छह पर आप
कांग्रेस के साथ दिल्ली की लोक सभा सीटों पर गठबंधन के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार आम आदमी पार्टी (आप) ने अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया।
छह पर आप |
कुल सात में से छह सीटों पर पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर आम आदमी पार्टी ने यह बात साफ कर दी कि अब कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की गुंजाइश अंश मात्र है। हालांकि आप ने एक सीट-पश्चिमी दिल्ली-पर प्रत्याशी तय नहीं किया है, और यह कहा जा रहा है कि शायद कांग्रेस से अब भी गठबंधन की बात सिरे चढ़ सकती है। वैसे एक बात तो तय है कि दोनों पार्टियों में समझौते की खिचड़ी काफी दिनों से पक रही थी। दोनों पार्टियों में गठबंधन हो कि नहीं, इसको लेकर कांग्रेस में अंदरूनी उठापटक और नाराजगी की बात भी सतह पर आई थी। यहां तक कि इसी मसले पर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने पद से इस्तीफा तक दे दिया। यह तर्क दिया गया कि जिस पार्टी के खिलाफ कांग्रेस हर मंच से विरोध करती रही, वह किस आधार पर उसके साथ गलबहियां करेगी? स्वाभाविक तौर पर कांग्रेस पार्टी के भीतर आप से गठबंधन को लेकर दो फाड़ होने की स्थिति पैदा हो गई थी। पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के बिगड़े मिजाज को परखकर कांग्रेस आलाकमान ने समझौते से अपने हाथ खींच लिया।
इस बात की तस्दीक कुछ दिनों पहले खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने की थी। केजरीवाल ने कहा था कि मैं गठबंधन को लालायित हूं, लेकिन कांग्रेस तैयार नहीं है। पार्टी प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर आप दिल्ली की जनता के बीच यह संदेश देना चाहती है कि दिल्ली के विकास के लिए तमाम काम करने, और केंद्र सरकार के सौतेले व्यवहार के बावजूद आम आदमी पार्टी ही दिल्ली की बेहतरी के बारे में सोच सकती है। 2014 के चुनाव परिणाम का अध्ययन करें तो एकमात्र पश्चिमी दिल्ली लोक सभा सीट पर भाजपा की जीत का आंकड़ा कांग्रेस और आप से ज्यादा था। बाकी छह सीटों पर अगर आप और कांग्रेस के वोट जोड़ देने से गठबंधन फायदे में दिखती है। इसी कारण केजरीवाल कांग्रेस आलाकमान पर यह दबाव बनाते रहे कि भाजपा को तभी हराया जा सकता है, जब हाथ का साथ झाड़ू को मिले। अब आप के इस कदम से सियासत किस करवट लेगी, देखना बाकी है।
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