खफा है अमेरिका
पाकिस्तानी सेना और वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने वायुयानों को नियंत्रण रेखा पार कराकर अवाम की तालियां भले पिटवा ली, लेकिन अब उनके सामने विकट स्थिति पैदा हो गई है। अमेरिका एफ 16 विमानों के भारत के खिलाफ उपयोग से खफा है।
खफा है अमेरिका |
पाकिस्तान को जवाब देना होगा कि उसने भारत के खिलाफ इसका उपयोग क्यों किया? दरअसल, अमेरिका ने पाकिस्तान को एफ 16 के साथ अनेक हथियार आदि आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई के नाम पर दिया था। एक समय था जब अफगानिस्तान में सोवियत संघ से लड़ने के नाम पर अमेरिका ने पाकिस्तान को सैन्य एवं वित्तीय संसाधन आंख मूंदकर दिए। उसका भी पाकिस्तान ने दुरूपयोग किया। किंतु शीतयुद्ध के काल में अमेरिका को उसकी जरुरत थी। अफगानिस्तान में वह सोवियत समर्थक वामपंथी सरकार को उखाड़ना चाहता था। इसलिए पाकिस्तान की हर गलती की वह अनदेखी करता रहा। 11 सितम्बर 2001 के हमले के बाद आतंकवाद विरोधी युद्ध में भी उसे पाकिस्तान का सहयोग चाहिए था। हालांकि पाकिस्तान का साथ उसे आज भी चाहिए, पर पहले की तरह नहीं। अब वह उसके द्वारा दिए गए सैन्य सहित वित्तीय एवं अन्य संसाधनो के उपयोग को लेकर सख्त हो रहा है।
वस्तुत: उसने हमेशा पाकिस्तान को सहायता एवं संसाधन शतरे के साथ मुफ्त या रियायती दर पर दिया, जिनमें आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष हाल के वर्षो में सर्वप्रमुख रहा है। पाकिस्तान की बेईमानी का प्रमाण मिलने के बाद ट्रंप प्रशासन ने भी उसकी सहायता रोकी है। शर्त के अनुसार एफ 16 विमानों का सुरक्षा के लिए तो वह उपयोग कर सकता है मगर किसी के खिलाफ यूं ही नहीं। अमेरिका कह चुका है कि भारतीय वायुसेना की कार्रवाई आत्मरक्षा में उठाया गया कदम था। यानी वह पाकिस्तान पर हमला नहीं था। तो भारतीय सीमा में एफ 16 ले जाना शतरे का अतिक्रमण है। पाकिस्तान ने इसी का ध्यान रखते हुए झूठ बोला कि उसने एफ 16 का इस्तेमाल किया ही नहीं। भारतीय सेना ने सबूत के साथ बता दिया है कि उसमें एफ 16 विमानों का इस्तेमाल हुआ। देखना है अमेरिका किस तरह उससे पूछता है और पाकिस्तन क्या जवाब देता है? हम चाहेंगे कि अमेरिका उसे साफ चेतावनी दे कि अगर आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई को हमला मानकर उसने एफ 16 या उसके द्वारा दिए गए अन्य हथियारों का उपयोग किया तो वह कदम उठाएगा, जिसमें सौदे को खत्म भी शामिल हो सकता है।
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