समाधान निकाले भारत
कोरोना के ओमीक्रोन वेरिएंट का पहला केस नीदरलैंड में पाया गया, लेकिन इसकी उत्पत्ति दक्षिण अफ्रीका से मानी गई।
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अब तक इसके 108 से अधिक देशों में लाखों संक्रमित पाए जा चुके हैं, और यह संख्या तेजी से बढ़ रही है। एशिया सहित दुनिया भर के देशों ने पिछले साल की तरह फिर से यात्रा प्रतिबंध और पाबंदियां लगा दी हैं। तथ्य है कि ओमीक्रोन अधिक संक्रामक है। भारत में भी 19 राज्यों में इसके हजारों मामले पाए जा चुके हैं।
भारत ने अनेक एहतियाती कदम उठाए हैं। फिलहाल इस बात से राहत है कि ओमीक्रोन पूर्व वेरिएंट डेल्टा जितना घातक नहीं है। लेकिन यह शुरुआती अध्ययनों की ही बात है। चिंता की बात यह है कि एशिया में ओमीक्रोन के फैलने और उसके फलस्वरूप फिर से बढ़ते प्रतिबंधों का भारत समेत तमाम एशियाई देशों पर भारी असर होगा। इसका अंदाजा सिंगापुर को सामने रखकर लगाया जा सकता है। सिंगापुर एशिया के सबसे बड़े व्यापार केंद्रों में प्रमुख स्थान रखता है। चीन और भारत जैसे देशों के व्यापार का बड़ा हिस्सा इस देश के जरिए ही संचालित होता है। सिंगापुर दक्षिण पूर्व एशिया में भारत का प्रमुख व्यापार सहयोगी है। भारत में सीधे विदेशी निवेश के मामले में सिंगापुरका प्रमुख स्थान है।
2020-2021 में भारत में कुल निवेश का 29 फीसदी सिंगापुर से ही आया। अमेरिका इस श्रेणी में दूसरे स्थान पर है। भारत के कई प्रमुख स्टार्ट-अप और सर्विस सेक्टर संबंधी कंपनियां सिंगापुर में स्थित हैं। भारतीय पर्यटकों के लिए सिंगापुर और थाईलैंड आकषर्ण के बड़े केंद्र हैं। सिंगापुर, जापान और थाईलैंड में फिर से लगे प्रतिबंधों से भारत की अर्थव्यवस्था, व्यापार और इन देशों में काम कर रहे भारतीयों के लिए बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है।
भारत को इन देशों खास तौर पर सिंगापुर के साथ मिलकर इस समस्या के समाधान का रास्ता ढूंढना पड़ेगा। ओमीक्रोन की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत को आगे बढ़कर रास्ता निकालना होगा। यह भारत के अपने हितों के लिए भी बहुत जरूरी है। इसका असर 2022 में इन देशों की आर्थिक रिकवरी पर ही नहीं, बल्कि भारत के साथ आर्थिक संबंधों को सुधारने को कोशिश पर भी होगा। देखना है कि भारत अपनी विदेश नीति और घरेलू स्थिति में सामंजस्य बिठाकर इस समस्या से कैसे निपटता है!
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