तरह के संघर्ष में सैनिक अपना बलिदान देकर हमें शांति की ओर से अग्रसर करते हैं।
मोदी ने यह सही कहा कि जहां कहीं भी विश्व शांति की बात होगी, भारत का नाम और उसका योगदान सुनहरे अक्षरों में लिखा होगा। प्रथम विश्व युद्ध समाप्त होने की 100वीं वषर्गांठ दुनिया मनाने जा रही है। उससे भारत का सीधे कोई लेना-देना नहीं था किंतु भारतीय सैनिकों ने उसमें भाग लिया। जिस मोर्चे पर रहे बहादूरी के साथ लड़े और अपना बलिदान दिया।
उस समय हमारा देश गुलाम था, और चूंकि ब्रिटेन युद्ध में शामिल था, इसलिए भारतीय सैनिकों को भी उसमें शिरकत करनी पड़ी। हम उनके बलिदान को नहीं भूल सकते। यह अच्छी बात है कि मोदी ने अपने कार्यकाल में शहीद हुए हर भूले-बिसरे जवानों को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी है। हमारे जवानों ने दुनिया को दिखाया है कि अगर युद्ध की बात आती है, तो वे किसी से पीछे नहीं हैं। प्रतिकूल परिस्थितियों में अदम्य साहस दिखाने के पीछे एक ही उद्देश्य रहा है, शांति बहाल करना।
हमारे संस्कार में ही शांति है किंतु शांति केवल युद्ध होने और खत्म होने तक सीमित नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कि गरीबों में सबसे गरीब का विकास ही शांति का असल सूचक है। वास्तव में जब तक समाज में एक बड़ा तबका तंगहाली में जी रहा है, और विकास का लाभ उस तक नहीं पहुंच रहा तब तक समाज में शांति हो ही नहीं सकती। अगर बड़ा समूह अपनी न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ही तनाव में जी रहा है, तो शांति हुई कहां।
किसी भी व्यवस्था का मूल यही होना चाहिए कि समाज के निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति को ऊपर उठाने के लिए कितना काम हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय सबको मिलाकर शांति का लक्ष्य हासिल करने का संदेश दिया है। यह तब तक नहीं हो सकता जब तक इन समस्याओं के समाधान के लिए शासन और समाज एकजुट नहीं होता।
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