बिहार के सहरसा में अपने ही घर में कैद है एक परिवार

Last Updated 04 Feb 2013 02:54:50 PM IST

बिहार के सहरसा में तीन दिनों से एक परिवार के सभी सदस्य अपने ही घर में कैद हैं. इस परिवार को बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है.




अपने ही घर में कैद है एक परिवार

पड़ोसियों ने चारों तरफ या तो घर बना डाले या फिर ऊँची दीवार खड़ी कर दी. अप्रैल 2012 से ही इस परिवार के सभी सदस्य बांस की सीढ़ी लगाकर दूसरे की दीवार को लांघकर जाते थे पढने या फिर किसी और काम के लिए.

लेकिन हैवानियत की इंतहा देखिये की तीन दिन से सीढ़ी लगाने पर भी हो गयी है मनाही. सदर थाना के रिहायशी मुहल्ला प्रताप नगर में एक परिवार रास्ते के लिए बीते कई महीनों से अधिकारी से लेकर कोर्ट तक में अर्जी लगाता रहा लेकिन किसी का दिल आज तक नहीं पसीजा.

इंसानियत मरी,रिश्तों के पाये दरके

इंसानियत अब मर चुकी है,रिश्तों के पाये कब के दरक चुके हैं. जिसे देख-सुनकर आप अपना कलेजा खुद पीट लेंगे.

सहरसा के सदर थाना के रिहायशी मुहल्ला प्रताप नगर में एक परिवार अपने ही घर में पिछले तीन दिनों से ना केवल बंदी बना हुआ है, बल्कि घर से वह निकले तो आखिर कैसे इस उहापोह में सिसक और सुबकियां ले रहा है.

घनी आबादी के बीच में बसे इस परिवार को बाहर निकलने का कोई रास्ता ही नहीं है.पड़ोसियों ने इस परिवार के घर के चारों तरफ या तो घर बना डाले या फिर ऊँची दीवारें खड़ी कर दी है.

इस घर के मुखिया घर के एक अदद रास्ते के लिए बीते कई महीनों से अधिकारी से लेकर कोर्ट तक में अर्जी लगाते रहे, लेकिन किसी का दिल आज तक नहीं पसीजा है.

घर जेल में तब्दील

आज आलम यह है कि यह परिवार अपने ही घर में बंदी की तरह है. यह घर सुकून के घर की जगह जेल में तब्दील है. हमारे पुरजोर दखल के बाद पुलिस के आलाधिकारी मौके पर जरुर पहुंचे, लेकिन वे भी इस समस्या का समाधान मोहल्ले में पंचायत कर निपटाने का निर्देश देकर चलते बने.

सदर थाना के रिहायशी मुहल्ला प्रताप नगर में  जिस तरह से अनेकों घरों और दीवारों के बीच इस पीड़ित का घर छुपा हुआ है. यह घर सेवानिवृत शिक्षक कमल नारायण झा का घर है.

इनके दो बेटे हैं.एक बेटा पशुपतिनाथ झा मुहाली में इंजीनियरिंग का छात्र है, जबकि दूसरा गणपति झा पटना के एएन कॉलेज में स्नातक का छात्र है. गुरूजी को सात बेटियाँ हैं. छह की शादी हो गयी है जबकि एक अभी कुंआरी है.

इस घर में गुरूजी अपनी पत्नी,एक कुंआरी बेटी,दो नाती और दो नतिनी के साथ रहते हैं. गुरूजी ने जब अपने इस घर का निर्माण कराया था उस समय आसपास इतने घर नहीं थे और सब कुछ ठीक--ठाक चल रहा था.लेकिन धीरे--धीरे आसपास घर बनने लगे.

चारों तरफ से लोगों ने घर बनाया

आसपास लोग ऊँची-ऊँची दीवार भी बनाने लगे.बीते वर्ष 2012 के अप्रैल माह से गुरूजी की मुश्किल बढ़ गयी.इनके घर के चारों तरफ से लोगों ने घर बना लिया और दीवारें भी खड़ी कर ली.

शांत और सौम्य स्वभाव के गुरूजी लोगों से मिन्नत करते रहे की उनको निकलने का रास्ता मिले लेकिन किसी ने उनकी एक ना सुनी और आखिरकार गुरूजी वर्ष 2012 के अप्रैल माह से अपने घर में ही कैद होकर रह गए.

उसके बाद गुरूजी ने एसडीओ कोर्ट से लेकर डीएम और कमिश्नर तक रास्ते के लिए अर्जी लगाई लेकिन वहाँ से बस डेट पर डेट मिलता रहा.इस दौरान गुरूजी का पूरा परिवार बांस की सीढ़ी लगाकर ऊँची दीवार को लांघकर अपना-अपना काम करता रहा.

गुरूजी को भरोसा था की एक दिन उनके साथ इन्साफ होगा और उन्हें आने--जाने के लिए रास्ता मिल जाएगा.लेकिन सुखद परिणाम सामने अभी तक कुछ भी नहीं आया था, लेकिन एक बड़ी मुसीबत और चली आई.

गुरुजी का परिवार जिधर से पिछले कई महीनों से निकल रहा था उसके स्वामी ने अपना घर बनाना शुरू कर दिया और पिछले तीन दिनों से गुरूजी के घर के लोगों के आने जाने पर पाबंदी लगा दी. यानि अपने ही घर में कैद का आज तीसरा दिन है. स्कूल,कॉलेज नहीं जा पाने की वजह से जहां बच्चों की पढाई रुक गयी है वहीँ घर में राशन पानी का भी अभाव है.

गुरूजी रो-रोकर तो घर के अन्य लोग कातर स्वर में अपनी व्यथा सुनाते हुए हमसे इन्साफ की गुहार लगा रहे हैं.

इस घर में फंसे बच्चों को अब तक जिन्दगी का सही माने भी अभी नहीं पता.धन---दौलत,षड्यंत्र और दुनियावी गणित भूगोल से यह पूरी तरह से बेखबर है.अपनी तुतली आवाज में कहती है की रास्ता बंद हो गया है इसलिए वह स्कूल नहीं जा पा रही है.

मीडिया की पुरजोर पहल और दखल के बाद मौके पर सदर एसडीपीओ अशोक कुमार दास और इन्स्पेक्टर सूर्यकांत चौबे सहित पुलिस के थोक में कई जवान भी यहाँ पहुंचे और गुरूजी की मुसीबत को अपनी नंगी आँखों से देखा.

पुलिस अधिकारी ने गुरूजी की मुश्किल को अपने बयान में स्वीकारा लेकिन उन्होनें अपनी तरफ से तत्काल किसी तरह के समाधान के लिए कोई पहल नहीं की.

2012 से ही सीढियों के रास्ते

इनकी नजर में गुरूजी वर्ष 2012 से ही सीढियों के रास्ते अपना काम कर रहे थे. पिछले तीन दिन से सीढ़ी हटा दी गयी है. इस मामले का निपटारा वे सामाजिक पंचायत से करवाएंगे.यानि इनका रवैया टालू और बेहद शर्मनाक था.

पुलिस का कहना है कि एक अच्छा पड़ोसी भगवान की तरह होता है. अगर सामने कोई दुर्जन पड़ोसी मिल गया तो वह आपके सुख चैन को डंस लेंगे. यहाँ तो गुरूजी सिर्फ और सिर्फ दुर्जन पड़ोसियों से घिरे दिख रहे हैं.

हमने गुरूजी के परिवार को इन्साफ दिलाने के लिए उनके हक़ में आवाज बुलंद की है.जब तक गुरूजी को घर से निकलने का रास्ता यानि मुकम्मिल इन्साफ उनके परिवार को नहीं मिल जाता है हम उनके साथ सिद्दत से ना केवल खड़े रहेंगे बल्कि उनको इन्साफ दिलाकर रहेंगे.

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