भारत की दोस्ती

Last Updated 14 Dec 2021 12:11:24 AM IST

भारत की हमेशा कोशिश रही है कि अफगानिस्तान में स्थितियां सुधरें। वहां हालात सामान्य हों, और अफगान नागरिक सामान्य जीवन जी सकें।


भारत की दोस्ती

संकट से जूझ रहे अफगानिस्तान की मदद के लिए भारत ने फिर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद से परेशानियों के बीच जीवन गुजार रहे अफगानियों के लिए भारत ने भारी मात्रा में दवाओं की खेप भेजी है। तालिबान के काबिज होने के बाद से ही वहां भारत की तमाम गतिविधियां थमी हुई हैं। तालिबान की सत्ता को मान्यता देने को लेकर भारत अभी तक दुविधा में है।

तालिबान के आने तक अफगानिस्तान में भारत की अरबों डॉलर की लागत वाली विकास योजनाएं चल रही थीं। जो एकाएक रुक गई और तालिबान तथा पाकिस्तान की दोस्ती को लेकर भारत में नई आशंकाएं उभर आई। तबसे स्थितियां लगभग जस की तस थीं। रूस तथा चीन के तालिबान की सत्ता को समर्थन देने के बाद दुनिया भी इस दिशा में कुछ नरम हुई है। गृहयुद्ध और युद्ध के बीच पिस रही जनता को अभावों से जूझता देख संयुक्त राष्ट्र ने सारी दुनिया से मदद की गुहार की है। यूनीसेफ और विश्व बैंक ने भी मदद का हाथ बढ़ाया है।

ऐसे में भारत कैसे पीछे रह सकता था? अफगानिस्तान हमारा पड़ोसी होने के साथ पाक का भी पड़ोसी है, जिससे हमारे रिश्ते हमेशा तल्ख रहे हैं। ऐसे में अफगानिस्तान का पाक की तरफ झुकाव भारत के लिए दिक्ततें बढ़ा सकता था क्योंकि पाक लगातार तालिबान को बढ़ावा देता आया है। भारत ने इसीलिए लंबे वक्त तक तटस्थ रुख बनाए रखा। हालांकि अफगानों से भारत के रिश्ते लंबे वक्त से दोस्ताना रहे हैं। चीन का अफगानिस्तान में बढ़ता दखल भी चिंता का विषय बनता जा रहा था। केवल अमेरिका की नाराजगी की आशंका में यह खतरा उठाना भारत के लिए अच्छा नहीं होता।

इधर भारत ने नई कूटनीति पर चलते हुए किसी की नाराजगी की चिंता करना छोड़ दिया है। रूस से एस-400 मिसाइल सुरक्षा प्रणाली की खरीद इसका उदाहरण है। अफगानिस्तान की जनता के लिए जीवनरक्षक दवाएं भेजकर भारत ने अपना मानवीय पक्ष दुनिया के सामने रखा है। इससे अफगान जनता में भारत की अहमियत बढ़ेगी। यह बड़े महत्त्व का कूटनीतिक कदम है और अमेरिका तथा चीन को भी बिल्कुल साफ संकेत है। निश्चित तौर पर भारत की मदद वहां के लोगों के लिए वरदान साबित होगी।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment