हिंसा की संस्कृति

Last Updated 24 Mar 2022 12:18:52 AM IST

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के रामपुर हाट में एक तृणमूल नेता की हत्या के बाद कई लोगों को एक साथ जिंदा जलाने की घटना बहुत डरावनी है।


हिंसा की संस्कृति

सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के बहुमत वाली बरशल ग्राम पंचायत के  उपप्रधान की सोमवार शाम को हत्या से गुस्साए लोगों ने देर रात दरवाजे बंद कर सात-आठ घरों में पेट्रोल छिड़कर आग लगा दी जिससे छह महिलाओं और दो बच्चों समेत दस लोगों की मौत हो गई। राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन किया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी ममता सरकार से 72 घंटों में रिपोर्ट देने को कहा है। पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हत्याओं का दौर कई वर्षो से अनवरत जारी है। इन घटनाओं को देखकर प्रतीत होता है कि पश्चिम बंगाल ने राजनीतिक हिंसा को अपनी संस्कृति का हिस्सा बना लिया है।

वस्तुत: प्रदेश में क्रांतिकारी हिंसा की परंपरा रही है, जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस, खुदीराम बोस जैसे राष्ट्रवादी क्रांतिकारियों से लेकर चारु मजूमदार और कानू सान्याल जैसे नक्सलवादी क्रांतिकारियों तक आती है। सांप्रदायिक और राजनीतिक गुटों की पारस्परिक शत्रुता भी बड़ा कारक है, जिसने पश्चिम बंगाल में हिंसा की परंपरा स्थापित कर दी है। इन हिंसक घटनाओं का सर्वाधिक दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह है कि हिंसा की किसी भी ऐसी घटना के बाद राजनीतिक दलों का एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने का खेल शुरू हो जाता है।

राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने इस घटना को नरसंहार बताते हुए सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है और घटना की सीबीआई से निष्पक्ष जांच कराने की मांग को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच भी ट्विटर युद्ध शुरू हो गया है। ऐसी घटनाओं पर आम तौर पर सत्ता पक्ष किसी न किसी तरह का षडय़ंत्र तलाशता है जैसा कि इस समय ममता बनर्जी तलाश रही हैं।

सच तो यह है कि भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के बयान और व्यवहार से हिंसा के प्रति चिंता कम, बल्कि एक दूसरे से निपटने की कोशिश ज्यादा दिख रही है। वस्तुत: समय की मांग यह है कि हर राजनीतिक अपने क्षुद्र स्वाथरे से ऊपर उठकर राज्य को हिंसा की संस्कृति से बाहर निकालने का ईमानदार प्रयास करे। नागर संस्थाओं का कर्त्तव्य है कि वे इस तरह की हर सकारात्मक पहल को अपना समर्थन दें अन्यथा पश्चिम बंगाल हिंसा की गहरी खाई में जा गिरेगा।



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