कांग्रेस की प्रासंगिकता

Last Updated 07 Apr 2022 12:14:39 AM IST

देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है।


कांग्रेस की प्रासंगिकता

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी इस बात को स्वीकार किया है। उन्होंने पार्टी के संसदीय दल की बैठक में हाल में संपन्न पांच राज्यों के चुनाव नतीजों को हताशा भरे और चौंकाने वाला करार देते हुए कहा कि आगे भी पार्टी के लिए राह आसान नहीं है। लेकिन उनकी इस बात से देश का हर नागरिक सहमत हो सकता है कि समाज और लोकतंत्र के लिए कांग्रेस का फिर से मजबूत होना आवश्यक है। सच है कि लोकतंत्र में मजबूत विपक्ष का होना जरूरी है।

दुर्भाग्य है कि वर्तमान में विपक्ष बहुत कमजोर है। तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी और आप के नेता अरविंद केजरीवाल सहित अन्य विपक्षी नेताओं को लगता है कि भाजपा के विरोध में मजबूत विपक्ष तब तक खड़ा नहीं किया जा सकता जब तक कि इसकी अगुवाई कांग्रेस कर रही है। यह सोच आत्म प्रवंचना जैसा ही है। राजनीतिक यथार्थ तो यह है कि आज भी कांग्रेस ही मुख्य विपक्ष की भूमिका का निर्वाह करने की स्थिति में है।

कांग्रेस 2014 और 2019 का लोक सभा चुनाव भले हार चुकी है लेकिन उसे करीब 20 फीसद वोट मिले हैं जबकि अन्य विपक्षी पार्टियों को 10 फीसद वोट भी नहीं मिले। पिछले दिनों राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार को भी कहना पड़ा कि कांग्रेस ही मुख्य विपक्षी पार्टी की अगुवाई कर सकती है क्योंकि सत्ता में नहीं होने के बावजूद उसके समर्थक और कार्यकर्ता गांव-गांव तक मौजूद हैं। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का भी मानना है कि देश में लोकतंत्र की सफलता के लिए कांग्रेस का विपक्ष के रूप में उभरना आवश्यक है। राजनीति के कुछ जानकारों का विश्वास है कि तृणमूल कांग्रेस या आम आदमी पार्टी कांग्रेस का विकल्प हो सकती है।

इन दोनों पार्टियों के नेता अपने-अपने राज्यों में राजनीतिक रूप से भले सबसे शक्तिशाली हैं, लेकिन इनका अभी अखिल भारतीय स्तर पर कोई बड़ा जनाधार नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह इससे परिचित हैं कि भाजपा को कांग्रेस ही चुनौती दे सकती है। इसलिए दोनों अक्सर कांग्रेस को ही अपना निशाना बनाते हैं, कांग्रेस हाल फिलहाल अनेक समस्याओं का सामना कर रही है। लेकिन अपने मध्यममार्गी विचारों के कारण वह आज भी प्रासंगिक बनी हुई है। इस बात की संभावना ज्यादा है कि 2024 के आम चुनाव में कांग्रेस की अगुवाई में ही विपक्ष एकजुट होकर भाजपा का मुकाबला करेगा।



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