पीएम की सक्रियता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ही दिन अहमदाबाद, हैदाराबाद और पुणो में स्थित वैक्सीन केंद्रों का दौरा करके एक बार पुन: यह दर्शाया है कि वे कोरोना वायरस महामारी के विरूद्ध लड़ाई में किसी भी तरह की ढिलाई नहीं आने देना चाहते।
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उनका वैक्सीन केंद्रों के दौरे से यह भी स्पष्ट हुआ है कि प्रधानमंत्री मोदी स्वयं सक्रिय रहकर महामारी से बचाव व नियंत्रण की प्रक्रिया को सक्रिय रखना चाहते हैं।
उनकी सक्रियता से वैक्सीन निर्माण की प्रक्रिया में दिन-रात जुटे हुए वैज्ञानिकों का उत्साहवर्धन तो हुआ ही, साथ ही जनमानस में यह भी संदेश गया कि भारत वैक्सीन निर्माण के क्षेत्र में तेजी से काम कर रहा है और दुनिया के किसी भी देश से पीछे नहीं रहेगा। वैक्सीन के विकास में लगी कंपनियों ने भरोसा दिलाया है कि कोरोना वैक्सीन में देरी की संभावना नहीं है। वैक्सीन का वितरण न केवल भारत में होगा, बल्कि दूसरे देशों को भी दिया जा सकता है।
वास्तव में जबसे कोरोना की शुरुआत हुई है, तबसे प्रधानमंत्री मोदी अग्रिम मोच्रे पर खड़े होकर कोरोना के विरूद्ध लड़ाई की कमान संभाले हुए हैं, चाहे उनका घंटी और ताली बजाने का कार्यक्रम रहा हो या दीपक प्रज्ज्वलित कराने का, उनके ये प्रयास भले ही बहुतों की आलोचना का विषय बने हों, लेकिन वास्तव में ये सभी कार्यक्रम प्रधानमंत्री की सक्रियता को दर्शाने वाले रहे हैं। पूरी दुनिया पिछले दस महीनों से कोविड-19 से जूझ रही है और इस दौरान के अनुभव से यह जाहिर हुआ है कि वैक्सीन उत्पादन और व्यापक रूप से उसके वितरण एवं प्रयोग से इस महामारी पर कारगर और दीर्घकालिक रूप से काबू पाया जा सकेगा। फिलहाल, दुनिया भर की अनेक दवा कंपनियां वैक्सीन का विकास करने के अंतिम चरण में हैं।
स्पूतनिक, फाइजर, माडर्ना जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की वैक्सीन 90 से 95 फीसद मामलों में कारगर सिद्ध हुई है। संतोष की बात यह भी है कि इन वैक्सीनों का मरीजों पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ा है। जाहिर है इन कंपनियों के वैक्सीन की सफलता के दावे के बाद भारत के लोगों में भी यह जानने की उत्सुकता बढ़ गई है कि उन्हें कब तक वैक्सीन उपलब्ध होगी। अपेक्षा की जाती है कि प्रधानमंत्री मोदी की वैक्सीन केंद्रों के दौरे के बाद उन्हें राहत मिली होगी। लेकिन जब तक वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो जाता है, तब तक कोरोना से बचाव के बताए गए ऐहतियातों का ईमानदारी से पालन करना होगा।
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