सुकून भरे दबाव के चलते टीम इंडिया कर रही है बढ़िया प्रदर्शन

Last Updated 11 Nov 2023 10:08:37 AM IST

आईसीसी मेंस वर्ल्ड कप में टीम इंडिया इस समय पॉइंट टेबल पर सबसे ऊपर है। टीम के लगभग सभी खिलाड़ी अपनी-अपनी भूमिका बखूबी निभा रहे हैं।


Rohit Sharma and Rahul Dravid

एक दौर ऐसा भी था, जब शुरुवात के दो-तीन बल्लेबाजों के आउट हो जाने के बाद देश के लोग मान लेते थे कि इंडिया अब मैच हार जाएगी। हालांकि कभी-कभी ऐसा भी हुआ है कि आधी टीम आउट होने के बाद भी टीम इंडिया मैच जीती है लेकिन ऐसा दशकों में एकाद बार ही होता है। जैसा कि 1983 के वर्ल्ड कप में हुआ था, कपिल देव ने अकेले ही 175 रनों की पारी खेली थी। कपिल देव की उसी पारी की बदौलत टीम इंडिया उस वर्ल्ड कप में ना सिर्फ बनी रही बल्कि कपिल देव की कप्तानी में इंडिया ने पहली बार वर्ल्ड कप भी जीता। जबकि आधी टीम आउट होकर पैवेलियन लौट चुकी थी।

इंग्लैंड के लॉर्ड्स में भी एक बार ऐसा ही हुआ था। 13 जुलाई 2002 को लॉर्ड्स के मैदान पर नेटवेस्ट ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला चल रहा था। सचिन,सहवाग और गांगुली समेत 5 अहम खिलाड़ी आउट हो चुके थे और बोर्ड पर रन दिख रहा था 146। जबकि इंग्लैंड ने 326 रनों का लक्ष्य दिया था। लेकिन युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ, दोनों ने मिलकर मैच जीता दिया था। उन दोनों के बीच छठे विकेट के लिए 121 रन की साझेदारी हुई थी। अभी कुछ साल पहले ऑस्ट्रेलिया में भी ऐसा ही हुआ था। टेस्ट मैच में पुछल्ले बल्लेबाजों ने अपने दम पर मैच का पाशा पलट दिया था। इंडियन क्रिकेट में दो तीन मौके और भी ऐसे आए थे जब लग रहा था कि इंडिया मैच हार जाएगी लेकिन कुछ बल्लेबाज़ों के चलते उन मैचों में भारत को जीत मिली थी। कहने का मतलब है कि जो निरंतरता इस समय टीम इंडिया में दिख रही है वैसी निरंतरता पहले कम ही देखने को मिलती थी।

भारत के दृष्टिकोण से ऐसे पल बहुत कम आए हैं। लेकिन इस वर्ल्ड कप में ऐसा नहीं हो रहा है। किसी खिलाड़ी के आउट होने के बाद अब निराशा नहीं हो रही है। क्योंकि पीछे आने वाला हर खिलाड़ी अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहा है। टीम इंडिया की बॉलिंग यूनिट कुछ अलग दिख रही है बल्कि अब तक की सबसे बेहतर साबित हुई है। अब सवाल यह पैदा होता है कि आखिर टीम इंडिया में यह बदलाव आया कैसे ? टीम इंडिया की बॉलिंग और बैटिंग यूनिट में यह निरंतरता आयी कहां से और कैसे ? जवाब इसका सिर्फ एक है। इस समय टीम इंडिया के सभी खिलाड़ी सुकून भरे दबाव में खेल रहे हैं।

सुकून इस बात का, कि अगर आपको मौका मिला है तो, आप इत्मीनान से खेलिए। आपको मौके मिलते रहेंगे। यह नहीं कि आपका एक मैच बढ़िया नहीं गया तो आपको टीम से बाहर कर दिया जाएगा। हर खिलाड़ी इस बात को जानता है कि उसे क्या करना है। इस टूर्नामेंट में यह बात परिलक्षित भी हो रही है। हर खिलाड़ी जानता है कि उन्हें टीम से हटने का दबाव नहीं है लेकिन जो मौके मिल रहे हैं उन्हें भुनाना कितना जरूरी है। वह यह भी जानता है कि उनके पीछे एक बहुत बड़ी लाइन है, जिसमें दर्जनों खिलाड़ी ऐसे हैं जो चयन समिति के दरवाजे को जोर-जोर से खटखटा रहे हैं बल्कि कुछ तो दरवाजा तोड़ने की कोशिश भी कर रहे हैं।

टीम इंडिया में खेल रहे लगभग बहुत से खिलाड़ियों पर मात्र एक यही एक दबाव है। यानी उन्हें जितने मौके मिल रहे हैं उनमें उन्हें अपना प्रदर्शन ठीक रखना होगा। लेकिन कई मैच खेलने के बाद भी उनका प्रदर्शन नहीं सुधरता तब शायद उन्हें बाहर जाना होगा। सबको पता है कि एक बार टीम से कोई बाहर हो गया तो उसका अंदर आना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा क्योंकि उसकी जगह आने वाले  खिलाड़ी ने अगर बढ़िया प्रदर्शन कर दिया तो फिर चयनकर्ता भी विवश हो जाते हैं, और ऐसा हो भी रहा है। किसी खिलाड़ी के इंजर्ड हो जाने के बाद अगर उसकी जगह किसी खिलाड़ी को बुलाया जाता है तो वह बढ़िया परफॉर्म कर भी देता है। कहा जाए तो दबाव मात्र यही है कि अगर आपको टीम के साथ आगे तक जाना है तो जो मौके मिल रहे हैं उसे भुनाइये। हालांकि कुछ लोग कह सकते हैं कि इस समय टीम इंडिया में कोई राजनीति नहीं है, इसलिए टीम का परफॉर्मेंस बढ़िया हो रहा है लेकिन इस बात में सच्चाई कम और अफवाह ज्यादा है।

कमोबेश हमेशा ही टीम इंडिया में राजनीति की बात कम ही देखने को मिली है। हां, कुछ मीडिया बंधुओं को घर बैठे-बैठे टीम इंडिया में राजनीति दिखने लगती है। अब दूसरा सवाल यह पैदा होता है कि आखिर टीम इंडिया में यह बदलाव आया कैसे ? जाहिर सी बात है, इसके सबसे हुनरबाज राहुल द्रविड़ हैं। जो इस समय टीम इंडिया के कोच हैं। दूसरे हैं टीम इंडिया के कप्तान रोहित शर्मा। दोनों ने खिलाडियों को स्वतंत्रता दे रखी है। दोनों ने शायद खिलाडियों को कह रखा है कि जाओ और अपना खेल दिखाओ। आउट होने की टेंशन मत लेना। यह भी मत सोचना कि अगर आउट हो गए तो अगला मैच नहीं खेलोगे। शायद कुछ ऐसे ही निर्देशों की वजह से आज टीम का हरेक खिलाड़ी ना सिर्फ स्वतंत्र होकर खेल रहा है बल्कि हर खिलाड़ी मैच जीताने का मादा भी रख रहा है।

 

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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