गैंगस्टर अरुण गवली जेल से रिहा होने के बाद लौटा दगड़ी चॉल
गैंगस्टर अरुण गवली 2007 के हत्या के एक मामले में उच्चतम न्यायालय से जमानत मिलने के बाद मुंबई के दगड़ी चॉल में अपने आवास में लौट आया है।
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गवली 17 साल जेल में बिताने के बाद नागपुर केंद्रीय कारागार से बाहर आया और वहां से विमान में सवार होकर चर्चित दगड़ी चॉल में बुधवार रात करीब नौ बजे अपने आवास में पहुंचा, जहां उसके परिवार के सदस्यों और समर्थकों ने उसका भव्य स्वागत किया।
पूर्व विधायक गवली (76) के समर्थकों ने उसका स्वागत करने के लिए फूल बरसाए और गुलाल छिड़का तथा इलाके में मिठाइयां बांटी। उसके परिवार के सदस्य बहुत खुश थे और जब वह अपने घर में दाखिल हुआ तो उन्हें गवली के साथ तस्वीरें खिंचवाते हुए देखा गया। उसके आवास पर बड़ी संख्या में मीडियाकर्मी भी मौजूद थे।
गवली भायखला के एक इलाके दगड़ी चॉल से चर्चित हुआ था और अखिल भारतीय सेना संगठन का संस्थापक है। वह 2004 से 2009 तक मुंबई के चिंचपोकली विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहा।
उच्चतम न्यायालय ने पिछले सप्ताह गवली को जमानत दे दी थी, जो मुंबई के शिवसेना पार्षद कमलाकर जामसांडेकर की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था।
28 अगस्त को पारित आदेश में न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि गवली 17 साल से अधिक समय से जेल में है और अपील उसके समक्ष लंबित है।
एक अधिकारी ने बताया, ‘‘जेल विभाग की सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद बुधवार दोपहर करीब 12:30 बजे गवली जेल से बाहर आया।’’
गवली के परिवार के सदस्यों, वकील और समर्थकों ने उसका स्वागत किया।
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच गवली को नागपुर हवाई अड्डे ले जाया गया, जहां से वह एक उड़ान से मुंबई के लिए रवाना हो गया।
अधिकारी ने बताया कि गवली की रिहाई के मद्देनजर जेल परिसर में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया था।
गवली ने बंबई उच्च न्यायालय के नौ दिसंबर, 2019 के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें अधीनस्थ अदालत की ओर से तय की गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा गया था। उसके खिलाफ महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज है।
अगस्त 2012 में, मुंबई की एक सत्र अदालत ने उसे इस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और 17 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।
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