युद्ध का असर
यूक्रेन संकट का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ता नजर आने लगा है।
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शेयर बाजार धड़ाधड़ गिर रहे हैं, दूध के दामों में अभी से दो रुपये तक की वृद्धि हो चुकी है तो रुपया डॉलर के मुकाबले लुढ़ककर ऐतिहासिक स्तर तक नीचे गिर चुका है। जानकारों का कहना है कि जब तक यूक्रेन संकट चलता रहेगा तब तक इस स्थिति में सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकती। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 140 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच जाने के बावजूद भारतीय तेल कंपनियां पेट्रोलियम पदार्थों के दाम विधानसभा चुनावों तक बढ़ाने से हिचकती रही हैं। अब कभी भी पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने की आशंका को देखते हुए पेट्रोल पंपों पर लाइनें लगने लगी हैं। तेल कंपनियों के लिए मूल्यवृद्धि को रोकना मुश्किल हो गया है।
सोमवार को सेंसेक्स तेज उठापटक के बाद 1491 अंक की भारी गिरावट के साथ बंद हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 383.20 अंक तक लुढ़क गया। इससे भी अधिक चिंताजनक स्थिति तो रुपये की रही। यह 84 पैसे गिरकर 77.01 प्रति डॉलर पर पहुंच गया जो ऐतिहासिक रूप से उसका अभी तक का सबसे निचला स्तर है। साफ है कि ऐसा रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से हो रहा है क्योंकि बढ़ती अनिश्चितताओं के बीच निवेशक अपना धन वहां लगा रहे हैं जहां उन्हें उसके सुरक्षित रहने की उम्मीद ज्यादा हो। बाजार पर सबसे ज्यादा असर कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ते दामों का ही पड़ रहा है, जो युद्ध की वजह से निरंतर उफान पर हैं। सोमवार को कच्चे तेल के दाम 140 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गए थे। अगर युद्ध लंबा चला तो तेल के दाम और बढ़ेंगे।
ईधन के दामों में बढ़ोत्तरी की वजह से माल ढुलाई की लागत भी बढ़ती है और इसका असर जरूरी वस्तुओं के दामों पर पड़ता पर है। इस बात की पूरी संभावना है कि अब न सिर्फ पेट्रोल और डीजल बल्कि खाना पकाने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले तेल और वनस्पति तेल के दाम भी बढ़ेंगे। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई स्थानों से डीजल की अत्यधिक खरीदारी के खबरें हैं। दूध के दाम अभी से बढ़ने लगे हैं। अमूल और मदर डेरी ने अपने अपने दूध के दाम दो रु पये बढ़ा दिए हैं। अगर रूस और यूक्रेन का मामला जल्द नहीं सुलझा तो स्थितियां विकट हो सकती हैं।
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