तबाही के भंवर में
पाकिस्तान के पेशावर के उच्च सुरक्षा क्षेत्र में नमाजियों से भरी मस्जिद में सोमवार को हुए फिदायीन हमले ने स्पष्ट कर दिया है कि यह मुल्क अब तबाही के भंवर में फंसता जा रहा है।
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इस हमले में 91 निदरेष लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें ज्यादातर पुलिसकर्मी और सैन्य कर्मी हैं। इस हमले की जिम्मेदारी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने ली है। टीटीपी खतरनाक आतंकी संगठन है। बेमतुल्लाह मकसूद ने 2007 में इसका गठन किया था। वैचारिक रूप से यह संगठन अफगानी तालिबान से मिलता-जुलता है। इसका उद्देश्य पाकिस्तान में अफगानिस्तान की तरह शरिया आधारित अमीरात की स्थापना करना है।
पिछले कुछ महीनों से टीटीपी ने पाकिस्तान के विरुद्ध जंग छेड़ दी है। माना जा रहा है कि इस आतंकी संगठन ने अपने कमांडर उमर खालिद खुरासनी की हत्या का बदला लेने के लिए पेशावर की मस्जिद में यह फिदायीन हमला किया है। उमर खालिद पिछले साल अगस्त में पाकिस्तानी सेना के हाथों मारा गया था। टीटीपी का खैबर पख्तूनख्वाह और अन्य कबायली इलाकों में काफी प्रभाव है। सुरक्षा विशेषज्ञों को पाकिस्तान में भी अफगानिस्तान की तरह तालिबान के सत्ता में आने की आशंका होने लगी है।
जाहिर है कि ऐसा होता है तो भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। लोगों को याद होगा कि पिछले दिनों अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने परमाणु हथियारों से लैस पाकिस्तान को दुनिया का सबसे खतरनाक देश बताया था। बाद में पाकिस्तान सरकार के विरोध करने के बाद व्हाइट हाउस ने उनके बयान को वापस ले लिया था। आतंकवाद की मार झेल रहा पाकिस्तान गंभीर आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। वहां की आम जनता महंगाई, बिजली संकट, खाद्यान्न की कमी से जूझ रही है।
आज पाकिस्तान जिन मुश्किलों का सामना कर रहा है, उसके लिए वहां के हुक्मरान ही जिम्मेदार हैं। उन्होंने भारत के खिलाफ जिन आत्ंकियों को पाल-पोस कर आगे बढ़ाया वही उनके दुश्मन बन रहे हैं। एक साथ आजादी हासिल करने वाले भारत और पाकिस्तान के हालात दुनिया के सामने हैं। भारत में लोकतांत्रिक प्रणाली सफलतापूर्वक काम कर रही है। दुनिया भारत की ओर देख रही है। भारत महाशक्ति बनकर उभर रहा है और दूसरी ओर पाकिस्तान अपने ही हुक्मरानों की गलतियों से टूटने की ओर है। पाकिस्तानी हुक्मरानों के सामने यह अवसर है कि भारत से कुछ सीख लें।
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