बहाल हो भरोसा

Last Updated 28 Jun 2025 03:16:18 PM IST

जम्मू-कश्मीर में प्रतिवर्ष होने वाली वाषिर्क तीर्थयात्रा अमरनाथ के लिए पंजीकृत श्रद्धालुओं में से केवल एक तिहाई ने यात्रा की पुष्टि की है।


बहाल हो भरोसा

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बताया कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के कारण कुल तीर्थयात्री पंजीकरण में बीते वर्ष की तुलना में 10 फीसद से अधिक की गिरावट देखी जा रही है।

पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था के दौरान इस वर्ष तीन जुलाई से 9 अगस्त तक यह यात्रा चलेगी। सिन्हा ने बताया कि पहलगाम घटना से पहले पंजीकरण अच्छी गति से चल रहा था। जिसमें तकरीबन दो लाख छत्तीस हजार श्रद्धालुओं ने पंजीकरण कराया था।

इस हमले में 26 पर्यटकों के मारे जाने के बाद से समूचे जम्मू-कश्मीर विषेशकर घाटी जाने वालों में काफी गिरावट आई है। बीते साल अमरनाथ की यात्रा करने वालों की संख्या पांच लाख बारह हजार तक पहुंच गई थी। जो बीते दशक से भी ज्यादा समय में सबसे ज्यादा बताई गई।

विश्वास किया जा रहा था कि सुरक्षा-व्यवस्था बढाए जाने के दावों के बाद उम्मीद की जा रही थी कि यात्रियों में भय कम हो सकता है।

आतंकियों द्वारा की गई जघन्य हत्या से लोगों में इस कदर भय है कि स्थानीय व्यापारियों व होटल वालों का कहना था कि गर्मियों में यहां दस/बीस फीसद पर्यटक आए, जिससे उनका सारा धंधा चौपट हो गया।

अमरनाथ श्राइन बोर्ड द्वारा पहलगाम हमले से पहले पंजीकरण कराने वाले तीर्थयात्रियों से दोबारा सत्यापन की प्रक्रिया चालू की, जिसमें बस पिचासी हजार शिवभक्तों ने पंजीकरण की दोबारा पुष्टि की है। हालांकि लोग जल्द ही त्रासदियां भुला देते हैं।

मगर सुरक्षा को लेकर लापरवाही यात्रियों की जान जोखिम में डालने वाली हो सकती है। यूं भी तीर्थ स्थलों में उमड़ने वाली भीड़ और इसके कारण उपजी अव्यवस्था की खबरें आम हो चुकी हैं। यूं भी दुर्गम इलाकों और घाटियों को तमाम छानबीन के बावजूद पूर्णत: सुरक्षित रखने का दावा अतिउत्साह कहलाएगा।

पहले कई दफा आतंकवादी इस पवित्र यात्रा को निशाना बनाने की धमकियां भी देते रहे हैं। किसी भी आयोजन की सफलता उसका शांतिपूर्ण ढंग से निपट जाना है। बावजूद इसके कि श्रद्धालुओं को पल्रोभन देकर आमंत्रित किया जाए और उनकी जान जोखिम में डाली जाए। 



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