करूर भगदड़ : मौत या हत्या
तमिलनाडु के करूर जिले में एक रैली में भगदड़ मचने से 40 लोगों की मौत हो गई और अनेक घायल हो गए। घायलों में कुछ की हालत गंभीर बताई गई है। मरने वालों में 10 बच्चे और 16 महिलाएं शामिल हैं।
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टीवीके के नेता और अभिनेता विजय ने शनिवार को तमिलनाडु के करूर जिले में रैली की थी। विजय ने भगदड़ में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर घोषणा की कि हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को 20-20 लाख रुपये का मुआवजा देंगे। घायलों को भी 2 लाख देने का ऐलान किया। हादसा उस समय हुआ जब हजारों समर्थक विजय के संबोधन को सुनने के लिए इकट्ठा थे।
कार्यक्रम स्थल पर भीड़ बढ़ती चली गई। इसी पुलिस ने एकाएक लाठीचार्ज कर दिया जिससे भगदड़ मच गई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने घटना को ‘गंभीर और चिंताजनक’ बताया। करूर नगर पुलिस ने टीवीके के नेताओं के समेत कई लोगों के खिलाफ बीएनएस की सुसंगत धाराओं में मामला दर्ज किया है। भगदड़ के कारणों को लेकर लोगों के अपने-अपने दावे हैं, और स्पष्ट नहीं है कि क्या गड़बड़ हुई; क्या आयोजन स्थल का चयन गलत होने से यह सब हुआ या फिर भीड़ के बेकाबू हो जाने से।
कुछ लोगों का दावा है कि सभा स्थल पर भीड़ ने अवरोधक के लिए लगाए गए टिन शेड को गिरा दिया और कई लोग पास की फूस की छतों पर चढ़ गए जो उनका भार सहन नहीं कर सकीं और गिर गई। इस बीच स्थिति को काबू में लाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया जिससे भीड़ में फंसे बच्चों समेत अन्य लोग समझ नहीं पाए कि हो क्या रहा है। बेशक, यह घटना राजनीतिक आयोजनों में सुरक्षा में चूक की कमी को उजागर करती है।
ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एसओपी बनाई जानी चाहिए ताकि रैलियों में किसी तरह की भगदड़ न होने पाए। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि देश में पिछले कुछ समय में हुई ऐसी भगदड़ों के बाद भी सबक क्यों नहीं लिया गया? राजनीतिक आयोजनों ही नहीं, बल्कि धार्मिक स्थलों और खेल के मैदानों में भी दर्शकों की भीड़ बेतहाशा बढ़ने पर इस प्रकार के हादसे की आशंका बराबर बनी रहती है। जरूरी है कि भीड़ के कारगर प्रबंधन के लिहाज से भी बंदोबस्ती में ध्यान रखा जाए। एसओपी तैयार किया जाना तो बेहद जरूरी है।
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