नीति निर्धारण में जवाबदेही बढ़ाने के लिए नियामकीय प्रभाव आकलन की जरूरत: सीतारमण
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि कोई भी फैसला करने से पहले उसके गुण-दोष का अध्ययन करने के लिए 'नियामकीय प्रभाव आकलन' की जरूरत है। उन्होंने मौजूदा नियमों के लिए भी ऐसी समीक्षा की वकालत की।
![]() केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (फाइल फोटो) |
वित्त मंत्री ने कहा कि ऐसी व्यवस्था होने से नीति निर्धारण प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में कहा, ''प्रस्तावित और मौजूदा नियमों तथा गैर-नियामक विकल्पों के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों का गंभीरता से आकलन के लिए हमारे पास नियामकीय प्रभाव मूल्यांकन की व्यवस्था होनी चाहिए।''
सीतारमण ने कहा कि कारोबारी सुगमता के लिए विभिन्न नियमों के तहत आवेदनों पर निर्णय लेने की समयसीमा भी तय की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा, ''कारोबारी सुगमता के लिए नियमों की गुणवत्ता, आनुपातिकता और प्रभावशीलता सबसे ज्यादा मायने रखती है।''
सीतारमण ने कहा कि वित्तीय नियामकों का मुख्य ध्यान बाजार विकास और निवेशकों की सुरक्षा पर होना चाहिए। साथ ही बाजारों को ऐसा बनाया जाना चाहिए, जिससे पूंजी जुटाने में आसानी हो और निवेशकों को जरूरी सुरक्षा भी दी जानी चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि नियामक का काम कठिन है और अक्सर उन्हें इसके लिए सराहना भी नहीं मिलती है।
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