बेवजह का विवाद

Last Updated 30 Jun 2025 12:57:47 PM IST

लोकतंत्र में संविधान किसी देश की आत्मा का दस्तावेज होता है। इसमें दर्ज एक-एक शब्द सरकार के लिए अपनी जनता के साथ व्यवहार के तौर-तरीके तय करने वाला होता है।


बेवजह का विवाद

भारत में संविधान को अत्यंत पवित्र माना जाता है, और इसकी प्रस्तावना तक में कोई शाब्दिक जोड़ घटाव पर भी विवाद हो सकता है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मानें तो संविधान की प्रस्तावना परिवर्तनशील नहीं है, लेकिन भारत में आपातकाल के दौरान इसे बदल दिया गया।

उपराष्ट्रपति ने एक पुस्तक विमोचन समारोह में इस कार्य को संविधान निर्माताओं की बुद्धिमत्ता के साथ विश्वासघात और नासूर की संज्ञा दी। ज्ञात हो कि 1976 में कांग्रेस सरकार ने प्रस्तावना में 42वें संविधान (संशोधन) के जरिए ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्द जोड़े थे।

उपराष्ट्रपति के अनुसार जोड़े गए शब्द उथल-पुथल पैदा कर सकते हैं। यह सनातन की भावना का अपमान है। उपराष्ट्रपति के अनुसार, भारत के अलावा किसी दूसरे देश में  संविधान की प्रस्तावना में बदलाव नहीं किया गया।

भारत में यह काम तब किया गया जब विपक्ष के प्रमुख नेता जेल में थे और इसका कोई औचित्य नहीं था। सबसे अहम बात जो उन्होंने की वह यह कि हमें इस पर विचार करना चाहिए। धनखड़ की यह टिप्पणी ऐसे वक्त में आई है जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) नेता दत्तात्रेय होसबोले ने इसी हफ्ते संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गए ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों की समीक्षा का आह्वान किया है।

आरएसएस का कहना है कि ये शब्द कभी भी अंबेडकर द्वारा तैयार संविधान का हिस्सा नहीं थे। होसबोले के बयान से राजनीतिक विवाद की स्थिति पैदा हो गई है। संघ का तर्क है कि होसबोले का मंतव्य संविधान की ‘मूल भावना’ को बहाल करने के बारे में है।

यहां सवाल उठता है कि 42वें संविधान संशोधन के लगभग 59 साल बाद इस बारे में विवाद का क्या मतलब है? संविधान की प्रस्तावना इसकी मूल भावना को कतई कमजोर नहीं कर सकती। देखा जाए तो सरकार जनता की भलाई के रास्ते पर ही तो चलती है।

कोई राजनीतिक विचारधारा इन शब्दों से सहमत हो या न हो लेकिन काम तो इन्हीं सिद्धांतों के आधार पर ही करती है। वर्तमान भाजपा गठबंधन सरकार की नीति भी तो सबकी भलाई और उन्नति ही है। यह वक्त विवाद खड़ा करने नहीं अपितु संविधान पर ईमानदारी से अमल करने का है। जिन शब्दों के जोड़ने से आज तक कुछ नहीं बिगड़ा, वो हटाए जाने की सूरत में काफी कुछ बिगाड़ सकते हैं।



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