साथियों की मौत से दुखी 13 राजपुताना रायफल्स के जवानों ने खाना-पीना छोड़ा

Last Updated 11 Jan 2013 12:56:49 PM IST

जम्मू कश्मीर के पुंछ में 13 राजपुताना रायफल्स के जवानों ने खाना-पीना छोड़ दिया है.


एलओसी पर दो साथियों के मारे जाने से दुखी हैं जवान (फाइल फोटो)

सूत्रों के हवाले से प्राप्त ख़बर में कहा गया है कि इन जवानों में एलओसी पर अपने दो साथियों के मारे जाने को लेकर भारी गुस्सा है.

सूत्रों ने बताया कि 13 राजपुताना रायफल्स के जवान इस घटना से इस कदर दुखी हैं कि उन्होंने गुरुवार 10 जनवरी से ही खाना-पीना बंद कर दिया है. कमांडिंग ऑफिसर के समझाने का भी इन पर कोई असर नहीं हुआ है और ये लोग खाने के लिए राज़ी नहीं हुए हैं.

जवानों का कहना है कि वे जब तक बदला नहीं ले लेंगे, अनाज का एक दाना भी नहीं खाएंगे. गौरतलब है कि शहीद हुए दोनों जवान राजपुताना राइफल्स के थे.

इस रेजीमेंट के जवान अपने साथियों की मौत से काफी आहत हैं और बार-बार अपने अधिकारियों से कार्रवाई की गुहार लगा रहे हैं. वह बदले की आग में झुलस रहे हैं और इस हमले के खिलाफ कार्रवाई को अंजाम देने को आतुर हैं.

मालूम हो कि इस हमले में भारतीय सेना में लांस नायक हेमराज और सुधाकर की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी.

रक्षा मंत्री ए के एंथनी का कहना है कि भारत इस घटना को गंभीरता से ले रहा है और नागरिकों और सैनिकों के हितों को सुरक्षित रखने के हर कदम उठा रहा है.

समय की टीम पहुंची एलओसी
जम्मू कश्मीर के मेंढर सेक्टर में दो जवानों की निर्मम हत्या के बाद भारत और पाकिस्तान की सरहद पर तनाव बना हुआ है. सीमा पर सर्दी का सितम और कोहरे का कहर भी लगातार जारी है. लेकिन इसके बावजूद हमारे सीमा प्रहरियों के जोश में कोई कमी नहीं है.

जवानों का कहना है कि वे जब तक बदला नहीं ले लेंगे, अनाज का एक दाना भी नहीं खाएंगे.



सीमा पर पड़ रही ज़बरदस्त ठंड के बीच पाकिस्तान के खिलाफ फैले आक्रोश की गर्मी का असर साफ महसूस किया जा सकता है. आखिरी गोली और मरते दम तक लड़ते रहने के सिद्धांत पर चलते हुए सीमा सुरक्षा बल के जवान पूरी तरह मुस्तैद हैं.

समय की टीम ने पाया रात के अंधेरे में जब तापमान शून्य से भी नीचे होता है, हर तरफ गना कोहरा और अंधेरा छाया रहता है उस वक्त भी हमारे जवान सरहद पर एकदम चौकन्ने रहते हैं और उनकी नज़र वहां की हर गतिविधि पर रहती है.

सीमापार से आतंकवादी अक्सर सर्दी के मौसम में ही घुसपैठ करते हैं. मौसम कितना भी दुश्वार हो, कितनी भी सर्दी हो, हमारे जवानों की आंखें और कान हमेशा चौकन्ने रहते हैं.

समय की टीम ने पाया कि आगर हम अपने घरों में चैन से सो रहे हैं तो केवल इन जवानों की बदौलत क्योंकि ये सरहद पर जागकर देश की रक्षा में तैनात हैं.



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