नये अध्याय का प्रारंभ

Last Updated 18 Jul 2023 01:49:54 PM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का फ्रांस में जैसा स्वागत हुआ, वह ऐतिहासिक और अभूतपूर्व था।


नये अध्याय का प्रारंभ

फ्रांस के राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर आयोजित परेड में भारतीय प्रधानमंत्री को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित करने के साथ ही उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान से विभूषित करना द्विपक्षीय संबंधों के लिहाज से बहुत अहम है। इससे नई दिल्ली और पेरिस के संबंधों में एक नये अध्याय की शुरुआत हुई है। रक्षा उपकरणों एवं हथियारों के उत्पादन में एक दूसरे का सहयोग, जलवायु परिवर्तन जैसे ज्वलंत वैश्विक मुद्दों पर एक दूसरे के साथ खड़े रहना, और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पारस्परिक सहयोग करना द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी के मुख्य स्तंभ हैं।

इस तरह भारत और फ्रांस द्विपक्षीय संबंधों की बुनियाद जिस ठोस धरातल पर रखी गई है, उससे एक अहम सवाल उठता है कि क्या भारतीय विदेश नीति का झुकाव रूस की बजाए फ्रांस की तरफ हो रहा है? रूस सोवियत संघ के जमाने से ही भारत का भरोसेमंद मित्र रहा है। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में उसने खुलकर भारत का समर्थन किया था।

दूसरी ओर, फ्रांस के साथ भी भारत का पिछले 25 वर्षो से मधुर रिश्ता है। 1998 में जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने पोखरण में दूसरा सफल भूमिगत परमाणु परीक्षण किया था, तब भारत को दंडित करने के लिए अमेरिका ने सख्त प्रतिबंध लगाए थे। अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य संगठन नाटो का सदस्य होने के बावजूद फ्रांस ने इसकी मुखालफत की थी। इसी तरह, 2019 में कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने के सवाल पर सुरक्षा परिषद में उसने भारत का साथ दिया था।

हालांकि रूस के साथ भी भारत के संबंध अच्छे हैं लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध में दोनों देशों के संबंधों में कुछ खरोचें आई हैं। रूसी राष्ट्रपति पुतिन इस युद्ध में भारत के तटस्थ रुख से नाखुश हैं। अमेरिका की रूस विरोधी नीतियों ने मास्को और बीजिंग को एक दूसरे के बहुत करीब ला दिया है, लेकिन पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी अतिक्रमण को रोकने की दिशा में रूस से भारत को मायूसी मिली है।

इसी बीच, भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी मजबूत हुई है, लेकिन वहां के थिंक टैंक, मीडिया और प्रबुद्ध वर्ग मोदी की कथित अल्पसंख्यक विरोधी नीति और मानवाधिकारों के सवालों को लेकर उनकी आलोचना करता रहता है, जिससे भारत अमेरिका के प्रति हमेशा सशंकित रहता है। लेकिन फ्रांस ऐसा यूरोपीय देश है, जिसके साथ भारत बहुत सहज महसूस करता है।



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