वैश्विकी : अमेरिकी समाज और हथियार
अमेरिका में स्कूल हत्याकांडों की संख्या में उस समय एक और कड़ी जुड़ गई जब हाल ही में फ्लोरिडा में उन्नीस वर्षीय एक लड़के निकोलस क्रूज ने स्टोनमेन डगलस हाई स्कूल में घुस कर अपनी राइफल से 17 लोगों की हत्या कर दी.
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मरने वालों में स्कूल के छात्र-छात्राएं, अध्यापक सभी शामिल थे. निकोलस क्रूज इसी स्कूल का छात्र रहा था, लेकिन उसे उसके उद्दंड व्यवहार के कारण स्कूल से निष्कासित कर दिया गया था. इस घटना ने एक बार फिर अमेरिका को दहला दिया है. ऐसी हर घटना के बाद अमेरिका के राजनीतिक हल्के, मीडिया और बुद्धिजीवियों के बीच जो बहस छिड़ती रही है, वह एक बार फिर छिड़ गई है. बहस के मुद्दे हैं-अमेरिका में हथियारों की सहज उपलब्धता, स्कूल की सुरक्षा और सामाजिक निगरानी व्यवस्था.
अमेरिका के कई राज्यों, जिनमें फ्लोरिडा शामिल है, में अठारह वर्ष से ऊपर के किसी भी व्यक्ति को थोड़ी-सी औपचारिकताओं के बाद हथियार प्राप्त करने में कोई कठिनाई नहीं होती, खासकर बड़े हथियार. माना जाता है कि राइफल जैसे बड़े हथियारों का प्रयोग लोगों की सुरक्षा का एक हिस्सा है, और इन्हें वे खेल, शिकार आदि के लिए इस्तेमाल करते हैं. अमेरिका के कई राजनीतिक हलकों से यह आवाज उठती रही है कि हथियारों की उपलब्धता को कठिन बनाया जाए और सुनिश्चित किया जाए कि ये हथियार बच्चों के हाथ न लगें, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप की सत्तारूढ़ पार्टी कभी भी हथियारों पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में नहीं रही है. यह भी गौर करने वाली बात है कि पिछले राष्ट्रपति चुनाव में अमेरिका की हथियार लॉबी ने डोनाल्ड ट्रंप का साथ दिया था. डोनाल्ड ट्रंप इस लॉबी के हितों को क्षति नहीं पहुंचाना चाहते. लेकिन इस बार हत्याकांड में मृत बच्चों के अभिभावकों ने सीधे-सीधे राष्ट्रपति ट्रंप से पूछा है कि आखिर, उनके बच्चों की हत्याओं की जिम्मेदार हथियारों की आसान उपलब्धता के खिलाफ कोई ठोस नीति क्यों नहीं है? शायद इस बार डोनाल्ड ट्रंप के लिए इस सवाल से बच निकलना मुश्किल है.
दूसरा सवाल स्कूलों की सुरक्षा का है कि आखिर, एक स्कूल में एक व्यक्ति इतना बड़ा हथियार लेकर कैसे घुस सकता है. अगर स्कूल की सुरक्षा व्यवस्था सही होती तो यकीनन यह घटना टल सकती थी. तीसरा सवाल यह है कि अमेरिका जैसे संपन्न देश में सामाजिक निगरानी की व्यवस्था इतनी ढीली क्यों है? हत्यारा लड़का क्रूज गोद लिया हुआ लड़का था. उसे गोद लेने वाले मां-बाप की मृत्यु हो गई थी. उसके उद्दंड और उग्र व्यवहार के बारे में पहले भी कई शिकायतें मिली थीं, और इन्हीं के कारण उसे स्कूल से निकाला गया था. ऐसी स्थिति में उसके ऊपर समुचित सुधारात्मक निगरानी क्यों नहीं रखी गई? क्यों एक लड़के को इस हद तक उग्र हो जाने दिया गया कि उसने सत्रह निदरेष लोगों की जान ले ली और उनके परिवार को जीवन भर का दुख दे दिया? अगर वह लड़का मानसिक रूप से बीमार था, तो जाहिर है कि उसके लक्षण सबके सामने उजागर थे. तो फिर समय रहते उसको निगरानी व नियंत्रण में क्यों नहीं लिया गया? दुनिया का सबसे संपन्न देश अगर इन सवालों के हल नहीं तलाश सकता तो बाकी दुनिया की क्या स्थिति होगी, इसका सिर्फ अनुमान ही लगाया जा सकता है.
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