उचित आदेश
उच्चतम न्यायालय द्वारा सरकारी लैब की तरह निजी लैब में भी कोरोना संक्रमण की जांच मुफ्त करने का आदेश भविष्य की दृष्टि से ज्यादा महत्त्वपूर्ण है।
उचित आदेश |
इसलिए कि कुछ निजी लैब को इसकी अनुमति देने के बावजूद अभी तक जितने मामले आए हैं, सबकी जांच सरकारी लैबों में ही हुई है और वहां कोई शुल्क नहीं है। किंतु स्थिति ज्यादा बदतर हुई तो फिर सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था से काम नहीं चलेगा। संपन्न देशों की स्वास्थ्य संरचनाओं के लिए कोरोना को संभालना संभव नहीं हो रहा है। भारत की आबादी तो इन देशों से कई-कई गुणा ज्यादा है। इसमें निजी स्वास्थ्य संस्थाओं की भूमिका बढ़ जाएगी।
उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा के कुछ अस्पतालों का अधिग्रहण ही कर लिया है। न्यायालय के सामने कई याचिकाएं थीं। इनमें एक याचिका डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मिंयों की समुचित सुरक्षा से संबंधित थी। हालांकि इस याचिका की आवश्यकता नहीं थी क्योंकि केंद्र और राज्य सरकारें अपनी ओर से हरसंभव सुरक्षा किट उपलब्ध कराने की कोशिश कर रही हैं। इसमें किसी के वेतन में से कटौती करने का कोई प्रश्न नहीं है, किंतु याचिका में इसकी भी आशंका व्यक्त की गई थी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा वेतन कटौती की किसी तरह की संभावना को खारिज करने के बाद इस पर कोई आदेश देने का अर्थ नहीं था। हां, न्यायालय ने सुरक्षा किट सहित अन्य सामग्रियां उपलब्ध कराने तथा उनके खिलाफ हिंसा एवं दुर्व्यवहार को रोकने के लिए कदम उठाने को जरूर कहा।
यह स्वाभाविक भी है। देश में कई स्थानों पर कोरोना संदिग्धों का पता लगाने गए स्वास्थ्यकर्मिंयों पर हमले किए गए हैं। उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होनी ही चाहिए। इसी तरह ऐसे संकट में मानव सेवा में लगे स्वास्थ्यकर्मिंयों के साथ मकान मालिकों द्वारा या अपार्टमेंटों में अवांछित मानने का व्यवहार भी अस्वीकार्य है। ऐसा व्यवहार करने वाले दंड के पात्र हैं। वैसे केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों से स्वास्थ्यकर्मिंयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा है और ऐसा हो भी रहा है।
सरकारों की ओर से सख्त चेतावनियां भी जारी की गई हैं। हालांकि जो लोग प्रवासी कामगारों एवं अन्य की देखभाल के लिए आदेश की अपील ले कर गए थे उन्हें न्यायालय ने उचित ही निराश किया है। न्यायालय का यह कहना कि हम इसके विशेषज्ञ नहीं हैं और यह काम सरकार को ही करने दें, उन लोगों के लिए धक्का है जो सरकार के विरुद्ध कुछ टिप्पणियां कराने की मनोदशा से ऐसी चायिका लेकर गए थे।
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