भारत का कड़ा रुख
यूक्रेन के बुचा शहर में सैकड़ों लोगों के कत्लेआम के बाद भारत का रुख कड़ा हो गया है।
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भारत ने इस नरसंहार पर गहरी चिंता जताते हुए सारे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में नागरिकों के मारे जाने संबंधी खबरों को बेहद परेशान करने वाला बताते हुए इस कृत्य की कड़ी निंदा की गई। भारत ने कहा है कि बुचा से आ रहीं आम नागरिकों की हत्याओं की खबरें परेशान करने वाली हैं, और इनकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर विश्व मामलों की नियामक संस्था संयुक्त राष्ट्र में अब तक के अपने सबसे कड़े बयान में भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि हम बुचा में हुई हत्याओं की बिना किसी लाग-लपेट के कड़ी निंदा करते हैं, और निष्पक्ष जांच का समर्थन करते हैं।
भारत एक बार फिर अपील करता है कि यूक्रेन में हिंसा तुरंत रोकी जानी चाहिए। जब निदरेष लोगों की जान दांव पर लगी हो तो कूटनीति ही एकमात्र विकल्प रह जाता है, इसलिए भारत शांति और युद्ध समाप्ति के अपने प्रयास पुरजोर तौर पर करता रहेगा। यूक्रेन का आरोप है कि बुचा पर कब्जे के दौरान रूसी सैनिकों ने नरसंहार किया है। रूस इस आरोप को सिरे से गलत बताता है। रूस की दलील पर दुनिया का कोई भी देश भरोसा नहीं कर रहा। युद्ध शुरू होने के बाद संयुक्त राष्ट्र में अपने पहले संबोधन में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि बुचा में आम लोगों को टैंकों तले कुचला गया और महिलाओं के साथ उनके बच्चों के सामने बलात्कार किया गया। रूसी सेना ने यूएन चार्टर का खुला उल्लंघन किया है।
यूरोपीय देशों और अमेरिका ने बुचा में हत्याओं को भयानक बताते हुए रूस पर युद्ध अपराधों का आरोप लगाया है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को एक ‘युद्ध अपराधी’ बताते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि उन पर युद्ध अपराधों में मुकदमा चलना चाहिए। रूस ने इन आरोपों के तहत दिखाई जा रही तस्वीरों को फर्जी बताते हुए दुनिया भर के नेताओं से आग्रह किया है कि वे बिना सोचे-समझे आरोप न लगाएं। युद्ध आज इस मुकाम पर है, जहां चारों ओर यूक्रेन की बरबादी की ही तस्वीरें नजर आती हैं। भारत ने आज तक तो इस युद्ध में किसी का साथ न देकर केवल शांति प्रयासों का ही समर्थन किया है, लेकिन कभी न कभी तो उसे अपनी छवि की चिंता करनी ही होगी।
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