भारत को मिली पुरूष और महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप की मेजबानी
भारत अगले वर्ष महिला विश्व चैंपियनिशप के अलावा 2021 में पहली बार पुरूष विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप की मेजबानी करेगा जो एक समय प्रशासनिक परेशानियों से जूझ रहे खेल के लिये ऐतिहासिक उपलब्धि है.
फाइल फोटो |
अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) ने मास्को में अपनी कार्यकारी समिति की दो दिवसीय बैठक के बाद यह घोषणा की.
एआईबीए अध्यक्ष डा. चिंग कुआ वु ने बयान में कहा, हमें यह पुष्टि करते हुए खुशी हो रही है कि एआईबीए पुरूष विश्व चैंपियनशिप 2019 सोच्ची में होगी और हम बड़ी प्रसन्नता के साथ यह घोषणा भी करते हैं कि नयी दिल्ली 2021 की चैंपियनशिप की मेजबानी करेगा क्योंकि भारतीय मुक्केबाजी महासंघ ने खेल के विकास के लिये अपनी प्रतिबद्धता बरकरार रखी है.
उन्होंने कहा, तुर्की मुक्केबाजी महासंघ की प्रस्तुति के बाद मैं जानता हूं कि ट्राबजोन 2019 में विश्व के सबसे बड़े महिला मुक्केबाजी टूर्नामेंट की मेजबानी के लिये तैयार रहेगा.
भारत ने इससे पहले कभी पुरूष विश्व चैंपियनशिप की मेजबानी नहीं की थी लेकिन उसने 2006 में महिला चैंपियनशिप की मेजबानी की थी. भारत ने अब पुरूषों की जिस प्रमुख मुक्केबाजी प्रतियोगिता की मेजबानी की है उनमें 1990 में मुंबई में खेला गया विश्व कप है और 2010 में नयी दिल्ली में आयोजित राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप है.
भारतीय मुक्केबाजी महासंघ के अध्यक्ष अजय सिंह ने कहा, पहली बार देश को दो प्रमुख चैंपियनशिप की मेजबानी सौंपी गयी है. हमने जो प्रस्तुति दी उसे एआईबीए अध्यक्ष ने सर्वश्रेष्ठ करार दिया.
यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारतीय महासंघ प्रशासनिक अव्यवस्था के कारण 2012 से 2016 के बीच निलंबन झेल रहा था.
खेल मंत्री विजय गोयल ने ट्वीट किया, भारतीय मुक्केबाजी प्रशसंकों और खिलाड़ियों के लिये शानदार खबर.
एआईबीए कार्यकारी समिति ने 2019 महिला मुक्केबाजी चैंपियनशिप की मेजबानी तुर्की के ट्राबजोन को सौंपी है. एआईबीए 2018 कांग्रेस रूस के शहर मास्को में होगी. इस घोषणा से भारतीय मुक्केबाजी समुदाय उत्साहित है.
इस साल होने वाली विश्व चैंपियनशिप के लिये चुनी गयी टीम के साथ अभ्यास दौरे पर फ्रांस गये भारतीय पुरूष टीम के कोच सैंटियागो नीवा ने कहा कि दो प्रतियोगिताओं की मेजबानी हासिल करना ऐतिहासिक है.
उन्होंने फोन पर से कहा, यह भारतीय मुक्केबाजी के लिये शानदार और निश्चित तौर पर ऐतिहासिक खबर है. इससे महासंघ की शक्ति और संकल्प का पता चलता है.
इन चैंपियनशिप की मेजबानी हासिल करना भारतीय मुक्केबाजी के भविष्य लिये बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा. इससे मुक्केबाज अधिक कड़ी मेहनत करेंगे.
भारत ने पुरूष विश्व चैंपियनशिप में कुल तीन पदक जीते हैं जो तीनों कांस्य हैं. जिन भारतीयों ने पदक जीते हैं उनमें विजेंदर सिंह (2009), विकास कृष्ण (2011) और शिव थापा (2015) शामिल हैं.
महिला मुक्केबाजी के मुख्य कोच गुरबख्श सिंह संधू ने भी इस पर खुशी जतायी.
संधू ने कहा, मैंने आज सुबह लड़कियों को यह जानकारी दी और वे तब से बेहद उत्साहित हैं. भारतीय मुक्केबाजी महासंघ ने वास्तव में भारत के लिये बड़ी प्रतियोगिताएं हासिल की हैं और अब मुक्केबाजों को अपेक्षाओं पर खरा उतरना होगा.
पांच बार की विश्व चैंपियन और ओलंपिक कांस्य पदक विजेता एम सी मेरीकोम ने इस खबर के बाद 2006 की यादों तो ताजा किया जब उन्होंने 46 किग्रामें स्वर्ण पदक जीता था.
अब 48 या 51 किग्रामें भाग लेने वाली मेरीकोम ने कहा, यह भारत के लिये बहुत अच्छी खबर है और अगर मैं फिट रही तो मैं 48 किग्रामें भाग लूंगी. इससे मेरी कई अच्छी यादें ताजा हो गयीं. मैं उस क्षण को कभी नहीं भूल सकती जब मैंने 2006 में स्वर्ण पदक जीता था.
मेरीकोम अब मुक्केबाजी की राष्ट्रीय पर्यवेक्षक है.
मुक्केबाजी के एक अन्य राष्ट्रीय पर्यवेक्षक और राष्ट्रमंडल खेलों के पूर्व स्वर्ण पदक विजेता अखिल कुमार का मानना है कि इन दोनों प्रतियोगिताओं के लिये तैयारियां जल्द से जल्द शुरू कर देनी चाहिए.
उन्होंने कहा, अब ध्यान मुक्केबाजों पर होगा और चैंपियनशिप की मेजबानी हासिल करने में शानदार भूमिका अदा करने वाले महासंघ को अब मुक्केबाजों के वैज्ञानिक प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. उन्हें पेशेवर तरीके से तैयार किया जाना चाहिए.
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