तरल विस्फोटकों का खतरा

Last Updated 08 Mar 2022 02:58:56 AM IST

आतंकवाद जम्मू-कश्मीर की किस्मत को लगा ऐसा रोग है, लाख जतन के बाद भी जिसका इलाज नहीं मिल पा रहा।


तरल विस्फोटकों का खतरा

हर दिन देश के इस हिस्से में आतंकवादी या उनके मददगार मारे या पकड़े जाते हैं, लेकिन आतंकवाद रूप और साधन बदलकर फिर आ जाता है। जाहिर है इसके पीछे पाकिस्तान सरकार का खुला हाथ है। पाक सेना और आईएसआई जी जान से जम्मू- कश्मीर में गड़बड़ी फैलाने के प्रयास में जुटे रहते हैं। इसके लिए धन, हथियार, अन्य साधन और आतंकी सीमा पार से झोंके जाते हैं। ये आतंकी देखने में अनपढ़ और जाहिल लगते हैं, लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है। इनमें रासायनिक अस्त्रों, ड्रोन तकनीक तथा साइबर युद्ध के जानकार तक शामिल होते हैं। आतंकवाद की 15 साल की समयावधि में इस क्षेत्र में फिर तरल विस्फोटक मिला है। हाल ही में जम्मू में अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर पाकिस्तान की ओर से आए ड्रोन ने तीन बोतल सफेद पदार्थ गिराया है। इसके बाद से सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं।

शुरुआती तफ्तीश से संकेत मिला है कि यह ट्राइ नाइट्रो टाल्वीन (टीएनटी) नाइट्रो ग्लिसरीन या हो सकता है, ये बहुत घातक विस्फोटक पदार्थ हैं। नाइट्रोग्लिसरीन का आमतौर पर डायनामाइट में इस्तेमाल होता है, लेकिन जांच रिपोर्ट का इंतजार है। एक माह पहले पाक की ओर से आए ड्रोन से गिराए गए सामान की गहन तलाशी में इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईडी), हथियार और गोला बारूद एवं डिटोनेटर के साथ ये तीन बोतलें बरामद की गई थीं। यह सामग्री संभवत: आतंकवादी घटनाओं के लिए तस्करी करके कश्मीर पहुंचाने या जम्मू के भीड़भाड़ वाले बाजार में इस्तेमाल करने के लिए भेजी गई थी।

जम्मू लंबे समय से पाकिस्तान से संचालित आतंकवादी गुटों के निशाने पर है और ये आतंकी गुट जम्मू संभाग को सांप्रदायिक दंगों की आग में झोंकना चाहते हैं। ज्ञातव्य है कि आतंकवादियों ने तरल विस्फोटक का इस्तेमाल सबसे पहले वर्ष 2007 में दक्षिण कश्मीर में किया था, लेकिन उसके बाद से करीब एक दशक तक जम्मू-कश्मीर में इसका इस्तेमाल नहीं हुआ है,  लेकिन अब इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि पाकिस्तान से संचालित आतंकी गुट तरल विस्फोटकों के फिर से इस्तेमाल पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। यह सुरक्षा बलों के लिए बड़ी चिंता की बात है क्योंकि प्लास्टिक विस्फोटकों की तरह तरल विस्फोटकों का पता पारंपरिक जांच या खोजी कुत्तों द्वारा नहीं लगाया जा सकता है।



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