जीएसटी से बढ़ेगी विकास दर

Last Updated 24 Jan 2017 05:25:15 AM IST

जहां पिछले दिनों 16 फरवरी को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की 9वीं बैठक में एक जुलाई, 2017 से देश के सबसे बड़े कर सुधार जीएसटी को लागू किए जाने पर सहमति बनी है.


जीएसटी से बढ़ेगी विकास दर.

वहीं, 18 फरवरी को जीएसटी परिषद द्वारा गठित वित्त सचिवों की बैठक में जीएसटी में सेवाओं पर एक समान 15 फीसद कर की दर के बजाय कर की तीन दरों-लक्जरी, स्टैंर्डड और बुनियादी को लगभग मंजूर कर लिया गया है. ऐसे में आस बनी है कि जुलाई, 2017 के बाद नोटबंदी की शुरुआती मुश्किलों के कारण उद्योग-कारोबार के पीछे हो जाने से घटती विकास दर धीरे-धीरे बढ़ने लगेगी. आम आदमी को भी लाभ होगा.

उल्लेखनीय है कि जीएसटी परिषद की बैठक में करदाताओं पर प्रशासनिक नियंत्रण को लेकर केंद्र और राज्यों के बीच लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध को खत्म किया गया है. जीएसटी को लेकर करदाताओं पर प्रशासनिक नियंत्रण संबंधी अब तक के सबसे बड़े विवादित मसले पर सहमति बनी कि सालाना 1.5 करोड़ रुपये तक कमाई करने वाली 90 फीसद कंपनियों और संस्थाओं के लिए टैक्स का आकलन राज्य करेंगे, जबकि शेष 10 फीसद का आकलन केंद्र. 1.5 करोड़ रुपये से ज्यादा कमाई करने वाली कंपनियों के लिए टैक्स का आकलन केंद्र और राज्य 50-50 के अनुपात में करेंगे. अब जीएसटी से संबंधित नियम, प्रक्रियाओं और श्रेणीवार कर की दरों पर काम मार्च तक पूरा हो पाएगा. ऐसे में उपयुक्त तैयारी के साथ एक जुलाई, 2017 से जीएसटी लागू हो सकेगा. एक अप्रैल की जगह एक जुलाई से जीएसटी लागू होने के कारण उद्यमियों और कारोबारियों के पास पर्याप्त समय होगा कि भंडार की योजना, बजट, कार्यशील पूंजी आदि के लिए नई रणनीति बना लें.

चूंकि, नोटबंदी के बाद सरकार अर्थव्यवस्था को नकदी रहित बनाने की ओर मुखातिब है, ऐसे में एक जुलाई, 2017 से जीएसटी की शुरुआत अर्थव्यवस्था को गतिशील करने में मददगार होगी. साथ ही,  जीएसटी की तिथि और दर सुनिश्चित हो जाने से आगामी बजट 2017-18 में अप्रत्यक्ष कर का अनुमान अवधारणा के आधार पर नहीं वरन् जीएसटी की वास्तविक निर्धारित दरों के आधार पर किया जा सकेगा, जिससे अर्थव्यवस्था को लाभ होगा. देश-दुनिया के अर्थ विशेषज्ञों का मानना है कि नोटबंदी और जीएसटी, दोनों के प्रभाव से भारतीय अर्थव्यवस्था का विस्तार होगा. इन दोनों कदमों के एक साथ उठाने से आर्थिक विकास को बल मिलेगा. उनका यह भी कहना है कि जहां एक ओर वर्ष 2017 से नोटबंदी के प्रारंभिक लाभ दिखाई देंगे वहीं दूसरी ओर एक जुलाई से जीएसटी लागू होने से उद्योग-कारोबार से लेकर आम आदमी को भी लाभ होगा. परिणामस्वरूप अभी जीडीपी घटने का जो दौर है, वह जीएसटी से धीरे-धीरे बदलेगा और वित्त वर्ष 2017-18 में विकास दर बढ़ेगी.

ज्ञातव्य है कि 16 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने चालू वित्त वर्ष 2016-17 के लिए नोटबंदी के बाद नकदी के संकट और खपत में कमी के मद्देनजर भारत की आर्थिक विकास दर का अनुमान पूर्व निर्धारित 7.6 से घटाकर 6.6 फीसद कर दिया है. फिर अगले वर्ष 2017-18 में विकास दर 7.2 फीसद होगी. इससे पहले 11 जनवरी को वि बैंक ने भी भारत की विकास दर से संबंधित अपनी अध्ययन रिपोर्ट में कहा है कि अचानक घोषित नोटबंदी से भारत के आर्थिक विकास पर प्रभाव पड़ा है. मौजूदा वित्त वर्ष 2016-17 में विकास दर पूर्व में निर्धारित 7.6 से घटकर 7 फीसद रहना अनुमानित है.

निश्चित रूप से नोटबंदी से नवम्बर, 2016 के बाद अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की वृद्धि रफ्तार धीमी पड़ गई. बाजारों में ग्राहकों की कमी हो गई है. असंगठित क्षेत्र और ग्रामीण इलाके अधिक प्रभावित हैं. लोगों की क्रय शक्ति घट गई है. निजी उपभोग प्रभावित हुआ है. सामान्यत: प्रति वर्ष अक्टूबर के बाद औद्योगिक गतिविधियों में खासी तेजी आती है जबकि इस बार नोटबंदी से आर्थिक गतिविधियां घटी हैं. नई परियोजनाओं का ऐलान भी अक्टूबर से दिसम्बर के बीच पिछली तीन तिमाहियों की तुलना में सबसे अधिक सुस्त रहा.



मौजूदा परिदृश्य में अर्थव्यवस्था को गतिशील करने के परिप्रेक्ष्य में सरकार को घरेलू मांग के निर्माण के लिए उद्योग-कारोबार को प्रोत्साहन देना होगा. चूंकि 12 जनवरी, 2017 को सरकार आंकड़ों के अनुसार खुदरा महंगाई दर तीन साल के सबसे निचले स्तर पर आकर 3.41 फीसदी रह गई है, अतएव उद्योग-कारोबार को प्रोत्साहन देने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दर में कमी की जानी होगी. सरकार को अपने निवेश में वृद्धि करनी होगी.

लोगों को रोजगार देकर उनकी क्रय शक्ति बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर सड़क, आवास, बंदरगाह, विद्युत निर्माण आदि क्षेत्रों की कार्यरत योजनाओं को शीघ्र पूरा करने का अभियान शुरू करना होगा. नोटबंदी के दर्द पर मरहम लगाने के मद्देनजर  किसान, निम्न-मध्यम वर्ग और युवा वर्ग के लिए राहतकारी योजनाएं घोषित करनी होंगी. ग्रामीण क्षेत्र की योजनाओं पर जहां अधिक आवंटन जरूरी होगा वहीं किसानों के लिए कर्ज भुगतान अवधि और ब्याज दर में ढील देनी होगी. अब बेनामी संपत्ति पर जोरदार चोट करनी होगी. काले धन का बकाया इलाज पूरा करना होगा. अर्थव्यवस्था को डिजिटल करने की रफ्तार तेज करनी होगी.

आशा करें कि आगामी वित्त वर्ष 2017-18 में नोटबंदी और जीएसटी का लाभ दिखाई देगा. विमुद्रीकरण और जीएसटी की प्रक्रिया से आगे चलकर अर्थव्यवस्था में व्यापक सुधार होंगे. काला धन नियंत्रण से ब्याज दरें कम होंगी. डिजिटल भुगतान बढ़ने से फायदा होगा. भ्रष्टाचार कम होगा. चूंकि जीएसटी एक सरल,  प्रासंगिक और व्यावहारिक अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है, इसलिए इससे उद्योग-कारोबार और निर्यात की स्थिति पटरी पर आएगी.

देशभर के बाजारों में एकरूपता आएगी. कर संग्रह बढ़ने से सरकार की आय बढ़ेगी. दुनिया में कारोबार सुगमता वाले देश के रूप में भारत की पहचान बनेगी. विदेशी निवेश बढ़ेगा. इन सबके कारण भारतीय अर्थव्यवस्था बेहतर होगी और भारत की विकास दर बढ़ेगी.

जयंतीलाल भंडारी


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